Vaishnava YOGA

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'तत् त्वम् असि' क्या है समझिए 

तत् त्वम् असि | तुम ही वह हो | क्या है समझिए

ऋषियों ने साधना में सिद्धि से महाज्ञान प्राप्त किया और जैसा देखा वैसा ही नई पीढ़ी के लिए लिख दिया | ‘तत् त्वम् असि’ यह श्लोक छांदोग्य उपनिषद का है | ‘तत् त्वम् असि’ का अर्थ है “वह तुम ही हो” या “वह ब्रह्म तुम ही हो” ‘तत् त्वम् असि’ क्या है इस समझने के लिए इस लेख को पढ़िए |

अहम् ब्रह्मास्मि | माया के परे स्व का परम स्वरूप यानी ब्रह्म-स्वरूप 

अहम् ब्रह्मास्मि | माया के परे स्व का परम स्वरूप यानी ब्रह्म-स्वरूप    “अहम् ब्रह्मास्मि” यह श्लोक योग की बहुत ही गहराई में उतरने के

परब्रह्म कौन है –

  वैदिक, वैष्णव, शैव, शाक्त इत्यादि संप्रदायों में जिसे महाविष्णु, सदाशिव, शक्ति, और दुर्गा इत्यादि कहा जाता है; ये एक ही परम ब्रह्म के विविध

आत्मज्ञान प्राप्ति के लिए आवश्यक तत्व

आत्मज्ञान साक्षात्कार से साधक अपने सच्चे स्वरूप को प्राप्त होता है; वही स्वरूप सत्य है। जो साधक आत्मिक उन्नति के लिए जागृत है; उन्होंने निसंदेह

adhyatmikta kya hai

आध्यात्मिकता क्या हैं | आध्यात्मिक व्यक्ति के दैवी गुण

आध्यात्मिकता के बारे समाज में कई बाते होती रहती हैं, लोगों का मानना हैं को आध्यात्मिकता जीवन जीने का तरीका है जो सामान्य जीवन से

bhagavad gita padhne ke fayde

श्रीमद्भगवत गीता पढ़ने के जीवन को सार्थक करने वाले लाभ

श्रीमद्भगवत गीता कैसे पढ़ें और पढ़ने के लाभ इसमें तनिक भी संदेह नहीं किया जा सकता, श्रीमद्भगवत गीता भक्ति, योग के विषय में प्राप्त समस्त

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