सम्पूर्ण जगत में ही भगवान श्री कृष्ण की पूजा होती हैं । अलग-अलग मान्यता वाले भक्त अलग-अलग तरह से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं। कोई भगवान के बाल स्वरूप यानी लड्डू गोपाल की सेवा करते हैं, तो कोई भगवान के मुरलीधर स्वरूप की पूजा और आरती करते हैं। संन्यासी भगवान श्री कृष्ण को अपना स्वामी कहकर निरंतर मंत्र जाप और भगवान की सेवा करते हैं।
भगवान श्री कृष्ण की श्रद्धा भाव से पूजा करने से भक्तों को अद्भुत लाभ भी प्राप्त हुआ है । जानिए भगवान श्री कृष्ण की पूजा कैसे करे, पूजा करने का सही अर्थ क्या हैं, और पूजा से क्या लाभ प्राप्त होते हैं.
भगवान श्री कृष्ण की पूजा का सही अर्थ क्या है?
भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवतगीता में कहां है उन्हे अपने भक्तों से किसी खास विधि विधानों का पालन किए जाने की आवश्कता नहीं हैं। बल्कि उन्हें पूजते समय भक्त के भाव और श्रद्धा से ही पूजा संपन्न हो सकती हैं।
भगवान श्री कृष्ण की पूजा किसी भी पद्धति से की जाएं उसमे श्रद्धा भाव और प्रेम हों तो केवल एक तुलसी का पत्ता ही या चावल का दाना ही भगवान को चढ़ाने से वे भक्त के प्रेम से कई ज्यादा प्रेम पूर्वक उसे स्वीकार करते हैं।
जिस पूजा में भगवान के प्रसन्न करने के लिए विशेष तामझाम किया हो और उस पूजा के प्रति भक्त को गर्व हो जाएं ऐसी पूजा तो पूजा न करने के ही समान मानी जाती हैं।
अगर किसी भक्त में भगवान के लिए श्रद्धा और प्रेम हो और वो प्रेम पूर्वक भगवान की पूजा करना चाहता है तो पूजा का अवसर स्वयं भगवान ही भक्त को देते हैं। भक्त भगवान के प्रेम और भक्ति में रहकर कब पूजा करता है उसे इस घटना का भान नहीं होता हैं।
भगवान श्री कृष्ण की पूजा कैसे करें
भगवान श्री कृष्ण की पूजा कैसे करे यह आपके प्रेम और भक्ति पर निर्भर करता हैं अगर आपका भगवान से स्वयं कोई संबंध मानते हैं और भगवान को अपना मानते है, तो उस संबंध से भगवान की पूजा कर सकते हैं।
भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा या सेवा कैसे की जाती है । आप इस आलेख को पढ़कर जान सकते है।
कई भक्त भगवान के मुरलीधर स्वरूप श्री राधा देवी के साथ पूजा और आरती करते हैं। और राधे–राधे का जाप करते हैं। भगवान के इस स्वरूप की पूजा ज्यादातर सामूहिक मंदिरों में ही की जाती है लेकिन कई भक्त इस स्वरूप को उनके घर पर विराजमान करते हैं।
भगवान के मुरलीधर स्वरूप की पूजा विधि
- भगवान के विग्रह रूप को पंचामृत अभिषेक कीजिए।
- पंचामृत अभिषेक के बाद शुद्ध गंगाजल से स्नान कराएं, गंगा जल नही है तो साधारण जल का भी उपयोग कर सकते हैं, जल पूजा के योग्य हों शुद्ध और ज्यादा गर्म भी नही हो और ज्यादा ठंडा भी न हों
- भगवान के विग्रह पर कपड़े पहनाएं और मुकुट, बसुरी और आभूषण पहनाएं।
- पीले चंदन से वैष्णव तलक लगाए।
- दीपक जलाएं।
- धूपबत्ती और अगरबत्ती जलाएं और भगवान को धूप अर्पण करें। ज्यादा धूप न फैलाए सिर्फ सुदंध फैल सके इतना ही जलाएं।
- भगवान को पुष्पमाला पहनाएं, माला में पीले झंडू पुष्प भी रखें।
- भगवान के चरणों में पत्र, पुष्प, फल अर्पित करें।
- भगवान को प्रार्थना करें की वे आपको उनके चरणों में आजीवन भक्ति प्रदान करें।
- भगवान के सामने रखा रहकर श्रद्धापूर्वक आरती करें।
- आरती के बाद भगवान के सामने दंडवत प्रणाम करें।
- दिन में किसी भी समय माला के साथ मंत्र जाप करें, मंत्र जाप ध्यान के अवस्था में ही बैठकर करना उत्तम है।
- किसी भी वस्तु को और अन्न को ग्रहण करने से पहले श्रद्धापूर्वक भगवान को भोग लगाएं।
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भगवान श्री कृष्ण की पूजा के लाभ
भगवान के प्रति श्रद्धा प्रेम भक्ति और समर्पण रखने से भक्त जीवन में अद्भुत लाभ प्राप्त करता हैं चलिए जानते है ये अद्भुत लाभ.
- भक्त आध्यात्मिक उन्नति करता है।
- भक्त जीवन के दुखों और समस्याओं से लढ़ने की शक्ति प्राप्त करता है।
- भौतिक विषयों की आसक्ति को त्याग देता हैं।
- जीवन में परम सुख या परम आनंद प्राप्त करता है।
- चेहरे पर तेज निर्माण होता हैं।
- जीवन में प्रेम की लहर आती हैं।
- हृदय प्रेम से भर जाता हैं।
- कृष्ण को पूर्ण समर्पण कर भक्त आत्मा को कृष्णमय करता है, जिससे दिव्य सुख का अनुभव होता हैं।
- भक्त उच्च आध्यात्मिक लोकों को प्राप्त होता हैं।
- भक्त को भगवान के परम पूज्य वैकुंठ धाम में प्रवेश प्राप्त होता हैं।
निष्कर्ष
भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और पूजा करने में उनके प्रति प्रेम और भक्ति का विशेष महत्व है भगवान आपसे सिर्फ प्रेम को प्राप्त करते है पूजा तो बस एक बहाना हैं।