50+ Quotes Of Spirituality in Hindi | आध्यात्मिक अनमोल वचन
साधकों ! आध्यात्मिकता के बिना जीवन वैसे ही अधूरा हैं जैसे अग्नि के बिना एक दिया अधूरा होता हैं। यह एक बहुत अच्छी बात है की आप आध्यात्मिक उन्नति की और जागरूक है। इस लेख
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भक्ति योग
आध्यात्मिक
आत्मा का आकार कैसा होता है?
आत्मा को लेकर ज्यादातर लोग अज्ञान के अंधकार में होते हैं, वे आत्मा को एक डरावना रूप देते हैं जिसे भूत, डायन और चुड़ेल आदि नामो से जाना जाता है, लेकिन ये असत्य हैं। आत्मा क्या है, आत्मा का आकार तथा आत्मा का सत्य क्या है
मन और आत्मा में क्या अंतर है?
आत्मा और मन मिलकर जीवात्मा कहीं जाति हैं परंतु आत्मा जीवात्मा से भिन्न हैं, जीवात्मा ही मन के ना होने से यह पवित्र आत्मा होती हैं। आत्मा शुद्ध होती हैं। मन के कारण अहंकार होता और विषयों की आसक्ति होती हैं आत्मा इन के कारण
Jivan Ka Satya Kya Hai – जीवन का सत्य क्या हैं?
अध्यात्म में सत् (परम सत्य) कहां या बताया नहीं जा सकता बल्कि सत् को केवल उपलब्ध हुआ जाता हैं। सत् को उपलब्ध होना दिव्य अनुभूति हैं। इसे सम्बोधन के लिए समाधि, मोक्ष, परमगति, मुक्ति इत्यादि शब्द हैं। इस संसार में जो अजन्मा, अंतरहित, शाश्वत तत्व
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“ब्राह्मण सत्यम,जगत मिथ्या” | तात्पर्य
‘ब्राह्मण सत्यम,जगत मिथ्या’ वाक्य अद्वैत वेदांत दर्शन का सार है। केवल इसका उच्चारण कर इसके महत्व को नहीं जाना जाता बल्कि इसे वास्तविकता में समझने की आवश्कता हैं। इस महावाक्य को वास्तविकता में समझने पर ही जीव स्वयं का कल्याण करता हैं। इस आलेख में
ब्रह्म और परब्रह्म में अंतर | स्वरूप
चराचर में व्याप्त चेतन तत्व को शास्त्रों ने ब्रह्म नाम दिया हैं, किंतु परब्रह्म का अर्थ होता है सर्वोच्च ब्रह्म जिससे ब्रह्म और परब्रह्म के बीच अंतर जान पड़ता है। ध्यान का अंतिम लक्ष है ब्रह्म स्वरूप में विलीन हो जाना । ध्यान में उच्च
परमात्मा का स्वरूप, आत्म में परमात्मा के दर्शन
परमात्मा का स्वरूप परमात्मा संपूर्ण जीवों के शरीर के साथ संपूर्ण जगत को धारण करने वाली पवित्र आत्मा हैं, यह परमात्मा केवल एक हैं। यह कण-कण में विराजमान हैं । परमात्मा के बिना इस जगत की कल्पना भी नहीं की जा सकती । बिना इसके कुछ
आत्मा का आकार कैसा होता है?
आत्मा को लेकर ज्यादातर लोग अज्ञान के अंधकार में होते हैं, वे आत्मा को एक डरावना रूप देते हैं जिसे भूत, डायन और चुड़ेल आदि नामो से जाना जाता है, लेकिन ये असत्य हैं। आत्मा क्या है, आत्मा का आकार तथा आत्मा का सत्य क्या है
मन और आत्मा में क्या अंतर है?
आत्मा और मन मिलकर जीवात्मा कहीं जाति हैं परंतु आत्मा जीवात्मा से भिन्न हैं, जीवात्मा ही मन के ना होने से यह पवित्र आत्मा होती हैं। आत्मा शुद्ध होती हैं। मन के कारण अहंकार होता और विषयों की आसक्ति होती हैं आत्मा इन के कारण
भगवान कहां रहते हैं? वेदों के अनुसार जानिए 64 आयाम
हम अपने आस पास की प्रकृति जीवन को देखते हैं तो मन में यह प्रश्न आना साधारण हैं की इस की रचना किसने की होंगी। चंचल मन के कारण ये भी प्रश्न आते है की भगवान को किसने बनाया और भगवान कहां रहते हैं। प्राचीन