“ब्राह्मण सत्यम,जगत मिथ्या” | तात्पर्य

"ब्राह्मण सत्यम,जगत मिथ्या"

‘ब्राह्मण सत्यम,जगत मिथ्या’ वाक्य अद्वैत वेदांत दर्शन का सार है। केवल इसका उच्चारण कर इसके महत्व को नहीं जाना जाता बल्कि इसे वास्तविकता में समझने की आवश्कता हैं। इस महावाक्य को वास्तविकता में समझने पर ही जीव स्वयं का

ब्रह्म और परब्रह्म में अंतर | स्वरूप

ब्रह्म और परब्रह्म में अंतर | स्वरूप

चराचर में व्याप्त चेतन तत्व को शास्त्रों ने ब्रह्म नाम दिया हैं, किंतु परब्रह्म का अर्थ होता है सर्वोच्च ब्रह्म जिससे ब्रह्म और परब्रह्म के बीच अंतर जान पड़ता है। ध्यान का अंतिम लक्ष है ब्रह्म स्वरूप में विलीन

परमात्मा का स्वरूप, आत्म में परमात्मा के दर्शन

परमात्मा का स्वरूप, आत्म में परमात्मा के दर्शन

परमात्मा का स्वरूप परमात्मा संपूर्ण जीवों के शरीर के साथ संपूर्ण जगत को धारण करने वाली पवित्र आत्मा हैं, यह परमात्मा केवल एक हैं। यह कण-कण में विराजमान हैं । परमात्मा के बिना इस जगत की कल्पना भी नहीं की

आत्मा का आकार कैसा होता है?

आत्मा का आकार कैसा होता है?

आत्मा को लेकर ज्यादातर लोग अज्ञान के अंधकार में होते हैं, वे आत्मा को एक डरावना रूप देते हैं जिसे भूत, डायन और चुड़ेल  आदि नामो से जाना जाता है, लेकिन ये असत्य हैं। आत्मा क्या है, आत्मा का आकार

मन और आत्मा में क्या अंतर है?

मन और आत्मा में क्या अंतर है

आत्मा और मन मिलकर जीवात्मा कहीं जाति हैं परंतु आत्मा जीवात्मा से भिन्न हैं, जीवात्मा ही मन के ना होने से यह पवित्र आत्मा होती हैं। आत्मा शुद्ध होती हैं। मन के कारण अहंकार होता और विषयों की आसक्ति

Jivan Ka Satya Kya Hai – जीवन का सत्य क्या हैं?

अध्यात्म में सत् (परम सत्य) कहां या बताया नहीं जा सकता बल्कि सत् को केवल उपलब्ध हुआ जाता हैं। सत् को उपलब्ध होना दिव्य अनुभूति हैं। इसे सम्बोधन के लिए समाधि, मोक्ष, परमगति, मुक्ति इत्यादि शब्द हैं। इस संसार

मृत्यु क्या है श्रीमद भागवतगीता के अनुसार | Mrityu Kya Hai Bhagwat Geeta

मृत्यु किस स्थिति, स्थान और समय पर हो जाएं कोई नहीं कह सकता, जितना कोई साधारण व्यक्ति मृत्यु के बारे में सोच सकता है और जानता है, मृत्यु के पश्चात जीव संसार से चले जाते हैं,और वापिस कभी नहीं

बंधन क्या होता हैं? | जीवात्मा का बंधन

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बंधन क्या होता हैं ? बंधन का अर्थ बंधन अलग-अलग प्रकार का हो सकता है, लेकिन बंधन का अर्थ केवल एक ही है, जो मुक्ति से वंचित रखता है उसे बंधन ही कहां जाएंगा,अगर मुक्ति संभव है लेकिन मुक्ति

Param Satya Kya Hai | परम सत्य क्या हैं?, परमसत्य को प्राप्त कैसे हो सके?

परम सत्य क्या हैं ? परम सत्य को प्राप्त कैसे हो सके?

इस भौतिक जगत में अगर जो कुछ भी उत्पन्न होता है या जन्म लेता है, वो समय के साथ नष्ट भी हो जाते हैं , सम्पूर्ण ब्रह्मांड ही उत्पन हुआ है और ये नष्ट भी होंगा। जो उत्पन्न होता

Jivan Kya Hai | जीवन क्या हैं? | आत्मा साक्षी

जीवन और संसार क्या हैं

कई लोग को जीवन को लेकर अपनी अपनी टिप्पणी देते हैं । जीवन को लेकर सबके विचार अलग-अलग हैं । जो जीवन में सुखी हैं वो जीवन को इश्वर का वरदान कहते हैं, जो दुखों से युद्ध कर रहे