भगवान् श्रीकृष्ण का हृदय में ध्यान कैसे होता हैं।
भगवान् श्रीकृष्ण का ध्यान करना दिव्य आनंद हैं । यह भक्त और भगवान् के दिव्य प्रेम संबध को दर्शाता हैं । अगर आप प्रभु को अपने हृदय में विराजमान कर ध्यान में लीन होते
भगवान् श्रीकृष्ण का ध्यान करना दिव्य आनंद हैं । यह भक्त और भगवान् के दिव्य प्रेम संबध को दर्शाता हैं । अगर आप प्रभु को अपने हृदय में विराजमान कर ध्यान में लीन होते
साधकों! ध्यान वह अनमोल रत्न हैं जो भारत ने जगत को दिया हैं, ध्यान का महत्व वेदों, पुराणों और अन्य प्राचीन ग्रंथों में बताया गया हैं, साथ ही आधुनिक विज्ञान भी ध्यान को मानव जीवन
हम मानव और अन्य जीव जिस जगह जीवित रहते हैं इसे पृथ्वी लोग कहां गया हैं। इसी लोक में हम भौतिक शरीर प्राप्त करते हैं और एक समय पर इसे त्याग देते हैं। मानव शरीर
योग की सबसे उच्चतम अवस्था को समाधि कहां जाता हैं। जो योगी समाधि को प्राप्त होता हैं उसके समस्त कर्म परमात्मा में विलीन हो जाते हैं। वह एक जीव होने नाते बंधनों से मुक्त होता
कुंडलिनी योग गैरमामुली हैं । यह जीवन शक्ति, ऊर्जा, तेज से भरपूर हैं। अगर किसी साधक की एक बार कुंडलिनी शक्ति जागृत हो जाती हैं, तो अगले ही दिन में यह अविश्वसनीय बदलाव ला सकती
ध्यान एक सर्वोत्तम योग क्रिया हैं, इससे आम अशांत और भागदौड़ वाले जीवन में अद्भुत क्रांति संभव हैं , ध्यान शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक तीनों के लिए लाभदायक हैं, ध्यान के महत्व को प्राचीन ग्रंथों
मन को शांत और नियंत्रित कैसे करें. अगर मन में लगातार उथल-पुथल होती रहती हैं। तो यह गंभीर समस्या बन सकती हैं, अगर मन को नियंत्रित और शांत न रखा जाएं तो व्यक्ति को तनाव,
नींद और समाधि में समानता भी हैं और ये दोनों अवस्थाएं एक दूसरे से अगल भी हैं। नींद और समाधि में अंतर और समानता को जानते हैं। नींद से तो कोई भी अनजान नहीं हैं
जो लोग ध्यान की अवस्था नहीं जानते वे ध्यान में क्या सोचना चाहिए पूछते हैं। सबसे पहले तो हमे यह समझना है की ध्यान केवल वह नहीं है जिसे पूरी तैयारी से आसन लगाकर बैठ
ध्यान के द्वारा न केवल स्वयं का बल्कि जीवन मृत्यु के चक्र से परे परमसत्य तक का भी बोध प्राप्त होता हैं। तथा ध्यान में ऐसे गुण भी है जो किसी चमत्कार से कम नहीं