Jivan Ka Satya Kya Hai – जीवन का सत्य क्या हैं?

अध्यात्म में सत् (परम सत्य) कहां या बताया नहीं जा सकता बल्कि सत् को केवल उपलब्ध हुआ जाता हैं। सत् को उपलब्ध होना दिव्य अनुभूति हैं। इसे सम्बोधन के लिए समाधि, मोक्ष, परमगति, मुक्ति इत्यादि

मृत्यु क्या है श्रीमद भागवतगीता के अनुसार | Mrityu Kya Hai Bhagwat Geeta

मृत्यु किस स्थिति, स्थान और समय पर हो जाएं कोई नहीं कह सकता, जितना कोई साधारण व्यक्ति मृत्यु के बारे में सोच सकता है और जानता है, मृत्यु के पश्चात जीव संसार से चले जाते

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बंधन क्या होता हैं? | जीवात्मा का बंधन

बंधन क्या होता हैं ? बंधन का अर्थ बंधन अलग-अलग प्रकार का हो सकता है, लेकिन बंधन का अर्थ केवल एक ही है, जो मुक्ति से वंचित रखता है उसे बंधन ही कहां जाएंगा,अगर मुक्ति

परम सत्य क्या हैं ? परम सत्य को प्राप्त कैसे हो सके?

Param Satya Kya Hai | परम सत्य क्या हैं?, परमसत्य को प्राप्त कैसे हो सके?

इस भौतिक जगत में अगर जो कुछ भी उत्पन्न होता है या जन्म लेता है, वो समय के साथ नष्ट भी हो जाते हैं , सम्पूर्ण ब्रह्मांड ही उत्पन हुआ है और ये नष्ट भी

जीवन और संसार क्या हैं

Jivan Kya Hai | जीवन क्या हैं? | आत्मा साक्षी

कई लोग को जीवन को लेकर अपनी अपनी टिप्पणी देते हैं । जीवन को लेकर सबके विचार अलग-अलग हैं । जो जीवन में सुखी हैं वो जीवन को इश्वर का वरदान कहते हैं, जो दुखों

मोक्ष क्या है ? | मोक्ष प्राप्ति के उपाय जानिए – Moksh Kya Hai Prapti Ke Upay

दुनिया भर के सभी धर्मो और संप्रदायों का सार अगर निकाले तो मोक्ष (Enlightenment) को प्राप्त करना जीवन का एक मात्र लक्ष होना चाहिए । लेकिन मोक्ष क्या है ये जानने के लिए जीवन को

Mrityu Ke Baad Kya Hota Hai

गरूड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद क्या होता है?, यहां जानें | Mrityu Ke Baad Kya Hota Hai

भौतिक शरीर नश्वर है, समय के साथ शरीर का विकास होता है और एक समय पर रोग, हानि या बुढ़ापे के कारण शरीर की मृत्यु हो जाती हैं। जगत में आज तक जो भी भौतिक

Samadhi Kya Hai

समाधि क्या हैं? समाधि का अनुभव कैसा है? – Samadhi Kya Hai

इस लेख में समाधी क्या है? श्रीमद भागवत गीता में समाधी का वर्णन, और समाधि की अवस्था को कैसे पाया जा सकता है इन विषयों पर जानकारी दी गई है। अन्य पढ़े – आत्मज्ञान क्या

आत्म-ज्ञान क्या हैं? – आत्म-ज्ञान की अनुभूति – Atma Gyan Kya Hai

आत्म-ज्ञान क्या है? आत्म-ज्ञान क्या हैं? इसें हम इस प्रश्न में हुए शब्दों से ही समझ सकते हैं, जब आप स्वयं की और इशारा करते हैं तो आप स्वयं को ‘आत्म’ कहते हैं, जब ‘आत्म’

जीवात्मा, आत्मा और परमात्मा में क्या अंतर है?

साधकों इस लेख में आप जीवात्मा, आत्मा और परमात्मा के बीच के अंतर को जानेंगे। गरूड़ पुराण, श्रीमद्भगवद्गीता इन धार्मिक ग्रंथों में हमें जीवात्मा आत्मा और परमात्मा के बारे में पर्याप्त ज्ञान मिलता हैं। जीवात्मा,