मोक्ष क्या है ? | मोक्ष प्राप्ति के उपाय जानिए – Moksh Kya Hai Prapti Ke Upay
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मोक्ष क्या है ? | मोक्ष प्राप्ति के उपाय जानिए – Moksh Kya Hai Prapti Ke Upay

दुनिया भर के सभी धर्मो और संप्रदायों का सार अगर निकाले तो मोक्ष (Enlightenment) को प्राप्त करना जीवन का एक मात्र लक्ष होना चाहिए । लेकिन मोक्ष क्या है ये जानने के लिए जीवन को जानना होंगा जीवन के सुख-दुख और बंधनों समझना होंगा .

मोक्ष जीवन में रहकर नही हो सकता और मृत्यु के बाद भी नही हो सकता यह जीवन से अलग होता है और मृत्यु से भी अलग है ।

कुछ लोग बाते करते है जैसे जीवन में अच्छे कर्म करने से मोक्ष धाम मिलता है, कुछ लोग कहते है की किसी अपने की मृत्यु के बाद स्राद और तर्पण करने से उसे मोक्ष धाम मिल जाता है। और कुछ लोग तो यह भी कहते है इस फलाना धर्म को अपनाने से मृत्यु के बाद मोक्ष धाम मिल जाता है लेकिन इन बातों में सच्चाई नहीं है ।

सबसे बड़ा असत्य तो मोक्ष धाम के बारे में ये बोला जाता है की मोक्ष धाम को केवल मृत्यु के बाद ही पाया जा सकता हैं, नही मोक्ष धाम को सिर्फ मनुष्य योनि के जीवन में रहकर ही पाया जा सकता है। जीवन में मोक्ष धाम पाकर व्यक्ति मृत्यु के बाद परम शांति, परम आनंद पाता हैं। चलिए जानते है मोक्ष क्या होता है और मोक्ष धाम को कैसे प्राप्त हुआ जाए.

मोक्ष क्या है ?

जीवन और मृत्यु के निरंतर चलने वाले चक्र से मुक्त होकर ब्रह्म स्वरूप या परमात्मा में विलीन हो जाना ही मोक्ष धाम को प्राप्त करना है । मोक्ष धाम परम आनंद हैं। मोक्ष धाम सभी जीवों का सत्य स्वरूप यानी ब्रह्म स्वरूप हैं। 

मोक्ष धाम को प्राप्त कर योगी भौतिक जगत से परे की अवस्था प्राप्त करता है यहां सुख–दुख, सर्दी – गर्मी, भूख– प्यास, प्रकाश–अंधकार इन्द्रियों की जागरूकता, मन निरंतर चलने वाले विचार आदि समाधि में विलीन हो जाता है। और कुछ पर्याप्त नहीं रहित। केवल पर्याप्त है परम सत्य अस्तित्व। समाधि में लीन योगी को ही तटस्थ या स्थिरप्रज्ञ कहते है।

जीव जीवन में स्वयं को कर्ता जानते है। कर्म करने के लिए प्रकृति ने मानव शरीर दिया हैं । लेकिन इस मानव शरीर से परे आत्मा वो प्रकृति ने नही दी है, बल्कि आत्मा का परम स्वरूप परमात्मा से ही प्रकृति का निर्माण हो पाता है।

जब व्यक्ति स्वयं को शरीर से अलग अकर्ता आत्मा जनता है तब वह आत्मज्ञान प्राप्त करता हैं। आत्मज्ञान प्राप्त करने से व्यक्ति आसानी से जीवन को समझ सकता हैं।

जीवन क्या हैं ?

जीवन सिर्फ एक भ्रम है ये एक रात के सपने जैसा है जीवन उलझन में फसा देता है जैसे आप नींद में रात्रि के सपने में फसे होते हैं। लेकिन नींद खुलने के बाद आपको पता चलता है की वो तो बस एक सपना था।

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जीवन भी ऐसे ही किसी सपने की तरह है। जीवन नाम का यह सपना आत्मा देख रही है जीव को धारण कर और जीवन मृत्यु के चक्र में फसे होने के कारण आत्मा को जीवात्मा कहां गया है ।  जीवात्मा अपने परम सत्य स्वरूप परमात्मा से अनजान है।

जीवन से मुक्ति कैसे हो सके?

जीवन में कुछ पाने की कुछ खोने की इच्छा नहीं रहती, वैराग्य हो जाता है, स्वयं का अहंकार शून्य हो जाता है तब जीवन से अलग अस्तित्व का पता चलता हैं आत्म का पता चलता हैं।

भौतिक विषयों की आसक्ति जीवन में सभी तरह के सुख और कर्मों का एकमात्र कर्ता होना और कर्म के फल की इच्छा आत्म को जीवन से बांधे रखता है । ऐसा नही की मृत्यु के बाद जीवन से मुक्ति हो सकती है । मृत्यु के बाद भी जीवात्मा इन विषयों के कारण पुनः नया शरीर धारण करती हैं और जीवन पुनः शुरू हो जाता हैं।

मोक्ष धाम को प्राप्त हो कर जीवन से मुक्त हुआ जा सकता हैं।

मोक्ष प्राप्ति के उपाय

कई लोगों का मानना है की सन्यास लेकर ही मोक्ष पाया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है । अगर सांसारिक विषयों के साथ रहकर भी अंदर से एक सन्यासी की तरह रहे तो मोक्ष धाम की अवस्था को प्राप्त हो सकते हैं।

मोक्ष प्राप्ति करने के लिए भक्ति का महत्व

भक्ति में डूबा रहने से मोक्ष को प्राप्त करना सहज है । भक्ति में प्रेम होता है जहां प्रेम होता है वहां समर्पण होता है, पूर्ण समर्पण के साथ स्वयं का अहंकार शून्य हो जाता हैं।

भक्त भगवान का नाम जाप करते है , भगवान के स्वरूप का मन में ध्यान करते है या भक्ति के कारण निरंतर भगवान का ही ध्यान करते रहते है। भक्ति में पूर्ण समर्पण से मोक्ष मोक्ष को प्राप्त हुआ जा सकता हैं।

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मोक्ष प्राप्ति करने के लिए ध्यान का महत्व

भक्ति ध्यान से श्रेष्ठ है लेकिन भक्ति करने वाला भी होना चाइए किसी का भक्ति में मन नहीं लगता तो ध्यान करने से भी मोक्ष धाम को प्राप्त हुआ जा सकता हैं।

मन को एकाग्र करने से भी स्वयं के अहंकार को नष्ट किया जा सकता है और ध्यान से समस्त कर्मों का कर्ता होने का आभाव नष्ट हो जाता है।

ध्यान से व्यक्ति के जीवन में अन्य भी फायदे होते है लेकिन ध्यान का सर्वश्रेष्ठ और अंतिम लाभ मोक्ष धाम को प्राप्त होना हैं।

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निष्कर्ष

जीवन मृत्यु के बंधन से मुक्त परमात्मा है परमात्मा के साथ आत्मा एक होने से मोक्ष धाम को प्राप्त हुआ जाता है, मोक्ष में ही परमआनंद, परम मुक्ति  है। भक्ति और ध्यान को जीवन में अपनाकर मोक्ष धाम को प्राप्त हुआ जाता है।

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