भगवान श्रीकृष्ण के इक्कीस मंत्र, महत्व और लाभ

योग साधना, मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास के लिए मंत्रों का जाप एक उपयुक्त तरीका माना जाता है | जाप का महत्व न केवल वेद और पुराणों में बताया गया है | श्रीमद भगवद्गीता में भी भगवान कृष्ण ने “यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि” कहकर जाप का महत्व बताया है | अनन्य कृष्णभक्त भगवान कृष्ण के विशेष और महत्वपूर्ण मंत्रों का जाप करते और कृष्ण का ध्यान करते है | भगवान कृष्ण का ध्यान करने के लिए यहां भगवान कृष्ण के इक्कीस मंत्र और मंत्र जाप के लाभ यहां जानिए…


Lord Krishna

भगवान कृष्ण के इक्कीस मंत्र और जाप करने से लाभ

"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"

“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” यह मंत्र प्रमुख वैष्णव मंत्र है और भगवान कृष्ण का शरणार्थी मंत्र है | इसका अर्थ है “भगवान वासुदेव कृष्ण को नमन करना” या “मैं वासुदेव नंदन भगवान को नमन करता हूं” भक्ति भावपूर्वक इस मंत्र के निरंतर जाप से सभी कष्टों और सांसारिक बंधनों से मुक्ति होती है और भगवान के परमधाम की प्राप्ति होती है |


"हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे"

भगवान श्रीकृष्ण के एकनिष्ठ भक्तों का यह ‘हरे कृष्ण’ मंत्र काली-संतारण उपनिषद से लिया गया है | कलियुग के कल्मशों का नाश करने के लिए इस मंत्र जाप करना सर्वश्रेष्ठ उपाय माना जाता है | इस मंत्र का निरंतर जाप करने से सभी सांसारिक बंधन कट जाते है और भक्त भक्ति में लीन होता है और दिव्य परमसुख प्राप्त करता है|


"हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, 
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे"

इस मंत्र में भगवान राम का भी जाप किया जाता है | यह काली-संतारण उपनिषद से लिया गया है इसका जाप करना कलियुग के बुराइयों से मुक्ति पाने में उत्तम उपाय है | इस मंत्र का निरंतर जाप करने से सभी सांसारिक बंधन कट जाते है और उसे भक्ति और भगवान की प्राप्ति होती है |


"ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। 
प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:"

भगवान कृष्ण का यह ‘ओम कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने’ मंत्र श्रीमद भागवत से लिया गया है | यह केवल एक मंत्र न होकर भगवान को लगाई गई पुकार है | “कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने” यानी “हे वासुदेव नंदन कृष्ण! आप दुखों को हरने वालें हरि परमात्मा है” “प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:” यानी “शरणार्थी के क्लेशों को नाश करने वालें हे गोविन्द! आपको मेरा बार-बार नमन है” | इस मंत्र के जाप से सभी दुखों, भय, नकारात्मक भाव, और पापों से मुक्ति होती है |


"ॐ कृष्णाय नमः"

यह भगवान कृष्ण का मूल मंत्र कहा जाता है | इसके जाप से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है, और भगवान की कृपा प्राप्त होती है |


"ॐ नमो भगवते श्रीगोविन्दाय नम:"

इस में भगवान के एक नाम ‘गोविंद’ का जाप होता है जो गायों को पालने वालें भगवान है | इस मंत्र के जाप से भगवान की कृपा प्राप्त होती है | जो बांकेबिहारी जी के भक्त है वे इस मंत्र का जाप कर भगवान कृष्ण का स्मरण करते है इसके जाप में लीन होकर आत्मिक आनंद प्राप्त होता है |


"राधे राधे"

यह केवल श्री राधा देवी का नाम नहीं बल्कि एक महामंत्र है | “राधे राधे” मंत्र के जाप से शीघ्र ही भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है और इसके मानसिक जाप से भगवान कृष्ण के परमधाम का साक्षात्कार होता है | ‘रा’ के ध्वनि से वैराग्य और भक्ति प्राप्त होती है और ‘धे’ या ‘धा’ से परम दुर्लभ मुक्ति और भगवान को प्राप्त किया जा सकता है |


"हरि ॐ"

यह मंत्र सरल और बहुत प्रभावी है इसके जाप ज्यादतर हरिभक्त करते है इससे मानसिक शांति होती हैं और नियमित जाप साधना से आत्मज्ञान प्राप्त किया जा सकता सकता है |


"राधे गोविंद"

“राधे गोविंद” मंत्र में राधा और गोविंद का स्मरण होता है राधा निस्वार्थ प्रेम आराधना और भक्ति का प्रतीक है और गोविंद परम चेतना पवित्र आत्मा के प्रतीक है | इस मंत्र का जाप करना सरलतम है और परम मुक्ति (मोक्ष) के लिए इस मंत्र का जाप प्रभावी विधि कही जाती है |


"माधव गोविंद"

आत्मिक शांति और आनंद के लिए इस मंत्र का जाप उत्तम है, भक्तिभाव सह इस मंत्र का जाप करने अन्य विषय और वासनाओं से मुक्ति मिलती है और परम् पवित्र कृष्ण चेतना को प्राप्त हुआ जा सकता है |


"राधावल्लभ हरिवंश"

श्री कृष्ण और हरि भक्त इस मंत्र का जाप करते है इसके जाप से शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है |


"ॐ नमो नारायणाय"

यह “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र भगवान नारायण का शरणार्थी मंत्र है | ‘नीर’ यानी पानी और ‘आयन’ यानी निवास करने वाला | भगवान कृष्ण भगवान नारायण के ही अवतार है और अद्वैत है |


"ॐ विष्णवे नमः"

यह प्रमुख विष्णु मंत्र है भगवान कृष्ण और विष्णु अभिन्न है इसलिए इस मंत्र के जाप से भगवान कृष्ण की आराधना भी करी जाती हैं |


"ॐ देविकानन्दनाय विधमहे वासुदेवाय 
धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात"

इस मंत्र को कृष्ण गायत्री मंत्र कहा जाता है इसके जाप से सदबुद्धि, आत्मविश्वास और नकारात्मक भावना से मुक्ति मिलती है | इस मंत्र का जाप कर भगवान कृष्ण का ध्यान करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है| जिससे जीवन सरल और सुखी होता है |


"कृष्णाय वासुदेवाय देवकीनन्दनाय च,
नन्दगोपकुमाराय गोविन्दाय नमो नम:"

भगवान के इस ‘कृष्णाय वासुदेवाय देवकीनन्दनाय च’ मंत्र का जाप करने से मन की पवित्रता मिलती है और दूसरे के लिए प्रेम करुणा की प्राप्ति होती है | कृष्णाय वासुदेवाय देवकीनन्दनाय यह मंत्र भगवान के अटूट आस्था और भक्ति का उदय करवाता है |


"गोकुल नाथाय नमः"

यह मंत्र भगवान बालकृष्ण को समर्पित अष्टाक्षर मंत्र है | जो बालगोपाल जो गोकुल के स्वामी है इसके जाप से भगवान की भक्ति प्राप्त होती है | और कलियुग की बुराइयों से छुटकारा मिलता है |


"श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे, 
हे नाथ नारायण वासुदेवा"

यह मंत्र का कीर्तन करने से व्यक्ति मानसिक तनाव से छुटकारा पाता है | इसके निरंतर जाप से भगवान की भक्ति प्राप्त होती है | जन्म मरण रूपी भौतिकता से मुक्ति होती है और भगवान कृष्ण का साक्षात्कार होता है |


"ऊं श्रीं नमः श्रीकृष्णाय 
परिपूर्णतमाय स्वाहा" 

यह श्रीकृष्ण का सप्तदशाक्षर मंत्र है | इसके जाप भगवान को भोग लगाने और समर्पण करते हुए करना चाइए इसके जाप निरंतर जाप से योग सिद्धि प्राप्त की जा सकती है |


"कृं कृष्णाय नमः"

इसके भगवान कृष्ण का मूल मंत्र कहा जाता है इसके जाप से जीवन को सुखी और समृद्ध बनाया जाता है | भावपूर्वक इसके जाप से मानसिक शांति, आध्यात्मिक बल और आत्मिक आनंद भी प्राप्त होता है |


"ॐ क्लीम कृष्णाय नमः" 

इस मंत्र का जाप करने से जीवन की समस्याओं से लड़ने को आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है | यह तांत्रिक मंत्र भी कहा जाता है |


Lord Krishna Mantra
Lord krishna

कृष्ण मंत्र जाप का महत्व

भगवान कृष्ण सभी पापों को नाश करने वालें मोक्ष दाता है | जीवन-मरण के निरंतर चलने वालें चक्र या सांसारिक विषयों की आसक्ति और उनके दोषों से मुक्ति पाकर सर्वोच्च आत्मिक आनंद मोक्ष प्राप्त करने के लिए भगवान कृष्ण की आराधना करना उत्तम विधि है |

कृष्ण मंत्र जाप से आध्यात्मिक उन्नति होती ही है | परंतु मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए भी मंत्र जाप प्रभावी उपाय है | भगवान कृष्ण की भक्ति जाप केवल एक उपाय से परे है यह समृद्ध और सुखी जीवन की कुंजी है |

ये मंत्र शब्द, स्वर या ध्वनि से कई बढ़कर है; यह निस्वार्थ प्रेम और भक्ति का प्रतीक है। कृष्ण मंत्र का जाप करते समय भक्त भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति भाव और अटूट श्रद्धा का आह्वान है |

भगवान कृष्ण का ध्यान और मंत्र जाप आध्यात्मिक संबंध और दिव्य प्रेम के लिए हमारी अपनी लालसा का प्रतीक है। यह निस्वार्थ प्रेम की याद दिलाता है जो आध्यात्मिक अभ्यास है |

परम चेतना, अंतरिक शुद्धता और परम मुक्ति से जुड़ने के लिए इन मंत्रों को साधन बनाया जाता है | मंत्र ध्वनि पर एकाग्र रहकर चंचल मन को नियंत्रित किया जा सकता है और व्यक्ति स्वयं के भीतर कुच कर स्वयं को स्वयं ही से जीतता है |


जय श्री कृष्ण! हरे कृष्ण!

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