भगवान नाम जप के लिए कोई भी नियम या बंधन नहीं होता हैं, नाम जप का बीज चाहे कैसा भी बोए जाए ये फल देने ही वाले हैं, भगवान नाम का एक महामंत्र हैं। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे , हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे || इस मंत्र को एक महा मंत्र कहा जाता है , परमपिता ब्रह्मा जी ने काली-संतारण उपनिषद में इस मंत्र की महिमा को गाया हैं, चैतन्य महाप्रभु, श्रील प्रभुपाद, और वैष्णव संप्रदायो इस महामंत्र का जाप कर अनंत कल्याण के भागीदारी सुनिश्चित होते हैं ।
इस लेख में भगवान नाम महामंत्र की महिमा, हिंदी अर्थ और जाप के फलों के बारे में चर्चा करेंगे.
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हरे राम हरे कृष्ण महामंत्र का अर्थ
इस मंत्र में भगवान श्रीकृष्ण, श्रीराम के नाम के जाप के और साथ हरी, श्रीराधा देवी के नाम का जाप और देवी सीता के भी नाम का जाप होता हैं।
‘हरे’ के अर्थ
1 – ‘हरी’ को उच्चार के लिए ‘हरे’ कहा गया हैं,
2 – श्री राधा और सीता के उच्चार के लिए भी ‘हरे’ शब्द कहा जाता हैं, यहां ‘हरे’ का अर्थ है हरि का चित्त जो हर ले वह हरा
शास्त्रों में हरे कृष्ण हरे राम महामंत्र और भगवान्नाम जाप की महिमा
नाम जप कीर्तन को उच्च कोटि का महत्व हैं श्रीमदभगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण “यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि” (भावार्थ – यज्ञों में मैं पवित्र कीर्तन (जाप) हूं) कहकर नामजप का महत्व बताते हैं ।
साथ ही भगवान नाम जप के का महत्व को काली-संतारण उपनिषद , भागवतपुराण, बृहन्नारदीयपुराण और विष्णु पुराण आदि महापुराणो में भी बताया गया हैं।
काली-संतारण उपनिषद
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे । हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ॥ इति षोडषकं नाम्नं कलि कल्मष नाशनं । नातः परतरोपायः सर्व वेदेषु दृश्यते
अर्थ –“हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे । हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे” सोलह अक्षर का यह नाम कलियुग के कल्मशों का नाश करता है , सभी वेद और छान मारे किंतु इससे बेहेतर उपाय कोई नहीं हैं।
भगवान नाम जाप कीर्तन सभी यज्ञ तप हवन से सर्वश्रेष्ठ माना जाता हैं , इससे बेहेतर कोई उपाय समस्त शास्रों और वेदों में नहीं बताया गया हैं , कलियुग के कल्मशो को दूर रखने के लिए तथा नाश करने के लिए नाम जप करना सर्वश्रेष्ठ साधन हैं । इसके जाप से भगवतप्राप्ति, और परमगति जैसे अनंत सुख प्राप्त होते हैं।
हरे राम हरे कृष्ण कृष्ण कृष्णेति मंगलम्। एवं वदन्ति ये नित्यं न हि तान् बाधते कलिः।।
हरे राम! हरे कृष्ण! कृष्ण! कृष्ण! ऐसा जो सदा जाप करते हैं, भक्त को कलियुग में कोई भी हानि नहीं दे सकता है।
बृहन्नारदीयपुराण
हरेर्नामैव नामैव नामैव मम जीवनम्। कलौ नास्त्येव नास्त्येव नास्त्येव गतिरन्यथा॥
श्री हरि का नाम मेरा जीवन है। कलियुग में इसके सिवा दूसरी कोई गति नही।
इस श्लोक ने नारद मुनि हरी नाम का गुणगान और महत्व कहते है।
पद्मपुराण और विष्णु पुराण >>
ध्यायन् कृते यजन् यज्ञैस्त्रेतायां द्वापरेऽर्चयन्। यदापनेति दतापनेति कलौ संकीर्त्य केशवम्॥
सतयुग में भगवान का ध्यान, त्रेतायुग ने यज्ञों से यजन तथा द्वापरयुग में पूजन कर के भक्त जो फल प्राप्त करता हैं। कलियुग ने केवल भगवान नाम जाप कीर्तन से वे फल प्राप्त होते हैं।
श्रीमदभागवतम
कलेर्दोषनिधे राजन्नस्ति ह्येको महान्गुण:। कीर्तनादेव कृष्णस्य मुक्तबन्ध: परं ब्रजेत्॥
दोषों के भंडार कलियुग में एक महागुण यह है कि इस समय केवल कृष्ण का जप करने से मनुष्य बंधन से मुक्त हो जाता है और परम गति को प्राप्त करता है।
हरे राम हरे कृष्ण महामंत्र जाप के फायदे
- कलियुग के कल्मशो को दूर रखने तथा अंत करने के लिए इस महामंत्र का जाप सर्वश्रेष्ठ हैं।
- व्यक्ति के छह शत्रु (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार और ईर्षा ) का नाश होता हैं।
- मानसिक तनाव दूर होता हैं।
- अंतकरण शुद्ध होता है।
- भगवतप्राप्ति होती हैं।
- भगवान और श्रीराधा रानी के सेवा का सुख प्राप्त होता हैं।
- भगवान का दिव्य ज्ञान प्राप्त होता है ।
- चेतना का सुख प्राप्त होता हैं।
- ध्यान में सिद्धि प्राप्त होती हैं।
- आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती हैं।
- इस मंत्र के जाप से व्यक्ति परब्रह्म में विलीन होकर जीवन मृत्यु के चक्र से सदा से मुक्त पाकर परमगति (परमधाम) को प्राप्त होता हैं।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।। हरे राम हरे राम , राम राम हरे हरे ।।
निष्कर्ष;
शास्त्रों में कलियुग के दोषों को दूर करने के लिए तथा परम गति को प्राप्त होने के लिएं हरे कृष्ण हरे राम महामंत्र सर्वश्रेष्ठ साधन बताया गया हैं। तथा इसके जाप से जीवन में अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं।
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