जो लोग भाग्यवान होते हैं उन्हें जीवन में भगवान की भक्ति प्राप्त होती है भक्ति ही जीवन का सार हैं। भगवान के निस्वार्थ भक्तों ने भक्ति कर भगवान की कृपा प्राप्त कि जिससे उन्हें भक्ति के अनमोल लाभ प्राप्त हुए हैं।
साधकों! भगवत भक्ति का मोल केवल वही जान सकता है जिसके भाग्य में भक्ति लिखी हुई है अन्यथा बाकी लोगों को तो यह पागलपन भी लग सकता हैं। लेकिन वास्तविकता में वे अज्ञानी है, क्योंकि भक्ति मनुष्य जीवन के कल्याण का मार्ग हैं।
अगर आप एक भक्तिपूर्ण व्यक्ति है तो यह लेख आपके लिए ही है यहां मैने भक्ति के तीस से भी ज्यादा अनमोल वचन साझा किए है इन्हे पढ़िए आपको अवश्य पसंद आयेंगे!
कृष्ण भक्ति पर अनमोल वचन
जब भक्ति में थोड़ा भी मन लगे तब समाझलेना प्रभु की कृपा प्राप्त हो चुकी हैं।
“जो मेरे भक्त हैं वही मुझे प्रिय है, भक्ति का अर्थ केवल पूजा-अर्चना नहीं बल्कि मन वचन और कर्म से भगवान् कृष्ण के प्रति समर्पण हैं।”
“विश्वास का अर्थ है कृष्ण पर भरोसा करना, जब आप उनकी योजना को नहीं समझते हैं।”
“प्रेम वह कुंजी है जो शाश्वत परम आनंद और मुक्ति का द्वार खोलती हैं”
“भगवान श्रीकृष्ण कहते है, मेरे लिए न कोई घृणित है और ना प्रिय परंतु जो व्यक्ति मेरी भक्ति करते है मैं उनके साथ हू और वे मेरे साथ है।”
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“अगर मांगना ही है तो ऊपरवाले का साथ मांगों जो बुरे वक्त में काम आता हैं”
“भगवान कृष्ण आनंद के सार है और उनके अंश होने के कारण हम भी आनंद के लिए लालायित रहते है।”
“हे भगवान कृष्ण! आप अनंत है आप ही सर्वोपरि है आपको ज्ञान से नही भक्ति से जाना जाता हैं क्योंकि आप भक्त वत्सल हैं।”
भक्ति से मन के रोग नष्ट हो जाते है, और हम भगवान के समीप पहुंच जाते है।
“भगवान की और कभी कोई एक पग भी आगे बढ़ता है तो भगवान उसके लिए सौ पग आगे बढ़ते हैं।”
“कृष्ण केवल आपको स्वीकार नहीं करते जैसे आप हैं, बल्कि आपको मदद करते वो बनने में जो आपकी होना चाहिए।”
“मेरी आस्था भी तू, मेरा विश्वास भी तू , मेरी हर उलझन का रास्ता भी तू।”
“जब जब हूं मैं हारा गोविंद तूने दिया सहारा जब जब ना मिला किनारा गोविंद तूने पार उतारा।”
इस संसार के लोगों की आशा न किया करों जब जब मन व्याकुल हो उठे राधाकृष्ण नाम लिया करों।
मन को निराश न कर, बस कृष्ण पर तू विश्वास कर, हर पल साथ है मुरली वाला इस बात का एहसास कर।
“मैं फिर से एक मानव जन्म और कई तपस्याओं के परिणाम के बारे में सोचता हूं लेकिन मेरी इच्छा है कि अगर मैं फूल बनूं, तो मैं हर दिन गोविंदा के चरणों में भाग्यशाली होता”
“प्रेम और भगवान दो नहीं बल्कि एरूप ही हैं, ऐसा होने पर भी भगवान के दर्शन होने पर प्रेम हो ही जाए यह सर्वत्र अबाधित नियम नहीं , पर प्रेम होने पर तो भगवान मिल ही जाते हैं, इसी लिए प्रेम भगवान से भी बढ़कर है।”
“जीवन में होने वाली गलतियों को अगर सिख लेकर न दोहराया जाएं तो कृष्ण से दंड नहीं क्षमा कर देते हैं।”
व्यक्ति जो चाहे जैसा चाहे बन सकता हैं अगर वह निश्चित वस्तु का चिंतन करता हैं।
“अच्छे और सच्चे रिश्ते कभी खरीदे नही जाते और उधार भी नहीं लिए जा सकते।”
“केवल उस एक के सामने झुको वह आपको किसी और के सामने नहीं झुकने देंगा।”
“अगर आपका संकट एक जहाज जितना बड़ा हो सकता है, तो यह न भूलिए भगवान की कृपा सागर जितनी विशाल हैं।”
यदि वह विश्वास और समर्पण के साथ काम करता है तो व्यक्ति पूर्णता प्राप्त कर सकता है।
भगवान कृष्ण अच्छे लोगों की परीक्षा बहुत लेते है, परंतु कभी उनका साथ नहीं छोड़ते, और बुरे लोगों बहुत कुछ दे देते है परंतु उनका कभी साथ नही देते।
वह जो मृत्यु के समय मेरा स्मरण करते हुए शरीर त्यागते है तुरंत मेरे स्वभाव को प्राप्त हो जाते है, वे मेरे परमधाम को प्राप्त हो जाते हैं।
जो ज्ञानी है उसे समझाया जाता सकता है जो अज्ञानी को उसे भी समझाया जा सकता है परंतु जो अभिमानी है उसे सिर्फ वक्त समझाता हैं।
प्रेम ब्रह्मांड की रचना और सचालन का मूल तत्व हैं।
कृष्ण नाम हरे मन के सभी विकार कृष्ण नाम ही करे यह भवसागर पार।
कोन कहता है भगवान आते नहीं तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं।
प्रभु की प्रेम भक्ति न छोड़िए चाहे निंदा करता है संसार भक्ति में ही परम आनंद है पल पल सुमरो नंद कुमार |
कोई भी रिश्ता अपनी मजी से नहीं जुडता क्योंकि आपको कब कहां किससे मिलना है, ये सिर्फ ऊपर वाला तय करता है।
सेवा करनी है तो समय ना देखो! प्रसाद लेना है तो स्वाद ना देखो! सत्संग सुनना है तो जगह मत देखो!
कर्म ऐसे हो व्यक्ति जहां भी जय वह मंदिर बन जाए।
इंसान से प्रेम होने पर वह हमारी कमजोरी बन जाती है परंतु परमात्मा से प्रेम होने पर वह हमारी शक्ति बन जाती हैं।
संसार में बाकी सब दुखी केवल सुखी भगवान का दास।
जब आप एकदम अकेला अनुभव करते हैं, तब भी आपके साथ भगवान अवश्य होते है।
कृष्ण से ही सृष्टि है, कृष्ण से ही शक्ति है, इस जगत में अति आनंदी सिर्फ कृष्ण भक्त है l
भगवान हम सब के दिलों में हैं और जो उसे खोजते हैं, उसे पा लेंगे जब उन्हें भगवान की सबसे ज्यादा जरूरत होगी।
“हम कहां ढूंढ़ सकते हैं भगवान को जब हैं उसने स्वयं में न ढूंढ पाए।”
जो व्यक्ति जीवन में भक्ति के मार्ग पर चलता है, उसकी यात्रा भगवान के पास आकर समाप्त होती है।
प्रार्थना करते हुए परमात्मा आपको सुनते है, और ध्यान में आप परमात्मा को सुनते हैं।
अंतिम शब्द
ये थी कुछ कृष्ण भक्ति की बाते और अनमोल वचन आपको अवश्य ही पसंद आए होंगे इन्हे अपने संबंधियों से साझा अवश्य कीजिए।
|| ‘ॐ’ जय श्रीकृष्ण, जय श्रीकृष्ण, जय श्रीकृष्ण, जय श्रीकृष्ण, जय श्रीकृष्ण, जय श्रीकृष्ण, जय श्रीकृष्ण, जय श्रीकृष्ण, जय श्रीकृष्ण, जय श्रीकृष्ण, जय श्रीकृष्ण ||
Jai shree Krishna