Sanatan Dharma | सनातन धर्म का वास्तविक अर्थ
जहां अन्य समुदायों या पंथ मान्यताओं तक सीमित हो सकते हैं, परंतु सनातन धर्म की कोई सीमा नहीं हैं, यह आपको किसी मान्यता के अंदर बांध कर नहीं रखता लेकिन आपको वास्तविक स्वतंत्रता की और
Divine Knowledge And Yoga
जहां अन्य समुदायों या पंथ मान्यताओं तक सीमित हो सकते हैं, परंतु सनातन धर्म की कोई सीमा नहीं हैं, यह आपको किसी मान्यता के अंदर बांध कर नहीं रखता लेकिन आपको वास्तविक स्वतंत्रता की और
The sinner Kansa was wishing to kill Krishna even before the birth of Krishna. He had imprisoned Krishna’s mother Devaki and father Vāsudeva. When Krishna was born at midnight. All the doorkeepers were in deep
Lord Vishnu is one of three supreme gods (tridev) (brahma, vishnu, Mahesh) , he is believed to be preserver and operator of all existence. He incarnates on this earth in all four yug to establish
Lord Shri Krishna is adorable with his sweet and uncommon activities.he is worshiped in the whole world by his pleasing, charming appearances. Worshiping Lord Shri Krishna is spiritual bliss for the devotees. It is not
The Incredible Benefits Of Reading Bhagwat Geeta. Reading Bhagwat Geeta is not a option but must to mankind, it is believed one of the great sources of spiritual wisdom. Thare are uncountable benefits of Geeta,
Goddess Rādhā is the daughter of Vrishabhānu and kalāvati, she lived in Barsānā village. She is dearest to Lord Krishnā. She is also believed to be an incarnation of Goddess Lakshmi and the Goddess form
भगवान विष्णु जो माया के गुणों से परे हैं उन्हें अनन्य भक्ति द्वारा जाना जाता हैं, भगवान विष्णु के भक्ति में उनका भजन कीर्तन, पूजा और यज्ञ आदि कार्य किए जाते है भगवान विष्णु के
आध्यात्मिकता के बारे समाज में कई बाते होती रहती हैं, लोगों का मानना हैं को आध्यात्मिकता जीवन जीने का तरीका है जो सामान्य जीवन से बहुत कठिन हैं, जो आध्यात्मिक होना चाहता हैं उसे घर
जो लोग भाग्यवान होते हैं उन्हें जीवन में भगवान की भक्ति प्राप्त होती है भक्ति ही जीवन का सार हैं। भगवान के निस्वार्थ भक्तों ने भक्ति कर भगवान की कृपा प्राप्त कि जिससे उन्हें भक्ति
सबसे पहले तो यह जान लीजिए भक्ति किसी लाभ के लिए नहीं हैं, भगवान की भक्ति करना यानी भगवान को समर्पण करना होता हैं। भक्ति का अर्थ है निस्वार्थ प्रेम यह एक भाव है जो