Dhyan Ke Fayde: ध्यान करने के 15 बेहेतरीन फ़ायदे
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Dhyan Ke Fayde: ध्यान करने के 15 बेहेतरीन फ़ायदे

ध्यान एक सर्वोत्तम योग क्रिया हैं, इससे आम अशांत और भागदौड़ वाले जीवन में अद्भुत क्रांति संभव हैं , ध्यान शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक तीनों के लिए लाभदायक हैं, ध्यान के महत्व को प्राचीन ग्रंथों में जैसे वेद, उपनिषद और अन्य शास्त्रों में बताया गया हैं। साथ ही आधुनिक विज्ञान भी अपने शोधों के परिणाम से विश्वभर में ध्यान के गुणगान करता हैं।

ध्यान व्यक्ति की चेतना को मन से परे ले जाता हैं तथा ध्यान की उच्चतम अवस्था ब्रह्म तत्व में विलीन हो जाना जिसे समाधि भी कहते हैं यह व्यक्ति के मन और इस मन ने बनाए भौतिक संसार से मुक्ति हैं, और परम वास्तविकता का दर्शन हैं।

नियमित ध्यान करने से कई लाभ हो सकते हैं, इस लेख में ध्यान से होने वाले इन्हीं लाभों के बारे में चर्चा करेंगे।

Dhyan Ke Fayde: ध्यान (Meditation) करने के 15 अद्भुत लाभ

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ध्यान करने के फायदे।

अवश्य पढ़े: ध्यान क्या हैं और ध्यान कैसे किया जाता हैं 

मानसिक तनाव से मुक्ति

मानसिक तनाव निर्माण होने का मूल कारण भौतिक संसार हैं, यह भौतिक संसार मन ने इंद्रियों से बनाया हैं, और इस भौतिक संसार में होने वाली कुछ घटनाओं के कारण व्यक्ति ऐसा फस जाता हैं की वह अपने अंदर मानसिक तनाव को निर्माण करता हैं, ध्यान करने से चेतना को मन के परे ले जाया जाता हैं, जिससे मन का अस्तित्व ध्यान के दौरान थोड़ी देर के लिए समाप्त हो जाता हैं, और इसी के साथ मानसिक तनाव से भी मुक्ति मिल जाती हैं।

विषाद और बैचेनी को दूर करता हैं।

आयुर्वेद में लिखा हैं, ध्यान से शरीर में प्राण का स्तर बढ़ता हैं , ये विषाद और बैचेनी को दूर रखने में सहायक हैं।

आत्मज्ञान प्राप्त होता हैं।

आत्मज्ञान यानी स्वयं का ज्ञान ( मैं कोई हूं) इस प्रश्न का उत्तर मन को साथ लेकर अलग हैं, किंतु मन के अज्ञान को नष्ट करने के बाद इस प्रश्न का उत्तर ब्रह्म तत्व या शुद्ध आत्मा है, आत्मा मन और इंद्रियों से परे हैं। इसे जानने के लिए स्वयं को मन और इंद्रियों से भिन्न जानना होता हैं। आत्मज्ञान प्राप्त होने पर या स्वयं को अद्वैत निर्गुण शुद्ध आत्मा जानकर व्यक्ति अपना मन और शरीर क्या है और क्या करता इसे भी जान जाता हैं ।

चेतना के आनंद का अनुभव करना

भौतिक सांसारिक आसक्ति, मन और इंद्रियों के परे जो चेतना हैं यह अपने आपमें ही सर्वोत्तम आनंद हैं। यह मुक्ति हैं, ध्यान होने से व्यक्ति यही अवस्था को प्राप्त करता हैं। इस अवस्था को प्राप्त करने पर व्यक्ति मन के बंधनों को पार कर स्वतंत्र और भावना से अभिभूत हो जाता हैं।

मोक्ष को प्राप्त हुआ जाता हैं।

ध्यान करने से व्यक्ति सांसारिक विषयों की आसक्ति से मुक्त होता हैं और सांसारिक बंधनों से मुक्त होता हैं, और मोक्ष को प्राप्त होता हैं।

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काम, क्रोध, लोभ, मोह और घृणा का नाश होता हैं।

किसी व्यक्ति में काम, क्रोध, लोभ, मोह और घृणा इत्यादि आसुरी गुणों का विकास तब होता हैं जब वह सांसारिक सुखों का भोक्ता बनाने की चेष्टा करता हैं और उसमे अहम का अहंकार निर्माण होता हैं। ध्यान करना इन समस्त आसुरी गुणों की नष्ट करने का उत्कृष्ट साधन हैं। केवल एक बार अगर कोई आसुरी गुणों से युक्त व्यक्ति ध्यान करता हैं तो यह गुण तत्काल ही नष्ट हो जाते हैं। परंतु कुछ समय बाद व्यक्ति पुनः इन गुणों को धारण कर लेता हैं अगर नियमित ध्यान किया जाता हैं तो मन इन गुणों को पुनः धारण नहीं करता हैं।

करुणा, दया, प्रेम, सहनशीलता में विकास होता हैं।

ध्यान घटित होने पर सांसारिक विषयों की आसक्ति नष्ट हो जाती हैं और व्यक्ति अपने विचारों को पवित्र करता हैं, इसी के साथ व्यक्ति में करुणा, दया और सहनशीलता में विकास होता हैं।

स्मरण शक्ति का विकास।

नियमित ध्यान करने से व्यक्ति की स्मरण शक्ति में भी विकास होता हैं, उम्र बढ़ने के साथ लोगों की स्मरण शक्ति कम हो जाती हैं ध्यान इस समस्या की भी दूर रखने में कारगर हैं।

भावनाओं पर नियंत्रण होता हैं।

ध्यान करने से मन की भावनाओं पर उत्कृष्ट नियंत्रण प्राप्त होता हैं, जिससे व्यक्ति स्वयं को समझदार बनाता हैं और आसानी से भावना पर नियंत्रण करना सीख जाता हैं ।

मन की एकाग्रता में बाधा लाने वाले विषयों से मुक्ति प्राप्त होती हैं।

ध्यान के बिना व्यक्ति जीवन के कर्तव्य को भूल जाता हैं और अनावश्यक विषयों पर मोहित हो जाता हैं, और भटक जाता हैं, ध्यान इस समस्या को जड़ से ही नष्ट कर देता हैं व्यक्ति की ध्यान घटित होने से अनावश्यक चीजों का मूल्य समाप्त हो जाता हैं और केवल वही कर्तव्य शेष रेहेता हैं, यह मन को एकाग्र करने में सहायक हैं।

व्यक्ति स्वयं के स्वभाव में सुधार करता हैं।

नियमित ध्यान करने वाला व्यक्ति सहज ही अपने स्वभाव को बेहेतर करना सीख जाता हैं। शांत और सौम्य स्वभाव में विकास होता हैं।

आत्मविश्वास निर्माण होता हैं।

ध्यान करने वाले व्यक्ति में ध्यान न करने वाले व्यक्ति से ज्यादा आत्मविश्वास होता हैं। ध्यान न करने वाला व्यक्ति संसार के कारण उलझ जाता हैं और अपने अंदर तनाव की निर्माण करता रहता हैं और अपना आत्मविश्वास खो बैठता हैं। ध्यान करने से व्यक्ति स्वयं को बेहेतर जनता हैं मानसिक तनाव को कम करने लगता है जिससे उसमे आत्मविश्वास भी बढ़ने लगता हैं।

अच्छी नींद आती हैं।

ध्यान करने से मन को विश्राम देने का अभ्यास होता हैं , अनावश्यक विचार नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति नींद में स्वयं को बेहेतर विश्राम दे सकता हैं।

उम्र बढ़ने की शारीरिक प्रक्रिया धीमी हो जाती हैं।

एक शोध में पाया गया है की ध्यान करने वाले व्यक्ति की शारीरिक उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी गति पकड़ लेती हैं जिससे व्यक्ति ज्यादा उम्र होने पर भी जवान लगता हैं। इसी के साथ और बुढ़ापे के कारण होने वाले ज्यादातर रोग भी उससे दूर रहते हैं।

निराशा, नकारत्मता का नाश होता हैं, और आत्मविश्वास बढ़ता हैं।

ध्यान से दिमाग को आराम मिलता है और ध्यान वेगस तंत्रिका को उत्तेजित कर सकता है, जो व्यक्ति में सकारात्मक भावनाओं और आराम को बढ़ावा देता है।ध्यान से व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता हैं और निराशा नकारात्मकता उससे दूर रहती है।

निष्कर्ष;

ध्यान करने से व्यक्ति को कई शारीरिक, मानसिक और आधात्मिक फायदे होते हैं, ध्यान और योग को जीवन ने अपनाना एक उत्कृष्ट हैं।

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा डॉक्टर या विशेषज्ञ से सलाह लें।

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