साधकों! ध्यान वह अनमोल रत्न हैं जो भारत ने जगत को दिया हैं, ध्यान का महत्व वेदों, पुराणों और अन्य प्राचीन ग्रंथों में बताया गया हैं, साथ ही आधुनिक विज्ञान भी ध्यान को मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताता हैं।
ध्यान करना क्यों आवश्यक है और ध्यान करने का सबसे आसान तरीका क्या होगा इस लेख में जानिए.
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ध्यान करना क्यों आवश्यक हैं | Why Meditation Is Important.
ध्यान सांसारिक बंधनों से मुक्त दिलाने का मार्ग हैं। आपने देखा होंगा! जो योगी ध्यान साधना में लगे रहते हैं वे स्वयं में ही असीम आनंद प्राप्त करते हैं उनके मुख पर तेज और आनंद की अभिव्यक्ति होती हैं। वही आप अगर ऐसे लोगों को देखें जो ध्यान नहीं करते हैं वे सांसारिक विषयों के कारण अक्सर उदास, दुखी, क्रोधित, लोभी या तनावपूर्ण स्थिति में होते हैं। जीवन में दुख हो या सुख दोनों स्थाई नहीं हैं, वे सुखों को प्राप्त कर सुखी होते है वही दुख में विषाद, व्याकुलता उन्हें घेर लेती हैं।
ध्यान करने के फायदें कई सारे है जिसमें अकसर कहां जाता है की ध्यान से एकाग्रता बढ़ती हैं तनाव से मुक्ति मिलती है आदि, लेकिन यह नहीं समझना चाहिए की ध्यान इसके लिएं हैं, बल्कि ध्यान करने का प्रधान उद्देश मोक्ष प्राप्त करना हैं, यह एक पर्याय नहीं बल्कि हर मनुष्य के लिए अति महत्वपूर्ण है।
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ध्यान की प्रक्रिया में योगी सांसारिक विषयों से आत्म को मुक्त करने का अभ्यास करते हैं। अकसर मन के कारण व्यक्ति सांसारिक विषय जैसे धन संपत्ति, स्त्री, इत्यादि को प्राप्त करने में लगा रहता हैं। आत्म की आसक्ति सांसारिक बंधनों का कारण हैं जिससे भवसागर (भौतिक संसार) के सुख और दुख दोनों भोगने पड़ते हैं।
ध्यान करने का आसान तारिका | Easy Way Of Meditation
ध्यान करने के कुछ प्रकार होते हैं, अगर आप ध्यान करने का सबसे आसान तरीका क्या हो सकता हैं? इसे खोज रहें हैं तो सचेतन ध्यान ( mindfulness meditation) को नए साधकों को अभ्यास करने के लिए सुझाया जाता हैं। सचेतन ध्यान का किस तरह से अभ्यास किया जाता हैं जानते हैं।
1. शांत वातावरण वाले स्थान को चुनें।
ध्यान का अभ्यास शांत वातावरण में होना चाहिए इससे ध्यान करते समय कोई बाधा नहीं होती। वही अगर शोर जैसे वातावरण में ध्यान करते हैं तो ध्यान करना कठिन हो जाता हैं।
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2. वस्त्र का आसन लगाएं।
ध्यान करने के लिएं एक वस्त्र आसन तैयार कीजिए जिसपर ठीक तरह से बैठा जा सके आसन जमीन से ज्यादा ऊंचा न हो और जिसपर ध्यान की अवस्था में ठीक तरह से बैठा जा सके, ध्यान करते समय ढीले और आराम दायक वस्त्र पहने।
3. ध्यानात्मक योगासन में बैठे।
ध्यान करने के लिएं पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन या सुखासन में बैठ सकते हैं। पद्मासन (पूर्ण कमल) सिद्धासन में जमीन पर बैठकर पैरों को पेट की और मोड़ा जाता हैं। वही सुखासन में साधारण तरीके से जमीन पर बैठा जाता है।
4. पीठ को सीखा रखें।
ध्यान करते समय पीठ को सीधा रख कर ध्यानात्मक आसान में बैठना आवश्यक हैं, अगर ऐसा न किया जाए तो ध्यान करना कठिन हैं अगर पीठ को आराम देकर ध्यान करने का प्रयास करते हैं, तो नींद लग जाने के अधिक संभावना हैं।
5. सासों पर ध्यान केंद्रित करें।
आंखों को हल्के से बंद कीजिए, सासों के लेने और छोड़ने की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास कीजिए।
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नए साधकों के लिए इस अवस्था में टिके रहना थोड़ा कठिन हैं, क्योंकि चंचल मन के कारण ध्यान में बाधा उत्पन्न होती हैं, लेकिन अभ्यास से मन को नियंत्रित किया जा सकता हैं।
6. दस से पंधरा मिनट तक रोज अभ्यास कीजिए।
ध्यान करना बुद्धि को आराम देने की एक सरल प्रक्रिया हैं , इसमें आप मन को सांसारिक विषयों से हटाकर बुद्धि को थोड़े समय के लिए शांत करने का प्रयास करते हैं। ध्यान के नियमित अभ्यास से मन को शांति प्राप्त होती है रोजाना ध्यान का ध्यान का दस से पंधरा मिनट तक अभ्यास करने से केवल पंधरा दिन के अंदर ही साधक में इसके लाभ जान पड़ते हैं, और भी इसके अन्य भी बहुत लाभ जीवन में प्राप्त होते हैं।
जो योगी मन पर नियंत्रण प्राप्त कर ध्यान साधना में लीन होते है तनाव, राग, लोभ, दुख, आसक्ति आदि से मुक्त होकर आनंदमय जीवन व्यक्तित करते हैं।
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निष्कर्ष,
ध्यान मन को सांसारिक विषयों से मुक्त करने की प्रक्रिया हैं, ध्यान करने के अलौकिक लाभ हैं इससे राग, लोभ, द्वेष सांसारिक आसक्ति और तनावपूर्ण जीवन को आनंदमय जीवन बनाया जा सकता हैं।
अवश्य पढ़िए: ध्यान की उच्चतम अवस्था समाधि क्या है.
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