समाधि क्या हैं – श्रीमद् भगवद्गीता के अनुसार
योग की सबसे उच्चतम अवस्था को समाधि कहा जाता हैं। जो योगी समाधि को प्राप्त होता हैं उसके समस्त कर्म परमात्मा में विलीन हो जाते
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योग की सबसे उच्चतम अवस्था को समाधि कहा जाता हैं। जो योगी समाधि को प्राप्त होता हैं उसके समस्त कर्म परमात्मा में विलीन हो जाते
कुंडलिनी योग गैरमामुली हैं । यह जीवन शक्ति, ऊर्जा, तेज से भरपूर हैं। अगर किसी साधक की एक बार कुंडलिनी शक्ति जागृत हो जाती हैं,
हमारे धार्मिक ग्रंथों में ज्ञान की विस्तारित बातें लिखी हुई हैं। इनसे मनुष्य जीव आत्म के कल्याण के पथ को चुनने में जागरूक होता हैं
ध्यान में गहरा उतरने से आत्मा का बोध होता हैं जिसे आत्मज्ञान केहेतें हैं । लेकिन आत्मा को इंद्रियों और बुद्धि से नहीं जाना जा
आत्मा शब्द सामने आते ही किसीका चौकन्ना हो जाना स्वाभाविक बात हो गई हैं, इसका कारण समाज में फैली अज्ञानता हैं, लोग आत्मा को लेकर
मन को शांत और नियंत्रित कैसे करें. अगर मन में लगातार उथल-पुथल होती रहती हैं। तो यह गंभीर समस्या बन सकती हैं, अगर मन को
नींद और समाधि में समानता भी हैं और ये दोनों अवस्थाएं एक दूसरे से अगल भी हैं। नींद और समाधि में अंतर और समानता को
ध्यान के द्वारा मन और अहंकार को विलीन कर के परमात्मा के दर्शन करना संभव हैं। जो योगी अभ्यास से ध्यान में उच्चतम सिद्धि प्राप्त
ब्रह्म कौन हैं? ब्रह्म को कैसे जाने जिसे जाना ही नहीं जा सकता उसे कैसे जाने अगर हम जानते हैं इसके पीछे कारण होते हैं,
‘अहम् ब्रह्मास्मि ‘ महावाक्य का तात्पर्य अहम् ब्रह्मास्मि सनातन का महावाक्य है, यह अद्वैत वेदांत के चार महावाक्यों में से एक हैं, यह विश्व के