भगवान श्रीकृष्ण के इक्कीस मंत्र, महत्व और लाभ
योग साधना, मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास के लिए मंत्रों का जाप एक उपयुक्त तरीका माना जाता है | जाप का महत्व न केवल वेद
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योग साधना, मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास के लिए मंत्रों का जाप एक उपयुक्त तरीका माना जाता है | जाप का महत्व न केवल वेद
आदि शंकर आचार्य की रचना निर्वाण षट्कम शिव के वास्तविक स्वरूप का बहुत ही सुंदर तरीके से वर्णन करती है | निर्वाण षट्कम के बोल,
महा मृत्युंजय मंत्र महा मृत्युंजय मंत्र इस प्रकार है: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् || (AUM Tryambkan Yajamahe Sugandhin Pushtiverdham
नाम या मंत्र जप का विज्ञान | भगवान नाम जाप से कीर्तन से क्या होता है भगवान नाम जप या मंत्र जाप की शक्ति की
जिनके पुण्य उदय हो जाते है उन्हे परमात्मा के असीम स्वरूप का दर्शन होता है | लेकिन परमात्मा के ये स्वरूप है कैसा और इसके
माया का स्वरूप क्या है माया भगवान कृष्ण की शक्ति है; भगवान कृष्ण परमात्मा है | भगवान श्री कृष्ण सत् चित् आनंद स्वरूप है और
भगवान शिव का एक नाम रुद्र है ऋग्वेद में भगवान रुद्र को परमात्मा कहा गया है | शिवपुराण, भगवतपुराण और शैवागम में भगवान शिव के
जब वीर अर्जुन रणभूमि में अनिर्णय की स्थिति में था, तब भगवान कृष्ण ने उनके शिष्य अर्जुन को गीता ज्ञान उपदेश दिया था | वह
यहां से मुक्त होना ही हर मनुष्य का उद्धार है | परंतु जो इस दुनिया के मोहजाल में ही पड़े है और निरंतर व्याकुल
दर्शनों के अनुसार कहा जाता है की जीवों का अंतिम सत्य मृत्यु नही है मृत्यु के बाद भी जीव पुनः जन्म लेकर इस संसार में