अहम् ब्रह्मास्मि | माया के परे स्व का परम स्वरूप यानी ब्रह्म-स्वरूप
अहम् ब्रह्मास्मि | माया के परे स्व का परम स्वरूप यानी ब्रह्म-स्वरूप “अहम् ब्रह्मास्मि” यह श्लोक योग की बहुत ही गहराई में उतरने के बाद सामने आया है | यह हमारे अस्तित्व के रहस्य
अहम् ब्रह्मास्मि | माया के परे स्व का परम स्वरूप यानी ब्रह्म-स्वरूप “अहम् ब्रह्मास्मि” यह श्लोक योग की बहुत ही गहराई में उतरने के बाद सामने आया है | यह हमारे अस्तित्व के रहस्य
हिंदू धर्म में ईश्वर का महत्वपूर्ण स्थान है समस्त शास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ श्रीमद भागवत गीता भगवान के ही मुख से ही प्रकट हुई है | परंतु तथागत ने अपनी शिक्षा में क्यों ईश्वर को
क्या सच में सृष्टि भगवान ने ही बनाई? भागवत पुराण: कई धार्मिक समुदायों में ईश्वर को सृष्टि का रचनाकार माना जाता है और इस मान्यता के आधार पर यह प्रश्न खड़ा होता है की
‘ॐ’ (ओम) सनातन धर्म का अद्वितीय महामंत्र जो जिसमे सम्पूर्ण ब्रह्मांड का रहस्य है, यह अनंत ज्ञान (परमात्मा) का प्रतिनिधित्व करता है | संपूर्ण भौतिक और जो भौतिक से परे है वह आत्मा को
वैदिक, वैष्णव, शैव, शाक्त इत्यादि संप्रदायों में जिसे महाविष्णु, सदाशिव, शक्ति, और दुर्गा इत्यादि कहा जाता है; ये एक ही परम ब्रह्म के विविध नाम हैं | लेकिन वह परब्रह्म कोन है; इसे कैसे
आत्मज्ञान साक्षात्कार से साधक अपने सच्चे स्वरूप को प्राप्त होता है; वही स्वरूप सत्य है। जो साधक आत्मिक उन्नति के लिए जागृत है; उन्होंने निसंदेह आत्मज्ञान की यात्रा में और अपना पहला क़दम रख दिया
Krishna Gaytri Mantra: भगवान कृष्ण अपने भक्तों के पापों का विनाश करते है, जिससे उनके भक्तों का शीघ्र ही उद्धार होता हैं। भगवान कृष्ण के भक्त अनन्य भक्ति भाव से कृष्ण का स्मरण, भजन और
Krishna Mantra: Krsnaya Vasudevaya Devaki Nandanaya यह मंत्र कृष्णाय वासुदेवाय देवकीनन्दनाय भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है, यह मधुर मंत्र श्रीमद भागवतम् का है। भक्तों! भगवान कृष्ण का सुमिरन करने के लिए अनन्य कृष्ण भक्त इस
योग जीवन जीने की कला है योग जीवन को प्रेरित करने वाले अनमोल वचन और सुविचार ये आपको अवश्य पसंद आयेंगे। Yoga Quotes In Hindi | योग पर सुविचार अनमोल वचन 1. आनंद का सागर
Yoga Art Of Living योग एक ऐसी आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जो व्यक्ति की चेतना को परमपद यानी ब्रह्मांडीय चेतन में स्थित करती है । योग प्राचीन भारतीय ऋषि और आध्यात्मिक चिरग्रंथों की देन है। ‘योग’