कुंडलिनी योग क्या हैं? || कुंडलिनी योग के लाभ


PurityoflivingYOGA 👉🏻 Follow
Sharing Is Caring

कुंडलिनी क्या हैं?

कुंडलिनी योग हर किसी को दिलचस्प लगता हैं । इसका कारण वह सांप हैं ।  कहां जाता हैं की यह सांप मूलाधार चक्र से निकल कर स्वादिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र, अनाहत चक्र, विशुद्ध चक्र, और ज्ञान चक्र से होता हुआ सहस्त्रहार तक जाता हैं। और फिर समाधि की घटना घट जाती हैं।

वास्तव में इसे कोई सांप नहीं समझना चाहिए यहां चेतना , प्राणतत्व और ऊर्जा को कुंडलिनी सांप की तरह दिखाया गया हैं। वेद, उपनिषद में कहीं पर भी कुंडलिनी जैसे कोई सांप की बात नहीं कहीं गईं हैं। बल्कि चेतना या प्राण तत्व ही कहां गया हैं जो की वास्तविक सत्य हैं।

कुंडलिनी योग तंत्र हैं, यह साधारण मनुष्यों को योग में दिलचस्पी लेने के लिए उपयुक्त हैं। इसी कारण चेतना को एक सांप की तरह बताया जाता हैं।


PurityOfLifeYOGA 👉🏻 Follow

इतिहास में कुंडलिनी योग की शुरवात 8 वी शताब्दी में बौद्ध ग्रंथों हुए थी बाद में 11 वी शताब्दी के बाद अन्य ग्रंथों में इसका प्रयोग किया गया हैं।

कुंडलिनी योग पद्धति और लाभ

कुंडलिनी योग में जीवन शक्ति को एक सांप की तरह बताया जाता हैं। किसी साधारण मनुष्य में यह सांप मूलाधार चक्र में स्थित होता हैं । साधना से इसे ऊपर को और लाया जाता हैं। मूलाधार चक्र से निकल कर स्वादिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र, अनाहत चक्र, विशुद्ध चक्र, और ज्ञान चक्र से होता हुआ सहस्त्रहार तक जाता हैं। और समाधी की घटना घट जाती हैं।

मनुष्य जीव की चेतना सबसे निचले चक्र में होती हैं। कुंडलिनी शक्ति को मेरुदंड के भीतर स्थित सुशुष्मा नाडी का मुख त्रिकोण पर यानी योन मण्डल के स्थान पर स्थित होती हैं। यह अत्यंत सूक्ष्म ऊर्जा और दिव्य शक्ति से पूर्ण साढ़े तीन लपेटों में सोई हुई होती हैं । इसका पूंछ इसके मुख में दबी होती हैं।

साधक साधना से इस शक्ति को मेरुदंड से उपर की और बढ़ता हैं। इसके लाभ अदभुत कहें गए हैं।

कुंडलिनी शक्ति के दर्शन मात्र से ही सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साधक का पूर्ण शरीर ऊर्जा से भर जाता हैं। कुंडलिनी शक्ति ही वासना का केंद्र हैं। और इसकी उपर की और गति होने पर मोक्ष का द्वार खुलता हैं।

अवश्य पढ़े: कुंडलिनी जागरण की अवस्था कैसी होती हैं?

कुंडलिनी शक्ति जागरण के लाभ

कुंडलिनी की ऊपरी चक्रों के और गति होने से साधक को अद्भुत लाभ होते हैं।

  • मोक्ष को प्राप्त हुआ जाता हैं।
  • आत्मज्ञान प्राप्त होता हैं।
  • सांसारिक विषयों की आसक्ति और मोह नष्ट हो जाता हैं।
  • करुणा, दया, वैराग्य, सदाचार आदि सद्गुणों में विकास होता हैं।
  • सभी चक्र शुद्ध होते हैं।
  • नकारात्मकता और विषाद का नाश होता हैं।
  • आत्मबल बढ़ता हैं।
  • सांसारिक बंधनों से उत्पन्न हुए दुख नष्ट होते हैं।
  • शरीर ऊर्जा और प्राणतत्व से पूर्ण होता हैं।
  • चेतना का सुख प्राप्त होता हैं।
  • आलस्य दूर होता हैं।

अन्य पढ़ें: कुंडलिनी जागरण के नुकसान

निष्कर्ष

कुंडलिनी योग में चेतना को एक सर्प की तरह बताया जाता हैं। कुंडलिनी मूलाधार में योन मण्डल में स्थित होती है। ध्यान साधना से इसे ऊपर की और बढ़ता जाता हैं । इसमें शरीर ऊर्जा से पूर्ण होता हैं। यह सहस्त्रहार तक जाने पर साधक मोक्ष को प्राप्त होता हैं।

अन्य पढ़े: आत्मा किसे कहेंगे ?


I'm a devotional person, I have a WhatsApp Channel named 'Vaishnava', My aim is to make mankind aware of spirituality and spread the knowledge science philosophy and teachings of our Sanatan Dharma. Start Following 'Vaishnava' Channel 🙏🏻


 PurityOfLifeYOGA 👉🏻 Follow

Leave a comment

क्या आप जीवन के सच्चे अर्थ की खोज में हैं? 

'PurityOfLifeYOGA' व्हाट्सएप चैनल आपके लिए एक आध्यात्मिक घर है। यहाँ आपको जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से विचार करने और आध्यात्मिक उन्नति में मदद मिलेगी।

X