माता पिता का स्थान किसी बच्चे के जीवन में सबसे ऊंचा होता है | पहले गुरु माता पिता ही होते है वे ही उसे बोलना, चलना, जीना सिखाते है | अपने माता पिता का आदर और सेवा करने वाला बच्चा शांति और सरलता को प्राप्त करता है |
जीवन के सफ़र में माता पिता का साथ सबकों नहीं मिलता और जिन्हे नहीं मिलता वे इसके महत्व को भली-भाती समझते है | परंतु कई ऐसे लोग है जो माता पिता को उनके जीवन में होते हुए उनके प्रेम का मूल्य नहीं जानते और जब उनका हात सर ले उठ जाता है तब उन्हें उनका मूल्य समझ आने लगता है |
मनुष्य का मन बहुत चंचल होता है वो निरंतर इच्छाएं करता रहता है माता पिता का साथ होते हुए वह उनका मूल्य नहीं जनता और उनके प्रेम को अनदेखा करने लगता है | वह कभी हमें जितना है उसमे संतुष्ट नहीं रहने देता | इसी कारण माता पिता का महत्व किसी के हृदय में बढ़ती उम्र के साथ कम हो जाने लगता है | और जब वे दुनिया से चलें जाते है तब वह इसका अहसास करता है की जिसे वह अनदेखा कर रहा था उसका क्या महत्व था |
सभी जीव माता और पिता से ही इस संसार में जन्म लेते है चाहें वह कोई बिल्ली हो, कुत्ता हो, गाय हो, या जंगली जानवर जैसे शेर, हिरण सभी का सहारा माता या पिता होते है | वे आपने बच्चों की रक्षा करते है उनका पेट भरते है और उन्हें अपने जीवन के पथ पर कैसे आगे बढना है सिखाते है | इसलिए माता पिता का महत्व केवल मनुष्य तक ही सीमित नहीं है |
माता और पिता भगवान है या नहीं? या जीवन में पहला स्थान माता पिता का है या भगवान का? ये प्रश्नों के उत्तर जानना आवश्यक नहीं है | लेकिन माता और पिता में भगवान की देखना और भगवान को माता पिता में देखना आवश्यक है | अगर कोई अपने माता पिता में ही भगवान को देखता है और भगवान को ही माता पिता ने देखता है तो वह भगवान के भी हृदय में वास करता है माता पिता के भी |
भगवान किसी के जीवन में माता पिता की जगह नहीं ले सकते है | क्योंकि वे आपके मन के सुख-दुख इच्छाएं का भी बराबर ध्यान देते है और वे सही गलत की परवा किए बिना भी आपका ख्याल करते है | लेकिन भगवान ये नहीं करते, भगवान कृपा तभी करते है जब व्यक्ति सरलता, श्रद्धा, भक्ति, सच्चाई और सत्य साथ जीवन जीते है |
न माता पिता ही भगवान से श्रेष्ठ है | और न कभी भगवान माता पिता की जगह लेंगे | भगवान अपने स्थान पर है और माता पिता अपने स्थान पर इनकी तुलना नहीं की जा सकती |
भगवान के लिए श्रद्धा और भक्ति संसार के दुखों को काटने का शक्तिशाली शस्त्र है | और माता पिता का सम्मान आदर करना हर पुत्र का धर्म है और उसे इसका पालन करना चाहिए | जिस तरह से माता पिता ने पुत्र को साथ लेकर संसार दिखाया और उसे जीना सिखाया उसी तरह पुत्र को भी माता पिता का साथ देना चाइए, क्योंकि ये उसका धर्म है भगवान भी यहीं कहते है व्यक्ति को धर्म के साथ ही चलाना चाहिए |
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