शिव मंत्र | ॐ नमः शिवाय | मंत्र महत्व और अविश्वसनीय लाभ


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“ॐ नमः शिवाय” महामंत्र महिमा, अतुलनीय लाभ

“ॐ नमः शिवाय” मंत्र जाप की महिमा

ॐ नमः शिवाय मंत्र की महिमा को लिखकर साझा करना असंभव हैं, शिव पुराण ने वर्णित है ॐ नमः शिवाय मंत्र के महत्व का वर्णन के लिए सौ करोड़ वर्षों की अवधि भी बेहद कम हैं।

भगवान शिव को समर्पित मंत्र “ॐ नमः शिवाय” केवल एक मंत्र नहीं हैं, परंतु यह एक आपार दुःख, कष्टों से लड़ने का शस्त्र हैं, शास्त्रों में  “ॐ नमः शिवाय”  को एक महामंत्र का दर्जा प्राप्त हैं।

“ॐ नमः शिवाय “ मंत्र प्रणव अक्षर (ॐ ) और शिव के पंचाक्षरी मंत्र (नमः शिवाय) से मिलकर बना है. (ॐ + नमः शिवाय )


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ॐ  प्रणव अक्षर हैं यह निर्गुण, निर्लेप, निराकार अविनाशी परमतत्व परमात्मा के लिए संबोधा जाता हैं, तथा ‘ॐ’ को ब्रम्हांडीय ध्वनि भी माना जाता हैं, सृष्टि के कण – कण में इस ध्वनि का वास हैं।

 शिव का पंचाक्षरी मंत्र भगवान शिव के प्रमाण ( नमस्कार ) करने के लिए जाप किया जाता हैं। तथा शिव के पंचाक्षरी मंत्र (नमः शिवाय) पंचतत्वों का बोध और समान एकता को दर्शाना भी मानते हैं, जिसमे ‘न’ अक्षर ध्वनि पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करता हैं , ‘ मः’  अक्षर ध्वनि जल का प्रतिनिधित्व करता हैं, ‘शि’ ध्वनि अग्नि का प्रतिनिधित्व करता हैं,  ‘वा’ ध्वनि प्राणवायु का प्राप्तिधित्व करता हैं और ‘य’ ध्वनि आकाश का प्रतिनिधित्व करता हैं,

भगवान शिव की शक्ति अनंत है अनंत ब्रम्हांड में कोई भी सत्ता शिव पर शासन नहीं कर सकती , शिव को समर्पित मंत्र का जाप करने से शिव को प्रसन्न करने का तथा शिव के निकट जाने का श्रेष्ठ साधन हैं। शिव के निकट जाने से सांसारिक दुःख का नाश हो जाता हैं। और आध्यात्मिक सूख प्राप्त होता हैं।

“ॐ नमः शिवाय” महामंत्र की महिमा आपार हैं, भगवान शिव अदियोगी कहे जाते हैं, उच्च योगिनों ने ॐ नमः शिवाय के जाप कर भगवान शिव के आशीर्वाद से ही उच्च आध्यात्मिक उन्नति की हैं। केवल ॐ नमः शिवाय के जाप से भगवान शिव के भक्तों ने उच्च कोटि की शक्तियां और सिद्धियां प्राप्त की हैं। स्कंदपुराण के अनुसार जो व्यक्ति इस महामंत्र का जाप करता हैं, उसे मंत्र, तीर्थ, तप और यज्ञ  करने की आवश्कता नहीं हैं।

ध्यान में सिद्धि, परमगति को प्राप्त होना , सदमार्ग की प्राप्ति तथा जीवन के दुःख, कष्ट, पीड़ा, भय आदि का निवारण इस मंत्र के जाप से सहज हैं।

“ॐ नमः शिवाय” का जाप कैसे करें.

मंत्र जाप या भगवान नाम जाप करना किसी भी समय स्थिति, स्थान पर उचित ही होता हैं, भगवान नाम जाप या मंत्र जाप या प्रणाम के लिए कोई बंधन नहीं है, और हो भी नहीं सकता।

भायँ कुभायँ अनख आलस हूँ। नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ ॥

अगर जाप का मन नहीं है आलस आ रहा हैं, फिर भी नाम जाप करे तो फल अवश्य ही प्राप्त होता हैं। इसी तरह आप शिव का स्मरण किसी भी समय स्थिति स्थान पर कर सकते है।

“ॐ नमः शिवाय” जाप साधना 

  • गुरु से मंत्र की दीक्षा ग्रहण करें। या भगवान शिव को गुरू मान कर मंत्र को ग्रहण करें।
  • जाप के लिए एकांत और शांत स्थान का चयन कीजिए।
  • नदी के किनारे या शांत स्थान पर शिवलिंग की स्थापना कीजिए।
  • शिव लिंग के सामने ध्यान की अवस्था में बैठकर मंत्र जाप करें।
  • रूद्राक्ष माला के साथ 108 बार मंत्र जाप करें। ज्यादा करना अधिक लाभदायक हैं।
  • मंत्र जाप करते समय रूद्राक्ष माला भूमि से स्पर्श न करें माला को भूमि से ऊपर रखे , टेकी (योग डंडा) का उपयोग भी कर सकते हैं।
  • जाप करते समय मन एकाग्र रखे और मंत्र की धुन में स्थित रहें।
  • जाप के बाद शिवलिंग को हात जोडकर प्रणाम कीजिए।

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“ॐ नमः शिवाय” का जाप करने के फ़ायदे.

  • भौतिक संसार से परे दिव्य ज्ञान प्राप्त होता हैं।
  •  ध्यान में उच्च कोटि की सिद्धि प्राप्त करना संभव हैं।
  • जाप से देवाधिदेव शिव को नमन होता हैं।
  • रूद्राक्ष माला के साथ नियमित 108 जाप से जीवन के सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती हैं।
  • काम, क्रोध, लोभ, मोह, घृणा, विषाद और भय से मुक्ति होती हैं।
  • मन में सांसारिक विषयों की आसक्ति नष्ट होती हैं।
  • भक्ति में सुख प्राप्त होता है।
  • शारीरिक, बौद्धिक तथा आध्यात्मिक पवित्रता होती हैं.
  • मन और इन्द्रियों पर नियंत्रण करना सहज हैं।
  • मानसिक तनाव दूर होता हैं।
  • जीवन में सदमार्ग प्राप्त होता हैं।
  • नशा, चोरी, हिंसा, आदि पाप कर्मों की प्रेरणा नष्ट होती हैं।
  • मृत्यु के पश्चात व्यक्ति परमगति को प्राप्त होता हैं।
  • भगवान शिव का आधार निर्माण होता हैं।
  • भक्त समस्त भय से निर्भय होता हैं ।
  • मृत्यु का भय नष्ट हो जाता हैं।
  • निरंतर मंत्र जाप से व्यक्ति ब्रम्ह में लीन हो जाता है, या स्वयं ब्रम्ह हो जाता हैं।

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निष्कर्ष ; 

भगवान शिव का शरणार्थी मंत्र ॐ नमः शिवाय एक महामंत्र माना जाता हैं, यह सभी मंत्रों में अतुलनीय हैं, इसके जाप से जीवन में अद्भुत क्रांति संभव हैं, तथा निरंतर जाप से व्यक्ति परमगति को प्राप्त होता हैं।


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