गरूड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद क्या होता है?, यहां जानें | Mrityu Ke Baad Kya Hota Hai

भौतिक शरीर नश्वर है, समय के साथ शरीर का विकास होता है और एक समय पर रोग, हानि या बुढ़ापे के कारण शरीर की मृत्यु हो जाती हैं। जगत में आज तक जो भी भौतिक शरीर के साथ आया है वो मृत्यु को प्राप्त हो गया हैं।

धार्मिक ग्रंथों के ज्ञान के अनुसार,  किसी व्यक्ति का भौतिक ही सब कुछ नही होता हैं, भौतिक शरीर में सुक्ष्म शरीर और आत्मा होती हैं।

सूक्ष्म शरीर और आत्मा मिलकर जीवात्मा कही जाती हैं। यह सुक्ष्म शरीर मन, बुद्धि और अहंकार से बना होता है। और सूक्ष्म शरीर को धारण करने वाली आत्मा इसके अस्तिव का कारण हैं।

जिसे हम मृत्यु कहते है वो केवल भौतिक शरीर का नाश होता है । भौतिक शरीर की मृत्यु के बाद जीवात्मा का आगे की यात्रा को इस लेख में धार्मिक ग्रंथों के माध्यम साझा किया हैं । चलिए जानते है मृत्यु के बाद क्या होता है 

मृत्यु के बाद क्या होता हैं?

भौतिक शरीर के मृत्यु के बाद तीन घटनाएं हो सकती है, किसी एक व्यक्ति के मृत्यु के बाद इन तीन में से कोई भी एक घटना व्यक्ति के साथ हो सकती हैं। व्यक्ति के मरने के बाद क्या होता है यह उसके जीवन में ही तय हो जाता हैं।

  • जो व्यक्ति जीवन में पुण्य कर्म करते है, अहिंसा, धर्म , सभी जीवों के प्रति समता, आदि का पालन करते है, ऐसे व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्त हो सकती है, या अच्छे कुटुंब में पुनः जन्म हो जाता है।
  • जो अन्य जीवों को दुख पीड़ा देते है, चोरी, डकैती, क्रूरता, अधर्म जीव हत्या आदि पाप करते है उनको नरक में घोर यातना के साथ दंड दिया जाता हैं।
  • योगी भौतिक जगत से सभी तरह की आसक्ति और मन की समस्त कामनाओं का त्याग कर मोक्षधाम को या उच्च आध्यात्मिक लोगों को प्राप्त हो जाते है, और पुनः जन्म नही लेते।

मनुष्य जीव के छोड़ कर समस्त पशु, पक्षी, किट आदि के मृत्यु के बाद जीवात्मा तुरत अन्य योनि में जन्म लेता हैं इन्हे परलोक नही ले जाया जाता है। ये समस्त पाप और पुण्य कर्म के बंधनों से मुक्त होते हैं।

अन्य पढ़े – जीवात्मा आत्मा और परमात्मा में अंतर 

पुण्य करने वालों मृत्यु के बाद स्वर्ग के सुख प्राप्त होते है।

पुण्य कर्म करने वाले धार्मिक जन स्वर्ग के सुखों के प्राप्त करते हैं । जो व्यक्ति जीवन में धर्म का पालन करते है , अहिंसा, समतमा, सरलता और पुण्यकर्म का पालन कर जीवन जीते है वे मृत्यु के बाद स्वर्ग और अन्य उच्चतम लोगों को प्राप्त हो जाते हैं। ये लोक अत्यंत सुखदायक होते हैं।

गरूड़ पुराण के अनुसार, स्वर्ग लोक के द्वार की सीढियां अलौकिक सुगन्धित पुष्पों से सजी हुई सौंदर्य ये भरी हुई और होती है । स्वर्ग लोक सुंदर बादलों से ढका होता है यहां से प्रकृति के मनमोहक नजरे दिखाए देते है और रहने के लिए सुंदर भवन होते हैं।

स्वर्ग में अलौकिक सुंदर अप्सराएं होती है यह पुण्य कर्म फल स्वरूप आय हुए जीवात्मा की सेवा करती हैं। स्वर्ग लोक अलग–अलग तरह के होते है जहां जीवात्मा को अलग–अलग सुख प्राप्त होते है।

पुण्य कर्म का फल भोगकर वे मृत्यु लोक में पुनः जन्म लेते हैं। इस जीवात्मा के ये जन्म निर्मल उच्च कुल में होते हैं। इनका शरीर निरोगी और सुंदर होता है तथा समाज के इनकी उच्च प्रतिभा और आदर होता है, जीवन के इन्हें समस्त सुख प्राप्त होते हैं।

 

पापियों के मृत्यु के बाद यमदूत नरक में ले जाते है।

गरूड़ पुराण में पापी व्यक्ति को यमलोग में दिए जाने वाले दंड का उल्लेख है।

जब मनुष्य की मृत्यु निकट होती है तब उसके जीवन के अंतिम क्षण में उसे लोक परलोक को देखने की दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है । और वह अपना पूर्ण जीवन की सभी घटनाओं को एक क्षण में देख लेता है । अपने जीवन के उस क्षण में व्यक्ति को सौ बिच्चुओं के डंक मारने जैसी पीड़ा होती है , आतुरकाल में प्राण वायु के निकलने से जीवन का अंतिम क्षण उसे एक कल्प की तरह प्रतीत होता हैं, मृत्यु होते ही उसका मुंह लार से भर जाता हैं।

उसी समय दो नग्न अवस्था में कोयले के समान काले हात में पाश और दंड धारण किए यमदूत दातों को कटकटाते हुए आते है, इनके बाल उपर की ओर उठे होते है मुंह टेढ़े होते है और नाखून आयुध की तरह होते हैं।

मृत्यु होते ही व्यक्ति के अंगूठे जितनी जीवात्मा को वो गले से बांध कर यमलोक के मार्ग से ले जाते है इसे साधारण मनुष्य के द्वारा नही देखा जा सकता यह जीवात्मा और यमदूत भौतिक जगत से भिन्न होते हैं। यमदूत जीवात्मा को ले जाते हुए यमलोक में दी जाने वाली यातनाओं के बारे में जीवात्मा को सूचित कर भयभीत कर देते हैं।

वह जीव छटपटा तड़पता हुआ यमदूतों को द्वार खींचा जाता है। उसे रास्ते में कुत्ते के काटने की पीड़ा होती है भूख प्यास से वो तड़पता हैं।

अलग–अलग तरह के नरक में भयंकर यातना भोगने के बाद जीवात्मा को पुनः जन्म के लिए यमलोक से मृत्युलोक जाया जाता है।

नरक से मृत्युलोक आने पर पापियों को उनके पूर्व जन्म के पापों के अनुसार अलग–अलग योनि में जन्म लेना पड़ता हैं।

कोई जन्म से ही पीड़ादायक रोगों के साथ जन्म लेता है जिसकी पीड़ा उसे संपूर्ण जीवन भर भोगनी पड़ती है कोई पशु, पक्षी, किट आदि को योनि में जन्म लेता हैं। जिसकर उसे संपूर्ण जीवन यातनाओ को भोगना पड़ता हैं।

अन्य पढ़े – गायत्री मंत्र के फायदे 

योगी और सन्यासी मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त करते हैं।

भौतिक संसार से आसक्ति के कारण जीवात्मा संसार में पुनः जन्म लेती है । भौतिक संसार से समस्त आसक्ति त्याग देते हैं। ऐसे योगी जीवन में ही मोक्ष धाम को प्राप्त हो जाते है । मृत्यु के बाद उनका भौतिक शरीर सूक्ष्म शरीर नही रहित और आत्म परमात्मा में लीन हो जाता हैं।

भक्ति योगी ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण करते है उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। और वे मृत्यु के तुरत बाद ही परम आनंद मोक्ष धाम को प्राप्त हो जाते है।

मोक्ष धाम को प्राप्त कर योगी समस्त सुख– दुख, जीवन–मृत्यु के परे परम आनंद को अवस्था प्राप्त करते हैं और पुनः जन्म नही लेते ।

अगर आप मोक्ष धाम को कैसे प्राप्त किया जाता है इसे जानना चाहते है इस लेख को अवश्य पढ़े मोक्ष क्या है, मोक्ष धाम को कैसे प्राप्त करें ।

निष्कर्ष ,

जीवन में किए हुए कर्मों के अनुसार मृत्यु के बाद जीवात्मा के आगे की यात्रा तय होती है पुण्य कर्म के फल स्वरूप जीवात्मा स्वर्ग का सुख प्राप्त करती है, पाप कर्म करने पर जीवात्मा को नरक की यातना भोगनी पड़ती हैं और योगी भौतिक जगत से समस्त आसक्ति को त्याग कर पुनः जन्म नही लेते और परम आनंद मोक्ष धाम को प्राप्त हो जाते है।

 

Share This Article
   Purity of Life    

Purity of Life

Join Us on WhatsApp

नमस्ते दोस्तों! jivankishuddhta.in वेबसाइट के जरिये मैं निखिल जीवन के सभी मौलिक प्रश्नों का आध्यात्मिकता, दार्शनिकता, और विज्ञान के समन्वय के माध्यम से सरल भाषामें उत्तर देने का एक प्रयास किया है! उम्मीद है आपको मेरा यह प्रयास पसंद आएगा।

Leave a Comment

भगवान के दर्शन कैसे होते हैं? | GOD REALIZATION
आत्मा क्या है और अनात्मा क्या हैं? | SELF and NON-SELF in Hindi
जीवात्मा और आत्मा क्या हैं? || आध्यात्म
कर्म करते हुएं योग में सिद्धि कैसे हों? | What is karma Yoga in Hindi
मोक्ष किसे कहते है? | सुख-दुख से परे नित्य आनंदमय | What is Moksha in Hindi
सच्ची भक्ति के 9 संकेत | 9 Signs Of Devotion