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“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” महत्व और अतुलनीय लाभ, हिंदी शाब्दिक अर्थ सहित

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यह मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” ज्यादातर कृष्णभक्तों और हरिभक्तों का प्रिय मंत्र है यह प्रमुख वैष्णव मंत्र है, इस मंत्र का शाब्दिक अर्थ, मंत्र का महत्व और नियमित जाप करने के लाभ यहां जानिए…


Krishna Mantra om namo bhagwate vasudevaya

“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” महत्व और अतुलनीय लाभ, हिंदी शाब्दिक अर्थ सहित

 

मंत्र के बोल :

| ॐ नमो भगवते वासुदेवाय |

|Om Namo Bhagwate Vasudevāy |

 

“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का हिंदी अर्थ

ॐ (ओंकार) :– यह प्रणव अक्षर हैं, यह सभी मंत्रों का शिरोमणि मंत्र है, इस ध्वनि को ब्रह्मानडीय ध्वनि माना जाता है, अनंत ब्रह्मांड के कण-कण में ध्वनि व्याप्त हैं। ओंकार तीन अक्षरों से मिलकर बना है अ, ऊ और म इन्हे आकार, उकार और माकर कहते है |

  • अ (आकार) : का अर्थ है आरंभ होना या उत्पन्न होना
  • ऊ (उकार) : इस ध्वनि का अर्थ है उठना या गतिशील रहना
  • म (मकार) : इस ध्वनि का अर्थ है मौन हो जाना यानी ब्रह्म में विलीन हो जाना

नमो :– इसका हिंदी अर्थ होता हैं नमन ( नमस्कार ) करना ,

भगवते :– भगवान,

वासुदेवाय :– यह भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित है भगवान श्रीकृष्ण को वासुदेव कहा जाता है। इसका अर्थ है जो सभी जीवों के स्वामी हैं।

मंत्र अर्थ : हे वासुदेवनंदन भगवान मैं आपको नमन करता हूं।

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“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का महत्व

भगवान कृष्ण का शरणार्थी मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” अधिकतर कृष्णभक्तों और हरिभक्तों का प्रिय और प्रमुख मंत्र है इसका जाप करने से भक्तों को आध्यात्मिक और मानसिक लाभ तो निश्चित ही होते है, और आधुनिक विज्ञान ने पाया है की मंत्र जाप करने से शारीरिक भी लाभ मिलता है |

श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान कृष्ण का मंत्र: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” इस मंत्र का अद्वितीय महत्व है, इस स्वर के ध्वनि में समर्पित होकर निश्चित ही भक्त का उद्धार होता है; इसे दैवीय कृपा से अलग नहीं कह सकते!

परमार्थ के साधकों को शास्त्रों, पुराणों और गुरुओं से भगवान श्रीकृष्ण की अनंतता का बोध मिलता है, भगवान वासुदेव सभी जीवों को धारण करने वालें और समस्त भौतिक और आध्यात्मिक सृष्टि के मूल कारण परमात्मा हैं; वह परम सत्य है । भगवान विष्णु के श्रीकृष्ण पूर्ण अवतार है । भगवान कृष्ण को नमन करने वाला मंत्र यह मनोहारी धुन वाला तथा इसका जाप परमात्मा में विलीन होने का पथ है; तथा इसके निरंतर जाप से जीवन में अनेकानेक लाभ प्राप्त है |

“ओम नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र की ध्वनि भगवान कृष्ण के प्रति भक्तिभाव प्रकट करती है, इस मंत्र का अर्थ भी होता है “भगवान कृष्ण के लिए भक्ति प्रकट करना” या “भगवान के कृष्ण के लिए आत्मसमर्पण करना” | अनन्य कृष्णभक्त और हरिभक्त श्रद्धा भाव से इस मंत्र का अखंड जाप कीर्तन भी करते है, शेष समय में भी इस मंत्र जाप का अद्भुत महत्व है |

भक्तजन निरंतर इसके जाप करते है; जिससे निरंतर भगवान का स्मरण बना रहता है; इससे मानसिक तनाव और आसक्ति का नाश होता है और आत्मिक आनंद का अनुभव होता है |

इस मंत्र का महत्व इसके अर्थ से परे है इसलिए केवल इसके अर्थ से महत्व का अनुमान नहीं लगाया जा सकता, मंत्र का अर्थ बनाने का अर्थ है उसे भाषा की तरह अनुभव करना, मंत्र जाप योग की सिद्धि भाषा और शब्दों से परे है |

“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” यह मंत्र जाप के निरंतर जाप से अंतरिक की पवित्रता प्राप्त होती है जो आत्मिक शांति के लिए महत्वपूर्ण है, अंतर मन की पवित्रता से ही योग में सिद्धि प्राप्त की जा सकती है |

मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार और इंद्रियां मानवी चेतना के विषय है, इनसे चेतना को मुक्त कर ही मुक्ति का परमआनंद प्राप्त होता है | इस की ध्वनि जब अंतर में प्रवेश करती है तो चित्त की सभी गड़बड़ियों का नष्ट करती है और अंततः भक्त मोक्ष को प्राप्त हो जाता है जो योग की सिद्धि है |

भगवान कृष्ण का यह शरणार्थी मंत्र का केवल आध्यात्मिक महत्व ही नहीं है बल्कि यह मानसिक और शारीरिक लाभ प्राप्त करने के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हुआ है |

निरंतर मंत्र जाप से भक्त माया से छुटकरा पाता हुआ आगे बढ़कर भगवान कृष्ण के समीप पहुंच जाता है, मंत्र जाप करना एक योग का अभ्यास है जिससे स्व को परम स्व की प्राप्ति होती है इसे ही भगवतप्राप्ति या भगवत्ता कहा जाता है | जहां भक्त भगवान से मिलकर भगवान के सच्चिदानंद स्वरुप को प्राप्त हो जाता है |

भक्ति और जाप का महत्व गीता अध्याय में भी कहा गया है भगवान कृष्ण ज्ञानी यानी भक्तियोग को उत्तम मानते है, मंत्र जाप का महत्व स्वयं भगवान ने कहा है जो हमें भगवत गीता के ‘विभूतियोग’ अध्याय में मिलता है जहां भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते है “सभी यज्ञों में जप यज्ञ मैं हूं” मंत्र जाप या नाम जप भगवान के ही दिव्य विभूति है |

मंत्र जाप से लाभ तो अद्भुत होते है परंतु मंत्र जाप करना कोई लाभ के लिए नहीं किया जाता है जहां व्यक्ति की लाभ की अपेक्षा है वहां व्यक्तिगत स्वार्थ होता; और स्वार्थी व्यक्ति को भगवान नहीं माया प्राप्त होती है |

मंत्र जाप का सही तरीका क्या है यह तो श्रद्धा और भक्ति से ही जाना जा सकता है, परंतु अगर किसी व्यक्ति में अभी तक भक्ति का उगम नहीं हुआ तो भी इस मंत्र का जाप करने का महत्व है इसलिए क्योंकि मंत्र जाप करना योग है और योग से ही अंतर्दृष्टि , मन की पवित्रता और आत्मज्ञान प्राप्त होता है जिससे निश्चित ही व्यक्ति में अपने इष्ट के लिए भक्तिभाव और श्रद्धा का उदय हो जाता है |

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“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र जाप के लाभ

भगवान का नाम जप और मंत्रजाप आदि करने से एक दो नहीं अनगिनत लाभ होते हैं। असंख्य भक्तों ने भगवान के जाप कीर्तन से ही उद्धार को प्राप्त हुएं, मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” के जाप के निरंतर अभ्यास कर होने वालें कुछ लाभ जानिए इनके बावजूद भी मंत्र जाप के लाभ हैं…

  1. आत्मज्ञान की प्राप्ति: अंतर्दृष्टि में विकास करने के लिए निरंतर मंत्र जाप करना उत्तम साधन है निरंतर मंत्र जाप से जब बाहरी दुनिया के माया रूपी विषयों से मन हटकर अपने ही अस्तित्व को जानने-परखने लगता है तो निश्चित ही आत्मज्ञान प्राप्त होता है |
  2. भय से मुक्ति : भय या मृत्यु का भय ज्यादातर या लगभग सभी जीवों में होता है, मृत्यु का भय होना अच्छा भी है, लेकिन अगर भय सीमा से ज्यादा बढ़ जाते तो बुरा भी बन सकता है, निरंतर जाप करने से अतिरिक्त भय पर नियंत्रण किया जा सकता है |
  3. मन की पवित्रता: मानसिक विकारों को दूर रखने के लिए मन को पवित्र रखना आवश्यक है, मंत्र की ध्वनि जब मन में प्रवेश करती है तो मन के विकार दूर होने लगते है निरंतर जाप से मन पवित्र होता है और कठिन परिस्थितियों में भी शांत रहता है |
  4. भावनात्मक में सुधार: मंत्र जाप से नकारात्मकता और कई मानसिक समस्यों से छुटकारा मिलता ही है और इससे भावनात्मक में सुधार भी होता है जिससे सुख का अनुभव और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है |
  5. परमगति की प्राप्ति : इस मंत्र का जाप कर भक्त भक्ति में लीन हो जाता हैं। भक्त पूर्ण समर्पण करता हैं। पूर्ण समर्पण के साथ भक्त जीव के बंधनों से मुक्त होकर परमात्मा में विलीन हो जाता हैं। और परमगति (मोक्ष) को प्राप्त हो जाता हैं। किंतु इस अवस्था के लिए पूर्ण समर्पण की आवश्कता हैं, निरंतर मंत्रजाप और समर्पण से पथ पर आगे बढ़ा जा सकता हैं।
  6. दिव्य आनंद की अनुभूति : भगवान श्रीकृष्ण आनंद के सागर हैं, भगवान के मंत्रजाप से मन को आत्मा में विलीन और तृप्त होता हैं। इंद्रियां, शरीर और भौतिक संसार, माया आदि विलीन हो जाते हैं और दिव्य आनंद की अनुभूति होती हैं।
  7. सांसारिक कष्टों से मुक्ति : भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्तों का सदैव उद्धार करते हैं, असंख्य भक्तों के अपने भक्ति और भगवान के कृपा से सांसारिक कष्टों से मुक्ति प्राप्त कर ली हैं।
  8. छह घातक शत्रुओ का नाश : इस मंत्र के जाप से परमात्मा भक्त के छह घातक शत्रु (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार और ईर्षा ) का अंत कर देते है।
  9. मानसिक तनाव से मुक्ति : मानसिक तनाव होने का कारण भौतिक संसार के विषयों से आसक्ति और इच्छा की पूर्ति न होना या होता है | इस मंत्र जाप और श्रद्धा से आसक्ति का नाश होता है तथा सभी कर्मों के फलों की आसक्ति से मुक्ति प्राप्त होती हैं, निरंतर जप अभ्यास से तनाव से मुक्ति प्राप्त करता हैं।
  10. आत्मविश्वास: “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र के जाप से आध्यात्मिक उन्नति और आत्म विश्वास में भी वृद्धि होती है, जो साधक इस मंत्र का जाप करते उनका भी यह कहना है |
  11. सकारात्मक ऊर्जा: मंत्र जाप सकारात्मक भावना का कारण बनता है, भगवान कृष्ण का मंत्र जाप या नाम जप कीर्तन से मन के विकार और नकारात्मकता से छुटकारा होता है |
  12. परमात्मा के साथ अटूट प्रेम भक्ति का संबंध : परमात्मा में विलीन होकर भक्त दिव्य आनंद की अनुभूति करता ही हैं, अपने हृदय में आसिन परमात्मा को भी जान जाता हैं, और भगवान के साथ भक्ति के अटूट बंधन में बंध जाता हैं, और संसार से मुक्ति प्राप्त करता है।
  13. ज्ञान की प्राप्ति: स्वयं को जानकर ही ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है, आत्मज्ञान केवल स्वयं का ज्ञान नहीं बल्कि इसे ब्रह्मांड, जीव और आध्यात्मिक ज्ञान भी प्राप्त होती है |
  14. मन की एकाग्रता: मंत्र जाप से उन विषयों से उन विषयों से छुटकारा मिलता है जो अनावश्यक है, मन पवित्र होने से बुद्धि में केवल वही विचार होते है जो होने चहिए, जिससे एकाग्रता में वृद्धि होगी, अगर मन को एकाग्र करने की आवश्यकता है तो मंत्र जाप से इसका अभ्यास करना उत्तम साधन है |
  15. कर्मबंधन से मुक्ति : मंत्र जाप करने से कर्मबंधन से भी मुक्ति मिलती है मंत्र जाप करने वालें साधकों को निष्काम कर्म के लिए प्रेरित करता है, जिसका असर जीवन के बाकी कर्मों पर भी पड़ता है |
  16. दिव्यज्ञान : निरंतर श्रद्धा समर्पण के भाव से जप करते रहने से दिव्यज्ञान प्राप्त होता है, परम वास्तविकता भगवान कृष्ण का आत्म में साक्षात्कार होता है जिससे भक्त जन्म मरण वालें भौतिक शरीर से मुक्ति प्राप्त कर भगवान के शाश्वत परमधाम को प्राप्त होता है |

 

जय श्री कृष्ण!

हरि ॐ!

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3 thoughts on ““ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” महत्व और अतुलनीय लाभ, हिंदी शाब्दिक अर्थ सहित”

  1. यह सत्य है ओम नमो भगवते वासुदेवाय, इस मंत्र के जाप से मेरे जीवन में बहुत चमत्कार हो रहे हैं, मैं यहाँ वर्णन नही कर सकता, लेकिन भगवाँन श्री कृष्ण के इस मंत्र से मन शांत होता है, अज्ञात भय से मुक्ति मिलती है, स्वभाव में सरलता आ जाती है. यह मंत्र मुक्ति का मार्ग है
    जै श्री राधे जै श्री कृष्ण 🙏

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