भगवान नाम जप कैसे करें.
भगवान का नाम जपने के लिए किसी विशेष स्थिति, स्थान या विशेष दिवस की अनिवार्यता नही हैं, भगवान नाम जाप तो कभी भी किया जा सकता है। संन्यासी अखंड नाम जाप करते है जिसके अतुलनीय लाभ हैं। परंतु शेष समय में भी नाम सुमिरन करना श्रेष्ठ हैं।
भक्ति स्वयं भगवान ही भक्त को प्राप्त करवाते है, भगवान के इच्छा के बिना किसीका नाम जाप करना संभव ही नहीं हैं।
वैसे तो भगवान का नाम किसी भी समय स्थिति, स्थान पर जाप कर सकते हैं, भगवान का नाम मुंह से जोर-जोर से उच्चारण करने की आवश्यकता नहीं हीं है | लेकिन धीमे स्वर में भगवान का सुमिरन करना उत्तम है या मन में ही जप किया जा सकता है | धीमे स्वर में भाव होता हैं या मन में नाम जाप करने से मन की एकाग्रता में भी उन्नति होती है।
भक्त नाम जाप करने के लिए के लिए ध्यान की अवस्था में माला के साथ नाम जाप करते है, भगवान के विग्रह के सामने बैठते हैं, शांत स्थान पर नाम जाप करने से कोई बाधा भी नहीं आती जिसे सुमिरन भंग नहीं होता।
नाम जाप करते हुए कई भक्त भगवान के स्वरूप का मन में ही स्मरण करते हैं, और कई भक्त नाम के धुन में ही स्थित रहते हैं।
भगवान का नाम जपने के फायदे.
भगवान का सुमिरन (स्मरण, जाप) करने से भक्त को जीवन में और मृत्यु के पश्चात भी अनंत लाभ होते हैं, कलियुग में भगवान नाम सुमिरन से ही भक्त भगवतप्राप्ति और मोक्ष प्राप्त करता हैं, जैसे अतिथियों को संतुष्ट करने के लिए विशेष भोजन पकाते है, जैसे शिशु को सुलाने के लिए मां लोरी गाती है वैसे ही भगवान को प्रसन्न करने के लिए नाम जाप एक श्रेष्ठ साधन है।
नाम जाप के अनंत लाभों को लिखकर बताना संभव ही नहीं हो सकता क्योंकि भक्तों ने भगवान नाम जपने से इतने लाभ प्राप्त किए हैं की इसे खोजने निकल पड़े तो लाखों जन्म भी कम पड़ जाए।
महर्षि नारद मुनि एक काल में विद्याहीन, बलहीन, दासीपुत्र हुआ करते थे , सातों के संगती और भगवान नाम जप से उन्हें देवर्षि पद प्राप्त हुआ, भगवान का परम भक्त प्रह्लाद निरंतर हरी नाम सुमिरन करता था, प्रह्लाद ने बाल्यावस्था में ही भगवतप्राप्ति कर ली, भगवान ने हिरण्यकश्प से प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की, प्रह्लाद अंतिम समय में मृत्यु लोक छोड़ कर भगवान के परम पूज्य धाम वैकुंठ में गए। महाभारत काल में मैत्रेय ऋषि की कथा है भगवान नाम के प्रभाव से वे एक कीड़े से ज्ञानी महर्षि में परिवर्तित हो गए।
भगवान नाम जाप के लाभों पर ऐसी असंख्य कथाएं है। भगवान नाम सुमिरन से ही कई भक्तों के जीवन में ही अद्भुत लाभ हुए हैं।
भगवान नाम जप के असंख्य लाभों में से कुछ लाभ
चलिए जानते है भगवान नाम जप के कुछ लाभों के बारे में जो पर सब भक्तों को अवश्य ही होते है।
- चेतना जागृत होती हैं।
- आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति होती हैं।
- मन एकाग्र होता हैं।
- सदगति होती हैं।
- मानसिक तनाव दूर होता हैं।
- भगवतप्राप्ति होती है।
- आध्यात्मिक सुख प्राप्त होता हैं।
- भक्ति में उन्नति होती हैं।
- काम, मोह, लोभ, घृणा, क्रोध, विषाद और बदले की भावना नष्ट होती हैं।
- भक्त निर्भय बनता हैं।
- हृदय प्रेम अमृत से भर जाता हैं।
- दुःख और समस्याओं से लड़ने की आध्यात्मिक सक्षमता प्राप्त होती हैं।
- संकट में नाम सुमिरन से भगवान की इच्छा से भारी से भारी संकट भी टल जाता है।
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भगवान का नाम जप की महिमा
एक बार की बात है तुलसीदास जी नाम जाप कर रहे थे, एक व्यक्ति ने उनसे पूछा – “कभी कभी कर्म बंधन या आलस के कारण भक्ति करने का मन नहीं करता फिर भी नाम भगवान का नाम जाप करते हैं, क्या इसका कोई लाभ प्राप्त होता हैं?
तुलसीदासजी ने उत्तर देते हुए कहां –
तुलसी मेरे राम को रीझ भजो या खीज। भौम पड़ा जामे सभी उल्टा सीधा बीज।।
अर्थात् – जब भूमि पर बीज लगाए जाते हैं, तब प्रकृति यह नहीं देखती की बीज उल्टे पड़े या सीधे, कालांतर में सभी बीज अंकुरित होकर, भूमि के उपर निकल आते हैं,
भायँ कुभायँ अनख आलस हूँ। नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ ॥
अर्थात् – नाम जप करते हुए अगर रुचि नहीं है, आलस आ रहा हैं मन नहीं लगता हैं, तब भी नाम जाप कीर्तन करने से फल मिलता ही हैं।
इसी तरह सुमिरन कैसे भी लिया जाए इसका फल भक्त को अवश्य ही प्राप्त होता हैं।
नाम जाप और मंत्र जाप से भक्त आध्यात्मिक उन्नति तो करता ही है साथ ही भगवान का नाम जपने से जीवन के समस्याओं पर हल निकाल सकता हैं।
भगवान नाम जाप कीर्तन को अदभुत महिमा को वेदों और पुराणों में गाया गया हैं। भगवान के स्वरूप को मन में विराजमान कर भगवान का ध्यान करने से और नाम जप करने से भक्त पंच महाभूत में विलीन हो जाता है और आध्यात्मिक शांति और आनंदमय अवस्था प्राप्त करता है। शास्त्रों की प्रतिज्ञा है राम कृष्ण हरि , या शिव के नाम जप कीर्तन करने से कीर्तन से भक्त को अनंत फल प्राप्त होता हैं।
हमारा यह जीवन कलियुग में शुरू हुआ हैं। पुराणों में कलियुग को महान कहां गया हैं जहां सतयुग से लेकर कलियुग तक भगवान को प्राप्त होना आसान होता गया हैं, कलयुग कल्प का अंतिम युग है इस कलियुग में भगवान का सिर्फ नाम जाप करने से ही भक्त जीवन और मरण के चक्र से मुक्त होकर परम आनंद मोक्षधाम को प्राप्त होता हैं।
इसी तरह परमात्मा का दो अक्षर वाले श्री हरी नाम की महिमा अनंत हैं।
ये वदन्ति नरा नित्यं हरिरित्यक्षरद्वयम्। तस्योच्चारणमात्रेण विमुक्तास्ते न संशयः।।
अर्थात् – जो व्यक्ति परमात्मा के दो अक्षर वाले हरी नाम उच्चारण करते है, वे उच्चारण मात्र से ही मुक्त हो जाता है, इसमें शंका नहीं,
इस श्लोक में हरी नाम की महिमा को गाया गया है हरि नाम में ही शाश्वत परम आनंद है, केवल हरि नाम जपने से ही व्यक्ति निसंदेह दुखरूपी संसार से मुक्ति प्राप्त करता हैं।
हरे राम हरे कृष्ण कृष्ण कृष्णेति मंगलम्। एवं वदन्ति ये नित्यं न हि तान् बाधते कलिः।।
अर्थात् – हरे राम! हरे कृष्ण! कृष्ण! कृष्ण! ऐसा जो सदा उच्चारण करते हैं, उन्हें कलियुग में कोई भी हानि नहीं पहुंचा सकता है।
परमात्मा अपने भक्तों की सदा ही रक्षा करते हैं।
नामजप कीर्तन की महिमा अनंत है यज्ञ, पूजा, होम आदि से भी नाम जाप कीर्तन की तुलना नही की जा सकती। नाम जाप करने के लिए किसी विशेष स्थिति या स्थान पर होना आवश्यक नही हैं, भगवान नाम किसी भी समय मन में ही भगवान के स्वरूप को ध्यान कर लिया जा सकता है।
नामजाप ध्यान का आधार है, नामजाप भवसागर से पार निकल कर परम आनंद प्राप्त कर परमात्मा में विलीन होने का सर्वश्रेष्ठ साधन है।
किसी भी शेष समय पर नाम जाप करना सुलभ और श्रेष्ठ है । लेकिन अखंड नाम जाप की महिमा अतुलनीय हैं, संन्यासी अखंड नाम जप या मंत्रजाप करते है.
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निष्कर्ष;
भगवान नाम जाप कीर्तन सबसे श्रेष्ठ साधन है भगवान को प्राप्त होने का, नाम जाप से जीवन में भी असंख्य क्रांति संभव हैं, वेदों, पुराणों में नाम जाप कीर्तन को ही श्रेष्ठ और अतुलनीय कहां गया हैं। जब भी समय मिले भगवान का सुमिरन करना चाहिए इससे भगवान भी प्रसन्न होते है और हमेशा कल्याण ही करते है।