मंत्र की शक्ति का साक्षात्कार बिना मंत्र जप साधना के नहीं लगाया जा सकता, इस बात को मानना चाहिए की कुछ है जो हमारे समझ और सभी सीमाओं से परे है | इसलिए बेहतर है की उसे साधा जाएं, ताकि मायारूपी के सुख-दुख और जन्म-मृत्यु के बंधनों से छुटकारा मिल सके!
यह गायत्री मंत्र देवी गायत्री का मंत्र है, गायत्री देवी ज्ञान, सिद्धि, सद्बुद्धि, समृद्धि, शांति की देवी है और पापनाशिनी देवी है | इस मंत्र को विद्वानों महामंत्र माना है, यह वैदिक परंपरा से आता है | ऋग्वेद में शुरवात में पाया जाता है, इसका जाप करने का अतुलनीय महत्व है, इसे बहुत शक्तिशाली और सिद्ध मंत्र माना जाता है, शुरवाती साधकों के लिए भी इस मंत्र का जाप करना उत्तम विधि हो सकती है, ताकि वह ध्यान की अवस्था को प्राप्त हो सके |
गायत्री मंत्र के बोल और अर्थ
गायत्री मंत्र के बोल इस प्रकार है:
|| ॐ भूर्भुव: स्व:
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो न: प्रचोदयात् ||
Gayatri Mantra Lyrics :
Om Bhur Bhuvah Svah
Tat Savitur Varenyam
Bhargo Devasya Dheemahi
Dhiyo Yo Nah Prachodayat
ॐ (ओंकार) – प्रणव अक्षर, परमात्म
भूर्भुव: – भूलोक और आकाश
स्व: – स्वर्ग लोक
तत्सवितुर्वरेण्यं – तेजस्वी परमात्मा जो सूर्य की तरह अस्तित्व को प्रकाशित करता है, जो वंदना करने योग्य है|
भर्गो – तेजस्वी
देवस्य धीमहि – देव का ध्यान करना / करते है |
धियो यो न: – ताकि हमारी बुद्धि, समझ, ज्ञान
प्रचोदयात् – सबसे अच्छी सात्विक समझ, सद्बुद्धि, सात्विक गुण की प्रधानता
मंत्र का अर्थ : भूलोक, आकाश और स्वर्गलोक में जो परमात्मा सूर्य की तरह तेजस्वी है, यह परम् पद वंदनीय है, तेजस्वी देव का ध्यान करने से हमें सबसे अच्छी सात्विक समझ मिलती है |
अन्य अर्थ – हम उस प्राणस्वरूप, दुखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा का ध्यान करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को संमार्ग में प्रेरित करे।
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गायत्री मंत्र जाप का महत्व
गायत्री मंत्र वैदिक धर्म के प्रमुख मंत्रों में से है, ऋग्वेद की शुरवात में ही इस मंत्र का महत्व देखा जाता है, यह वेद की देवी गायत्री का शरणार्थी मंत्र है | इस की महिमा अपरंपार है; इस मंत्र साधना से साधक के भीतर ज्ञान, वैराग्य, सदाचार और सात्विक भाव का उदय होता है |
गायत्री मंत्र वेद की देवी गायत्री को समर्पित है, गायत्री देवी को पापनाशनि देवी के रूप में देखा जाता है, देवी की आराधना से पापों से छुटकारा पाया जा सकता है,
इस मंत्र की साधना से मन के सभी दोष, बुरे गुणों के बंधन विषयों और भोगों की आसक्ति और क्रोध का नाश हो जाता है|
इस मंत्र का जाप कीर्तन प्राचीन वैदिक काल से ज्ञान प्राप्ति और मोक्ष प्राप्त करने के उत्तम साधना है ऋषिकेश इस मंत्र के महत्व भलीभांति समझते थे | उच्च बुद्धि की प्राप्ति और आत्मज्ञान प्राप्ति के लिए भी इसका जाप करना महत्वपूर्ण बन जाता है | इस मंत्र से परमात्म स्वरूपा गायत्री देवी के साथ देवताओं की भी आराधना होती है |
श्रद्धा भावपूर्वक निरंतर गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के सभी पाप और दोषयुक्त कर्म बंधनों का नाश होने लगता है, इस मंत्र पर जब मन एकाग्र किया जाता है तो इसकी ध्वनि चित्त की सभी अनावश्यक वृत्तियों को रोकने का काम करती है |
मंत्र की सिद्धि से परमपद को प्राप्त हुआ जाता है; जन्म मृत्यु और नश्वरता से मुक्ति होती है; सभी सांसारिक माया के बंधनों से मुक्त होकर आत्मा का परमात्मा में विलीन होना ही परम पद को प्राप्त होना है |
मंत्रों का महत्व अर्थ और व्याख्या से परे है, यह विशेष ध्वनि तरंगें भीतर प्रवेश कर व्यक्ति में मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक बालादाव लाती है | अगर बात करें गायत्री मंत्र की तो इसे मंत्रों में विशेष मंत्र माना जाता है इससे जाप से बौद्धिक क्षमता में भी विकास, मन की एकाग्रता, सात्विक गुणों की प्रधानता और श्रद्धाभाव की प्राप्ति होती है | चेतना को जागृत करने के लिए यह मंत्र का जाप कीर्तन श्रेष्ठ माना जाता है |
इस साधना से प्रखर बुद्धि एवं ज्ञान को प्राप्त होता है, “भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्” यानी तेजस्वी स्वरूप परमात्म का मंत्र जाप सह ध्यान करने से भीतर की सभी गड़बड़ियां दूर हो जाती है जो मनुष्य बुद्धि तामसिक या राजसिक गुणों से बांधती है |इससे सात्विक और आत्मिक आनंद की प्राप्ति भी होती है |
मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए गायत्री मंत्र उत्तम है ही लेकिन यह समृद्ध और सुखी जीवन के लिए भी महत्व पूर्ण बन जाता है |नियमित इस मंत्र जाप से आत्मविश्वास और भावनात्मक सुधार भी देखा जाता है |
गायत्री मंत्र सरलतम और प्रभावी विधि है, इस साधना से सहज ही ध्यान, ज्ञान और ब्रह्म निर्वाण मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है |
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गायत्री मंत्र जाप के लाभ
निरंतर भावपूर्वक गायत्री मंत्र जाप से इसके साधक में महत्वपूर्ण बदलाव आते है |
- मानसिक शांति मिलती है – नियमित गायत्री मंत्र जाप से व्यक्ति के भीतर की गड़बड़ियों का नाश होने लगता है |
- ध्यान में उन्नति – इस मंत्र का जाप करना योग अभ्यास करने की तरह है, अतः निरंतर और भावपूर्वक गायत्री मंत्र जाप करने से ध्यान में उन्नति होती है |
- अंतर्दृष्टि और आत्मज्ञान की प्राप्ति– मंत्र साधक को भोगवाद और माया से मुक्त करता है जिससे अंतर्दृष्टि में विकास होता है जिससे आत्मज्ञान साक्षात्कार घटित होता है |
- चेतना जागृत होती है – निरंतर जाप से चेतना को जागृत किया जाता है |
- सकारात्मक ऊर्जा मिलती है – निरंतर इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति में सत्यनिष्ठा और सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति मिलती है |
- नकारत्मकता दूर रहती है – इससे एकाग्र और निर्मल चित्त को साधा जा सकता है |
- आत्मविश्वास में वृद्धि होती है – इस मंत्र जाप से नकारात्मक भावना से छुटकारा होता है |
- आत्मिक आनंद – मंत्र जाप यज्ञ से सुख-दुख रूपी बंधन से मुक्ति होती है और आत्मिक परम आनंद प्राप्त होता है|
- भावनात्मक सुधार – इससे चिंता, क्रोध से छुटकारा पाया जाता है और सात्विक, सुख, शांति की भावना बनने लगती है |
- क्रोध से छुटकारा होता है – नियमित इस मंत्र का जाप करने वाला साधक में क्रोध पर काबू पाने की शक्ति आती है |
- पापों से मुक्ति होती है – नियमित गायत्री मंत्र के जाप से अंतर मन के दोषों का विरोध होता है जिससे चित्त की शुद्ध होने लगता है | पापी या दोषयुक्त काम करने की प्रेरणा का भी नाश होने लगता है |
- कठिनायों और दुखों से लड़ने की आध्यात्मिक शक्ति – जप साधना से आध्यात्मिक उन्नति और चेतना जागृत होती जिससे अत्यधिक कठिनायों और दुखों से भी व्यक्ति विचलित नहीं होता |
- प्रखर बुद्धि – इससे ज्ञान, वैराग्य और सात्विक भाव को साधा जा सकता है |
- ब्रह्म निर्वाण को प्राप्त हुआ जा सकता है – निरंतर श्रद्धा समर्पण के भाव से गायत्री मंत्र जाप करना आत्मज्ञान और मुक्ति (मोक्ष) को साधने उत्तम विधि है |
गायत्री मंत्र जाप की विधि
इस मंत्र को दिन में तीन बार सही समय पर जाप कर सकते है:
- प्रातकाल में सूर्योदय होने से थोड़ा पहले से सूर्योदय पूर्ण होने तक गायत्री मंत्र का जाप करना श्रेष्ठ है, लेकिन इसका जाप बाकी शेष समय पर भी करना अच्छा है |
- संध्याकाल में सूर्यास्त होने से थोड़ा पहले सूर्यास्त होने तक गायत्री मंत्र का जाप कर सकते है |
- मंत्र जाप करते समय ध्यान की अवस्था में बैठिए और अपने पीठ (रीड) को सीधा रखिए |
- जाप करते हुएं मंत्र की ध्वनि पर एकाग्र रहें |
- नियमित इस जाप करना चाहिए|
- मंत्र जाप करते हुए ध्यान देना चाहिए की अगर गायत्री मंत्र में श्रद्धा है तो इसका जाप करना उत्कृष्ट है, परंतु साधक को ध्यान के लिए एक ही मंत्र का चयन करना उत्तम है हमेशा अलग-अलग मंत्रों का जाप करना नहीं चाइए कभी यह मंत्र तो कभी वह मंत्र |
अंतिम शब्द
गायत्री मंत्र वैदिक परम्परा से आता है अन्य मंत्रों में इसे विशेष महत्व है इसके जाप से आत्मज्ञान, प्रखर बुद्धि, समृद्धि,यश, सांसारिक आसक्ति, बंधनों से मुक्ति और परमपद की प्राप्ति के लिए साधन है, इसके जाप से नए नवेले साधक में भी श्रद्धा, ध्यान और भक्ति का उदय होता है |
FAQ,
गायत्री मंत्र जाप से क्या फल मिलता है?
गायत्री मंत्र जाप से व्यक्ति के जीवन सुख शांति अति हैं, नकारात्मकता दूर रहती है, घोर पापों से मुक्ति मिलती हैं।
गायत्री मंत्र का गलत तरीका कोनसा है?
गायत्री मंत्र को महामंत्र कहा गया है, इसका श्रद्धा पूर्वक जाप करना चाइए , गायत्री मंत्र को बजाना नही इससे गायत्री मंत्र का अपमान होता है।
गायत्री मंत्र का अर्थ क्या है?
हम उस प्राणस्वरूप, दुखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा का ध्यान करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में लगाए।
गायत्री मंत्र किस ग्रंथ में पाया जाता है?
गायत्री मंत्र वैदिक मंत्र इसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में तृतीय मंडल और 62वे सूक्त और 10वे मंत्र में पाया जाता है, साथ ही इस मंत्र का महत्व अन्य आध्यात्मिक ग्रंथों और पुराणों में भी पाया जाता है |