भगवान शिव के अनन्य भक्त शिव का स्मरण करते है; वे “ॐ नमः शिवाय” इस मंत्र का जाप करते है | यह मंत्र बहुत ही शक्तिशाली और महत्वपूर्ण मंत्र माना जाता है | इसका जाप शिव की कृपा और आध्यात्मिक उन्नति करने के लिए किया जाता है |
यह मंत्र प्राचीन काल से ही शिव भक्तों का प्रमुख है इस इस मंत्र का अर्थ इसके शब्दों से कई अधिक है | इस मंत्र की ध्वनि अपने में गहरा रहस्य छिपाए रखती है | इस मंत्र की शक्ति को अनुभव करने वालें इस मंत्र की ध्वनि और समग्र अस्तित्व में समता का अनुभव करते है |
भगवान शिव का शरणार्थी मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ आपार दुःख, कष्टों से लड़ने का शस्त्र है ऐसा इसलिए क्योंकि इसका जाप करने वाला साधक स्वयं में भावनात्मक, मानसिक और आध्यामिक शक्ति को जागृत करता है |
शास्त्रों ने “ॐ नमः शिवाय” को महामंत्र माना है, शिव पुराण में इस मंत्र के बारे में लिखा है की – इस मंत्र का महत्व को शब्दों द्वारा व्यक्त करना असंभव है |
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“ॐ नमः शिवाय” मंत्र जाप का महत्व
भगवान शिव का शरणार्थी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का श्रद्धा पूर्वक जाप करने से व्यक्ति मानसिक सुधार और आध्यात्मिक उन्नति को प्राप्त करता है | योग में सिद्धि प्राप्त करने के लिए भी यह मंत्र प्रभावी है इसका जाप सिद्ध योगी करते है | जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाकर जीवन के परम उद्देश यानी शिव को प्राप्त करने के लिए “ॐ नमः शिवाय” मंत्र प्रभावी उपाय है |
शिव भौतिकता से परे विशुद्ध चेतना है शिव को प्राप्त होना ही परमपद है | मन की एकाग्रता से निरंतर इस मंत्र का जाप करना शिवमय होने का उत्तम उपाय है |
इस मंत्र का मानसिक जाप सत्य, अहिंसा, क्षमा, सरलता और आत्मिक सुख जैसे सदगुणों को बढ़ावा देता है | इसके जाप से जन्ममरण का चक्र टूट जाता है और परम चेतना शिव के साथ एकता का अनुभव होता है |
आत्मज्ञान साक्षात्कार करने के लिए भी इस मंत्र का मानसिक जाप प्रभावी है इनके जाप में स्वयं को लीन कर जगत और माया और सत्य का बोध होता है |
शिव का यह मंत्र ओंकार यानी ‘ॐ’ और शिव के पंचाक्षरी मंत्र ‘नमः शिवाय’ का मेल है |
‘ॐ’ की ध्वनि समग्र अस्तित्व यानी ब्रह्मांड को सूचित करती है |
‘नमः शिवाय’ पंचाक्षरी मंत्र है इसका अर्थ है ‘शिव को नमन करना’ या “मैं शिव को नमन करता हूं”, यह मंत्र व्यक्तिगत अहंकार यानी ‘अहम’ का शिव यानी परम् चेतना (परमात्मा) सत्य को समर्पित होना दर्शाता है |
शिव का पंचाक्षरी मंत्र में (नमः शिवाय) ना, मा, शि, वा और या समाहित है, ये पांच ध्वनियां पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करती है और ‘ॐ’ आत्म तत्व को संकेत देता है |
- ‘ॐ’ – शिवतत्व, निर्गुण ब्रह्म
- ‘ना’ – पृथ्वी तत्व
- ‘मा’ – जल तत्व
- ‘शि’ – अग्नि तत्व
- ‘वा’ – वायु तत्व
- ‘या’ – आकाश तत्व
इस मंत्र की ध्वनि पंचतत्व और शिवतत्व का संकेत है पंचतत्व यानी भौतिकता और शिवतत्व यानी जो इस भौतिक से परे है ‘ॐ’ और ‘नमः शिवाय’ यानी पंचतत्व से बना शरीर और आत्मा शिवतत्व में सामजन्य लाने से साधक परमशांति को प्राप्त होता है |
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“ॐ नमः शिवाय” मंत्र जाप के लाभ
- ध्यान में उन्नति होती है – इस मंत्र का जाप निरंतर जाप करने वाला साधक मन की एकाग्रता और निर्मलता को साधता है |
- उच्चबुद्धि को साधा जाता है – इस मंत्र का निरंतर जाप करने से व्यक्ति में मानसिक सुधार होता है और बुद्धि पर उत्तम नियंत्रण प्राप्त किया जाता है |
- मानसिक शांति मिलती है – भाव पूर्वक एकाग्रता से “ॐ नमः शिवाय” मंत्र जाप से मानसिक तनाव और चिंता पर नियंत्रण पाया जा सकता है | जो साधक नियमित इस मंत्र का जाप करते है वे सहज ही मानसिक तनाव और चिंता दूर रख पाने में सफल बनाते है |
- काम, क्रोध, लोभ, मोह, घृणा, विषाद और भय से मुक्ति होती है – भगवान शिव के इस मंत्र का निरंतर जाप करने से मन के विकार और बुराइयों से मुक्ति मिलती है |
- सांसारिक विषयों और भोगों से आसक्ति नष्ट होती है – भगवान शिव वैराग्य के प्रतीक है भगवान शिव पर श्रद्धा और उनकी इस मंत्र के जाप से आराधना करने से साधक को वैराग्य की प्राप्ति होती है |
- आध्यात्मिक उन्नति होती है और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है – “ॐ नमः शिवाय” इस मंत्र का जाप सह ध्यान अभ्यास करने वालें साधकों को आध्यात्मिक बुद्धि और आत्मज्ञान साक्षात्कार घटित होता है |
- भय से मुक्ति मिलती है – इस मंत्र का जाप करना भय और नकरात्मक भावना पर नियंत्रण पाने का उत्तम उपाय है, इससे भय को जीता जाता है |
- आत्मज्ञान साक्षात्कार होता है – यह मंत्र की साधना प्राचीन काल से ही आत्मज्ञान प्राप्ति करने के लिए उत्तम उपाय बताया जाता है, ऋषियों इसके जाप से ज्ञान प्राप्त किया | इस मंत्र का निरंतर जाप से आत्म के बंधन यानी अहंकार, आसक्ति का नाश होता है और शुद्ध चेतना ब्रह्मांड एकता को प्राप्त किया जाता है |
- मोक्ष प्राप्त होता है – श्रद्धा और समर्पण के भाव से इस “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का निरंतर जाप करते रहकर सभी भौतिकता के बंधनों से मुक्ति होती है साधक को ब्रह्म मोक्ष की प्राप्ति होती है; साधक भौतिकता और जन्म-मृत्यु के पार निकलकर ब्रह्म को प्राप्त हो जाता है |
ॐ नमः शिवाय मंत्र जाप विधि
इस मंत्र का जाप करने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले का समय और संध्या सूर्यास्त का समय उत्तम माना जाता है, लेकिन इस मंत्र का जाप किसी भी समय करना भी उचित ही है |
- मंत्र जाप करने के लिए एकांत और शांत स्थान को चुनिए – “ॐ नमः शिवाय” मंत्र जाप करने के लिए एकांत और शांत स्थान का चयन करना उत्तम है यहां बाधा आने की संभावना बहुत कम होती है और साधक एकाग्रता से जाप कर सकता है |
- ध्यानात्मक आसन में बैठकर जाप कीजिए – मंत्र जाप करते हुएं पीठ को सीधा रखना आवश्यक होता है, अगर लेटकर या पीठ को टिककर जाप करेंगे तो नींद और आलस आ जायेगा |
- मंत्र की धुन पर मन को एकाग्र करें – “ॐ नमः शिवाय” मंत्र जाप करते हुए मन को एकाग्र रखने का प्रयत्न करें, केवल भीतर मंत्र रहें और अन्य विषय विलुप्त होने लगे |
- नियमित जाप कीजिए – इस मंत्र का निरंतर जाप कीजिए और मन पर नियंत्रण पाने में सफल बने एक दिन या दो दिनों में इसके लाभ नहीं देखें जाते परंतु नियमित जाप में लीन होकर शीघ्र इसका प्रभाव पड़ता है |
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