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ध्यान में परमात्मा का पहला अनुभव

ध्यान में परमात्मा का पहला अनुभव

ध्यान के द्वारा मन को विलीन कर के परमात्मा के दर्शन करना संभव हैं। जो योगी अभ्यास से ध्यान में उच्चतम सिद्धि प्राप्त करते हैं, उनके लिए परमात्मा में विलीन होना सहज हैं। किंतु अगर … पूरा पढ़िए→

गहरे ध्यान में कैसे जाएं ? प्रभावशाली उपाय

ध्यान में क्या सोचना चाहिए || ध्यान बीच की बाधा

जो लोग ध्यान की अवस्था नहीं जानते वे ध्यान में क्या सोचना चाहिए पूछते हैं। सबसे पहले तो हमे यह समझना है की ध्यान केवल वह नहीं है जिसे पूरी तैयारी से आसन लगाकर बैठ … पूरा पढ़िए→

ब्रह्म और परब्रह्म में अंतर | स्वरूप

ब्रह्म कौन है, ब्रह्म ज्ञान कैसे प्राप्त होता हैं.

ब्रह्म कौन हैं? ब्रह्म को कैसे जाने जिसे जाना ही नहीं जा सकता उसे कैसे जाने अगर हम जानते हैं इसके पीछे कारण होते हैं, गुण आकार आदि। लेकिन ब्रह्म निराकार, निर्गुण हैं, तो उसे … पूरा पढ़िए→

ध्यान कैसे करें? – गहरे ध्यान में प्रवेश करने के प्रभावशाली उपाय

ध्यान के द्वारा न केवल स्वयं का बल्कि जीवन मृत्यु के चक्र से परे परमसत्य तक का भी बोध प्राप्त होता हैं। तथा ध्यान में ऐसे गुण भी है जो किसी चमत्कार से कम नहीं … पूरा पढ़िए→

Hare Krishna Mantra: हरे कृष्ण हरे राम | जाप के दिव्य लाभ | महिमा

भगवान नाम जप के लिए कोई भी नियम या बंधन नहीं होता हैं, नाम जप का बीज चाहे कैसा भी बोए जाए ये फल देने ही वाले हैं, भगवान नाम का एक महामंत्र हैं। हरे … पूरा पढ़िए→

भगवान शिव के आगे 'श्री' क्यों नहीं लगाया नहीं जाता

भगवान शिव के नाम के आगे ‘श्री’ क्यों नहीं लगाया नहीं जाता

भगवान श्रीविष्णु, श्रीकृष्ण, श्रीराम के ‘श्री’ लगाया जाता है, परंतु भगवान शिव के आगे ‘श्री’ को नही लगाया जाता, इसके पीछे का कारण बहुत कम लोग जानते है, इसके पीछे के कारण को इस आलेख … पूरा पढ़िए→

Aham Brahmasmi अहम् ब्रह्मास्मि

अहम् ब्रह्मास्मि | महावाक्य का गहरा अर्थ और व्याख्या

  विज्ञापन ‘अहम् ब्रह्मास्मि ‘ महावाक्य का तात्पर्य अहम् ब्रह्मास्मि  सनातन का महावाक्य है, यह अद्वैत वेदांत के चार महावाक्यों में से एक हैं, यह विश्व के सबसे प्राचीन ग्रंथों में से एक यजुर्वेद के बृहदारण्यक … पूरा पढ़िए→

"ब्राह्मण सत्यम,जगत मिथ्या"

“ब्राह्मण सत्यम,जगत मिथ्या” | तात्पर्य

‘ब्राह्मण सत्यम,जगत मिथ्या’ वाक्य अद्वैत वेदांत दर्शन का सार है। केवल इसका उच्चारण कर इसके महत्व को नहीं जाना जाता बल्कि इसे वास्तविकता में समझने की आवश्कता हैं। इस महावाक्य को वास्तविकता में समझने पर … पूरा पढ़िए→

ब्रह्म और परब्रह्म में अंतर | स्वरूप

ब्रह्म और परब्रह्म में अंतर | स्वरूप

चराचर में व्याप्त चेतन तत्व को शास्त्रों ने ब्रह्म नाम दिया हैं, किंतु परब्रह्म का अर्थ होता है सर्वोच्च ब्रह्म जिससे ब्रह्म और परब्रह्म के बीच अंतर जान पड़ता है। विज्ञापन ध्यान का अंतिम लक्ष … पूरा पढ़िए→

परमात्मा का स्वरूप, आत्म में परमात्मा के दर्शन

परमात्मा का स्वरूप, आत्म में परमात्मा के दर्शन

परमात्मा का स्वरूप परमात्मा संपूर्ण जीवों के शरीर के साथ संपूर्ण जगत को धारण करने वाली पवित्र आत्मा हैं, यह परमात्मा केवल एक हैं। यह कण-कण में विराजमान हैं । परमात्मा के बिना इस जगत की … पूरा पढ़िए→

हरे कृष्ण! जय श्री राधेश्याम!

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