योग जीवन जीने की कला – Yoga Is Art Of Living


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Yoga Art Of Living

योग एक ऐसी आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जो व्यक्ति की चेतना को परमपद यानी ब्रह्मांडीय चेतन में स्थित करती है । योग प्राचीन भारतीय ऋषि और आध्यात्मिक चिरग्रंथों की देन है। ‘योग’ शब्द मूल संस्कृत शब्द ‘यूज’ से बनाया गया है यूज का अर्थ है ‘जुड़ना’ या ‘एक होना’ है | ‘योग अभ्यास’ यानी मनुष्य की चेतना को मनुष्य देह और जीवों के इंद्रोयों द्वारा रूप लिए माया यूपी संसार से अलग या मुक्त कर सत्य में स्थित होने का अभ्यास है।

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योग एक जीवन जीने की कला है जो मनुष्य को भौतिक जीव और मन के परे एक आध्यात्मिक दृष्टि प्रदान करती है। जिससे वह संसार, जीव और आत्म का निरूपण करता है। जीवन के सही समय पर सही निर्णय ले पाने की समझ ही योग है।

 

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योग का महत्व वेदों का सार कहीं जाने वाली श्रीमद भगवद्गीता में भी वर्णित किया गया है। भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को योग की शिक्षा देते है, और वे अर्जुन को योगी बनने का मार्गदर्शन करते है |

भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते है “योगी तपस्वी से ज्ञानी से और कर्मी से भी श्रेष्ठ होता है इसीलिए हे अर्जुन तुम योगी बनने का प्रयास करो”

 

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