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श्री गणेश की सुहाग का आशीर्वाद देने वाली कथा।

एक समय की बात है, एक गांव में भाई बहन रहते थे, बहन अपने भाई से बहुत प्रेम करती थी, बहन का रोज का नियम था वह अपने भाई का चेहरा देखने बाद ही भोजन किया करती थी ।

बाद में बहन की विवाह की आयु हो गई और परिवार वालो ने मिलकर बहन की पड़ोस के ही गांव में शादी कर दी । दोनों गावों की दूर ज्यादा नही थी। बहन सुबह जल्दी अपने रोजमर्रा के काम निपटाकर अपने भाई से मिलने मायके जाती।

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एक दिन बहन सुबह अपने भाई से मिलने मायके जा रही थी रास्ते में एक पीपल के पेड़ के नीचे गणेश जी की मूर्ति स्थापित थीं , उसने गणेश जी से हात जोड़कर प्रार्थना की “मेरे तरह अमर सुहाग और अमर भाई सबको दीजिए” गणेश जी से यह प्रार्थना कर वो मायके के रास्ते आगे बढ़ गई। रास्ते में झाड़ियों के कटे उसके पैरो मे चुभा करते थे और उसे ठोकरें लगा करती थी

श्री गणेश की सुहाग का आशीर्वाद देने वाली कथा।

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भाई के घर पहुंची और भाई का चेहरा देख कर बैठ गई भाई के पत्नी ने पैरों पर लगे चोटों के बारे में पूछा , बहन ने रास्ते में होने वाले काटो के बारे में बताया और ससुराल जाकर अपने पति से रास्ता साफ करवाऊंगी कहां।

भाई ने भी बहन के पैरो के पर ध्यान दिया और भाई कुल्हाड़ी लेकर रास्ता साफ करवाने निकल पड़ा । भाई ने गणेश जी का स्थान भी वहां से हटा दिया , गणेश जी यह देख गुस्सा हो गए भाई के और प्राण हर लिए।

गांव वाले अंतिम संस्कार के लिए शव को ले जा रहे थे, तभी भाई के पत्नी ने रोते हुए कहां इनकी बहन अति ही होंगी, वह अपने भाई का चेहरा देखे बिना नहीं रह सकती।

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लोगों ने कहां आज तो अपने मृत्यु भाई को देख लेंगी लेकिन कल और आगे किसे देखेंगी।

बहन भाई से मिलने के लिए ससुराल से निकल चुकी थी और उसने देखा रास्ता साफ हो चुका है और सिद्धिविनायक भी रोज के स्थान से हट चुके हैं ।

बहन ने गणेश जी की मूर्ति को ढूंढकर प्राप्त किया और उसे पहले वाले स्थान पर वापिस विराजमान किया और गणेश जी से प्रार्थना की “मेरे जैसा अमर सुहाग और भाई सबको मिले”

गणेश जी बहन से की प्रार्थना से प्रसन्न होकर जाती हुई बहन को पीछे से आवाज देते हुए गणेश जी ने खेजड़ी की सात पत्तियां दी और उन्हे कच्चे दूध में घोलकर उसके भाई के चेहरे पर छिड़कने को कहां बहन ने पीछे मुड़कर देखा तो वहां गणेश जी की मूर्ति के सिवा कोई नही था गणेश जी के मूर्ति के आगे खेजड़ी की साथ पत्तियां रखी थी उसने वो पत्तियां उठाई और भाई के घर के तरफ निकल गई।

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तब उसने जाने से पहले गणेश जी को एक अच्छे स्थान पर रखकर उन्हें स्थान दिया और हाथ जोड़कर बोली भगवान मेरे जैसा अमर सुहाग और मेरे जैसा अमर पीहर सबको देना और फिर बोलकर आगे निकल गई।

बहन ससुराल भाई घर पहुंची वहां कई लोग पैठे थे, भाई के पत्नी के रोने की आवाज आ रही थीं, उसने देखा भाई की मृत्यु हो चुकी हैं, बहन ने खेजड़ी की सात पत्तियों को कच्चे दूध में घोलकर, उसके छीटे भाई के चेहरे पर डाले , भाई तुरंत उठ कर बैठ गया। उसने कहां मुझे बहुत गहरी नींद आ गई थीं। बहन ने कहां ऐसी नींद शत्रु को भी न आए।

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