ज्ञान की खोज | आत्मज्ञान से समाधि

आत्मा परम आनंद स्वरूप है; वह शाश्वत आनंद है; वह अजन्मा और अविनाशी और सदैव एक सा रहने वाला है | परंतु इसके बाद भी कोई मनुष्य कहता है की वह दुखी है | अगर

Categories

भक्ति योग

Krishna Mantra Krsnaya Vasudevaya Devaki Nandanaya 

श्रीकृष्ण मंत्र | कृष्णाय वासुदेवाय देवकीनन्दनाय | हिंदी अर्थ सहित और मंत्रजाप के फायदे

Krishna Mantra: Krsnaya Vasudevaya Devaki Nandanaya  – Advertisement – यह मंत्र कृष्णाय वासुदेवाय देवकीनन्दनाय भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है, यह मधुर मंत्र श्रीमद भागवतम् का है। भक्तों! भगवान कृष्ण का सुमिरन करने के लिए अनन्य

– Advertisement –


krishnaya vasudevaya haraye paramatmane

श्रीकृष्ण मंत्र | ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने | हिंदी में अर्थ और जाप के लाभ

भगवान श्रीकृष्ण सभी पापों का नाश करने वाले हैं, भगवान का यह मंत्र श्रीमद भागवत का हैं, यह केवल एक मंत्र न होकर भगवान के लिए पुकार हैं। इस सिद्ध मंत्र के जाप से अद्भुत

Sacchi Bhakti Kya Hai: भगवान की सच्ची भक्तिके संकेत

Sacchi Bhakti Kya Hai | भगवान की सच्ची भक्तिके संकेत

भगवान के जो भक्त इन दैवी गुणों से पूर्ण होते है इनपर भगवान की असीम कृपा बरसती है । भगवान की शुद्ध भक्ति के अद्भुत लाभ हैं स्वयं भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है

आध्यात्मिक

aatma-ko-kaise-paya

आत्मा को जाना नहीं जा सकता तो कैसे पता चला वह है?

आपने उपनिषदों में और अन्य आध्यात्मिक ग्रंथों में ब्रह्म या आत्मा का बारे में पढ़ा ही होंगा! या इन शब्दों को सुना तो होंगा ही! लेकिन क्या अपने कभी सोचा है की ये क्या है?

– Advertisement –


neti neti

नेति-नेति | न ऐसा, न वैसा | क्या है समझिए

नेति-नेति का अर्थ है “यह नहीं, वह नही” यह श्लोक साधक को आध्यात्मिक विकास और आत्मज्ञान साक्षात्कार करने में एक साधन का काम करता है | यह भ्रम को काटने की तलवार है सभी भ्रम

'तत् त्वम् असि' क्या है समझिए 

तत् त्वम् असि | तुम ही वह हो | क्या है समझिए

ऋषियों ने साधना में सिद्धि से महाज्ञान प्राप्त किया और जैसा देखा वैसा ही नई पीढ़ी के लिए लिख दिया | ‘तत् त्वम् असि’ यह श्लोक छांदोग्य उपनिषद का है | ‘तत् त्वम् असि’ का

सभी

Om vishnve namah
मंत्र

विष्णु मंत्र | ॐ विष्णवे नमः | जाप और लाभ | अर्थ सहित

Vishnu Mantra: श्रद्धा और समर्पण से भगवान के नाम का स्मरण करना आत्मिक उन्नति का एक उत्कृष्ट साधन है, यह आध्यात्मिक उन्नति का विज्ञान है | भगवान कृष्ण गीता में कहते है त्रिगुणात्मिका माया को

– Advertisement –


aatma-ko-kaise-paya
आध्यात्मिक

आत्मा को जाना नहीं जा सकता तो कैसे पता चला वह है?

आपने उपनिषदों में और अन्य आध्यात्मिक ग्रंथों में ब्रह्म या आत्मा का बारे में पढ़ा ही होंगा! या इन शब्दों को सुना तो होंगा ही! लेकिन क्या अपने कभी सोचा है की ये क्या है?

neti neti
आध्यात्मिक

नेति-नेति | न ऐसा, न वैसा | क्या है समझिए

नेति-नेति का अर्थ है “यह नहीं, वह नही” यह श्लोक साधक को आध्यात्मिक विकास और आत्मज्ञान साक्षात्कार करने में एक साधन का काम करता है | यह भ्रम को काटने की तलवार है सभी भ्रम

'तत् त्वम् असि' क्या है समझिए 
आध्यात्मिक

तत् त्वम् असि | तुम ही वह हो | क्या है समझिए

ऋषियों ने साधना में सिद्धि से महाज्ञान प्राप्त किया और जैसा देखा वैसा ही नई पीढ़ी के लिए लिख दिया | ‘तत् त्वम् असि’ यह श्लोक छांदोग्य उपनिषद का है | ‘तत् त्वम् असि’ का

अहम् ब्रह्मास्मि | माया के परे स्व का परम स्वरूप यानी ब्रह्म-स्वरूप 

अहम् ब्रह्मास्मि | माया के परे स्व का परम स्वरूप यानी ब्रह्म-स्वरूप    – Advertisement – “अहम् ब्रह्मास्मि” यह श्लोक योग की बहुत ही गहराई में उतरने के बाद सामने आया है | यह हमारे

– Advertisement –


Buddha ne kyo ishavar ko nakara
तथागत बुद्ध

तथागत बुद्ध ने क्यों ईश्वर को नकारा था?

हिंदू धर्म में ईश्वर का महत्वपूर्ण स्थान है समस्त शास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ श्रीमद भागवत गीता भगवान के ही मुख से ही प्रकट हुई है | परंतु तथागत ने अपनी शिक्षा में क्यों ईश्वर को

हरे कृष्ण! जय श्री राधेकृष्ण!

• क्या आप जीवन के सच्चे अर्थ की खोज में हैं?

'PurityofLifeYOG' व्हाट्सएप चैनल आपके लिए एक आध्यात्मिक घर है। यहाँ आपको जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से विचार करने और आध्यात्मिक उन्नति में मदद मिलेगी|

X