ब्रह्म कौन है, ब्रह्म ज्ञान कैसे प्राप्त होता हैं.

ब्रह्म कौन हैं? ब्रह्म को कैसे जाने

जिसे जाना ही नहीं जा सकता उसे कैसे जाने अगर हम जानते हैं इसके पीछे कारण होते हैं, गुण आकार आदि। लेकिन ब्रह्म निराकार, निर्गुण हैं, तो उसे जानना तो असंभव हैं।

ब्रह्म का स्वरूप असल में स्वरूप नहीं हैं, ये सभी स्वरूपों, गुणों से परे हैं। ब्रह्म ज्ञान प्राप्त कर योगी ब्रह्म में विलीन हो जाता हैं वह सभी अस्तित्वमय जगत से परे परमआनंद में विलीन हो जाता हैं, यह आनंद ही ब्रह्म का स्वरूप हैं जहां सबकुछ शून्य हैं। लेकिन शून्य होना भी एक गुण हुआ वह शून्य में भी पूर्ण हैं इसी तरह नेति नेति ( ऐसा भी नहीं , वैसा भी नहीं) कहकर ब्रह्म के गुणों का खंडन होता है। अगर ब्रह्म को जान पाए तो वह निर्गुण, निर्लेप निराकार कैसे हुआ और फिर वह शाश्वत भी नहीं हैं।

ब्रह्म ज्ञान कैसे संभव होता हैं?

ब्रह्म ज्ञान भौतिक ज्ञान की तरह नहीं है बल्कि भौतिक ज्ञान को शून्य करना ही ब्रह्म ज्ञान प्राप्त करना हैं। यह एक अनुभूति है लेकिन यह अनुभूति से भी परे हैं. ब्रह्म ज्ञान क्या है यह तो ब्रह्म में विलीन होकर ही जाना जा सकता हैं, ब्रह्म ज्ञान वाणी से परे हैं।

ब्रह्म ज्ञान प्राप्त होने की पहचान मन से होती हैं किंतु ब्रह्म ज्ञान को प्राप्त होने पर मन का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है और आत्मा में विलीन हो जाता हैं। आत्मा समाधि में विलीन हो जाती हैं, ब्रह्म ज्ञान प्राप्त हो जाता हैं।

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