Param Satya Kya Hai | परम सत्य क्या हैं?, परमसत्य को प्राप्त कैसे हो सके?
इस भौतिक जगत में अगर जो कुछ भी उत्पन्न होता है या जन्म लेता है, वो समय के साथ नष्ट भी हो जाते हैं , सम्पूर्ण ब्रह्मांड ही उत्पन हुआ है और ये नष्ट भी
इस भौतिक जगत में अगर जो कुछ भी उत्पन्न होता है या जन्म लेता है, वो समय के साथ नष्ट भी हो जाते हैं , सम्पूर्ण ब्रह्मांड ही उत्पन हुआ है और ये नष्ट भी
कई लोग को जीवन को लेकर अपनी अपनी टिप्पणी देते हैं । जीवन को लेकर सबके विचार अलग-अलग हैं । जो जीवन में सुखी हैं वो जीवन को इश्वर का वरदान कहते हैं, जो दुखों
दुनिया भर के सभी धर्मो और संप्रदायों का सार अगर निकाले तो मोक्ष (Enlightenment) को प्राप्त करना जीवन का एक मात्र लक्ष होना चाहिए । लेकिन मोक्ष क्या है ये जानने के लिए जीवन को
Bhagwan Ko Kisne Banaya हम जब भी कोई अनजान वस्तु को देखते है । हमारे मन में प्रश्न आते है, यह क्या है कैसे बना या इसे किसने बनाया होंगा और ज्यादातर उत्तर हमे पता
भौतिक शरीर नश्वर है, समय के साथ शरीर का विकास होता है और एक समय पर रोग, हानि या बुढ़ापे के कारण शरीर की मृत्यु हो जाती हैं। जगत में आज तक जो भी भौतिक
इस लेख में समाधी क्या है? श्रीमद भागवत गीता में समाधी का वर्णन, और समाधि की अवस्था को कैसे पाया जा सकता है इन विषयों पर जानकारी दी गई है। अन्य पढ़े – आत्मज्ञान क्या
आत्म-ज्ञान क्या है? आत्म-ज्ञान क्या हैं? इसें हम इस प्रश्न में हुए शब्दों से ही समझ सकते हैं, जब आप स्वयं की और इशारा करते हैं तो आप स्वयं को ‘आत्म’ कहते हैं, जब ‘आत्म’
साधकों इस लेख में आप जीवात्मा, आत्मा और परमात्मा के बीच के अंतर को जानेंगे। गरूड़ पुराण, श्रीमद्भगवद्गीता इन धार्मिक ग्रंथों में हमें जीवात्मा आत्मा और परमात्मा के बारे में पर्याप्त ज्ञान मिलता हैं। जीवात्मा,
युगों-युगों से ही लोगों में परमात्मा को जानने की जिज्ञासा चली आ रही हैं, हमारे धार्मिक ग्रंथों में वर्णित मिलता हैं की यह संसार एक जीवन और मृत्यु का चक्र हैं जिसमे जीवात्मा झुझती हैं,
साधकों इस लेख में आपको आपके सत्य स्वरूप को पहचानने के बारे में जानकारी दी गई है। आत्मज्ञान यानी स्वयं का ज्ञान, चलिए जानते हैं आत्म ज्ञान क्या होता है और आत्म ज्ञान कैसे प्राप्त