जीवात्मा और आत्मा , स्वभाव के आयाम
आध्यात्म में आत्मा और जीवात्मा की परिभाषा आध्यात्म में जब हम आत्मा, जीवात्मा और परमात्मा की बात करते हैं, तो ये कोई बाहरी चीज़ें नहीं हैं, बल्कि हमारे अपने ही स्वभाव के अलग-अलग आयाम हैं।
आध्यात्म में आत्मा और जीवात्मा की परिभाषा आध्यात्म में जब हम आत्मा, जीवात्मा और परमात्मा की बात करते हैं, तो ये कोई बाहरी चीज़ें नहीं हैं, बल्कि हमारे अपने ही स्वभाव के अलग-अलग आयाम हैं।
कर्मयोग – श्रीमद भागवत गीता Advertisement नमस्कार साधकों! कर्मयोग क्या है? क्या केवल बिना फल की चिंता किए कर्म करने वाला व्यक्ति ही कर्मयोगी कहलाता है? क्या कर्मयोग के मार्ग पर चलकर मोक्ष की
जो चैतन्य के कारण मैं और आप इस दुनिया में आए हैं, वह परमात्मा है। परमात्मा हमारे भीतर और बाहर दोनों ही हैं, लेकिन हम उसे न देख सकते हैं और न ही जान सकते
जीवन की सार्थकता है परमात्मा का ध्यान में साक्षात्कार जिससे व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है। क्या आपने कभी सोचा है कि सर्वोच्च वास्तविकता को कैसे प्राप्त किया जा सकता है? अर्थात वह अवस्था जहाँ
Read this article in English दुख का अनुभव हम सब को होता है, और सब दुख से मुक्ति पाने की चाह रखते है | दुख से छुटकारा भी शीघ्र हो जाता है | लेकिन वह
आदि शंकर आचार्य की रचना निर्वाण षट्कम शिव के वास्तविक स्वरूप का बहुत ही सुंदर तरीके से वर्णन करती है | निर्वाण षट्कम के बोल, अर्थ और जानकारी यहां उपलब्ध है… निर्वाण षट्कम के बोल
जिनके पुण्य उदय हो जाते है उन्हे परमात्मा के असीम स्वरूप का दर्शन होता है | लेकिन परमात्मा के ये स्वरूप है कैसा और इसके कैसे जाना जाता है इस लेख में जानिए | परमात्मा
माया का स्वरूप क्या है माया भगवान कृष्ण की शक्ति है; भगवान कृष्ण परमात्मा है | भगवान श्री कृष्ण सत् चित् आनंद स्वरूप है और माया त्रिगुणात्मक है | जो संसार हम देखते है यह
यहां से मुक्त होना ही हर मनुष्य का उद्धार है | परंतु जो इस दुनिया के मोहजाल में ही पड़े है और निरंतर व्याकुल है सुख दुख में चूर हो जाते है | चिंता
दर्शनों के अनुसार कहा जाता है की जीवों का अंतिम सत्य मृत्यु नही है मृत्यु के बाद भी जीव पुनः जन्म लेकर इस संसार में आते है | इसको पुनर्जन्म कहा जाता है कई दार्शनिकों