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महामंत्र ‘ॐ’ का जाप और ध्यान का सही अभ्यास कीजिए इसके अविश्वसनीय लाभ है


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Om mantra meditation practice
Om mantra meditation practice

 

यहां से मुक्त होना ही हर मनुष्य का उद्धार है | परंतु जो इस दुनिया के मोहजाल में ही पड़े है और निरंतर व्याकुल है सुख दुख में चूर हो जाते है | चिंता में पड़े रहते है | उनके जीवन में शांति और समृद्धि केवल ध्यान से आ सकती है |

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साधकों! ध्यान से आपका मन निर्मल तो होता ही है | इससे आप जीवन में परम शांति को प्राप्त कर सकते है | मन की भ्रम रूपी सीमाओं को तोड़ कर सत्य यानी वास्तविक स्वरूप को प्राप्त हो सकते है |

यह मंत्र ॐ का जाप से ध्यान का अभ्यास करने का सही तरीका अगर आप जान जाते है तो निश्चित है आप आध्यात्मिक उन्नति और शांति को प्राप्त हो जाएंगे! ॐ के जाप की विधि और इसके लाभ जानिए!

‘ॐ’ का ध्यान कैसे करें

ॐ का जाप कर ध्यान में उन्नति करना कई साधकों के लिए तो सहज होंगा! लेकिन कई साधकों को ध्यान का सही तरीका न पता होने के कारण वे विफल हो सकते है, इसलिए हमें ध्यान को जानने की आवश्कता है |

‘ॐ’ मंत्र जाप और ध्यान अभ्यास का सही अभ्यास

किसी मंत्र पर या अन्य कोई का स्मरण करना ध्यान की शुरवात हो सकती है लेकिन वह ध्यान में उतरना नहीं है | ध्यान का मतलब है मन को निर्मल करना | मन निर्मल क्यों नहीं है? क्योंकि मन सदैव सांसारिक विषयों का मोह लिया फिरता है | सांसारिक विषय यानी धन, संपत्ति से समृद्धि का मोह, कारोबार, स्त्री, पुरुष, कर्तव्य, कर्म के फल की इच्छा और आसक्ति, विषय मोह और अन्य भी हो सकते है जिसमे मन आपको खींचकर ले जाता है | ये विषय पहले तो अमृत के समान लगते है लेकिन जब वो व्यक्ति इनका सेवन करता है तब यहीं विष की तरह उसे दुख पहुंचाने लगते है |

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उन सांसारिक विषयों से सुख प्राप्त करना या उससे मिलने वाले दुख से छुटकारा पाना ध्यान नहीं | लेकिन इनसे मन को मुक्त करना और आत्मा को पवित्र करना ध्यान है | इनसे पूरी तरह मुक्त होकर ही वास्तविक आनंद की प्राप्ति की जा सकती है |

‘ॐ’ का ध्यान करने के लिए आप इस विधि का अभ्यास कर सकते है |

‘ॐ’ ध्यान के लिए सही जगह और समय का चुनाव कीजिए

ध्यान अभ्यास करने के लिए सही जगह का चुनाव करना चाइए यह इसलिए क्योंकि ध्यान में बाधा न आएं अगर आप कहीं पर भी बैठकर ध्यान करने लग जाएंगे तो शोर की वजह से ध्यान का अभ्यास सही नहीं हो सकेगा! ध्यान के लिए एकांत और शांत स्थान उपयुक्त होता है |

सही समय का भी चुनाव करना जरूरी है एक निश्चित किए समय पर रोज ध्यान का अभ्यास कीजिए | ब्रह्ममुहूर्त में या सुबह के समय या शाम के समय आप अपना ध्यान अभ्यास का समय चुन सकते है |

धीमें स्वर में ‘ॐ’ का जाप कीजिए

ॐ (ओ३म) का जाप करते हुए अपने मन को मंत्र पर एकाग्र कीजिए | इससे साधक माया के विषयों से अपने मन को हटाने का अभ्यास करता है; मन पर नियंत्रण पाने का अभ्यास करता है | केवल ॐ का जाप न कर ओम की ध्वनि में मन को लीन करने का भी अभ्यास कीजिए ॐ का जाप करते हुए मुख से ज्यादा शोर करने की आवश्यकता नहीं है | धीमें स्वर में जप कीजिए | अ, उ और म | मन को निर्मल करने का इससे बढ़कर उपाय नहीं है | यह विधि सभी तरह के साधकों के लिए उपयुक्त है |

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नियमित जाप कीजिए, मन पर नियंत्रण का अभ्यास

नियमित यानी रोजाना जाप करने से साधक में निश्चित ही बदलाव आते है | अगर ॐ के ध्यान से आध्यात्मिक उन्नति करना चाहते है तो इसका नियमित जाप करना जरूरी है | जाप करते हुए मन निर्मल होता है लेकिन ध्यान समाप्त होने पर दिन भर इस और अपवित्र न कीजिए इससे ध्यान के लाभ क्या ही होंगे? जब भी मन मोहित हो जाते मन को शांत कीजिए और ॐ पर एकाग्र कीजिए|

‘ॐ’ मंत्र जप ध्यान अभ्यास करने के फायदें

ॐ के जाप और ध्यान करने के अविश्वनीय लाभ है | यह साधक को आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति और मन की निर्मलता को साधने में उपयोगी है |

‘ॐ’ मंत्र का नियमित जाप और ध्यान अभ्यास कर साधकों को क्या लाभ होते है जानिए

  • चेतना जागृत करने के लिए उपयोगी |
  • आध्यात्मिक उन्नति के लिए उपयोगी|
  • मानसिक शांति मिलती है |
  • मन निर्मल होता है|
  • शुद्ध आत्मा का दर्शन होता है|
  • मुक्ति को प्राप्त हुआ जा सकता है|
  • दिव्य आत्मा का आनंद प्राप्त होता है|
  • जीवन का प्रधान उद्देश प्राप्त होता है |
  • मोह माया में वैराग्य उत्पन्न होता है |
  • सिद्धि से ब्रह्म स्वरूप को प्राप्त हुआ जाता है |

ॐ मंत्र जाप ध्यान की महिमा

ॐ मंत्र जाप से साधक को अविश्वसनीय लाभ होते है इससे मन को निर्मल किया जाता है और ब्रह्म स्वरूप को साधा जाता है |

उपनिषद और वेदों में भी ॐ का महत्व प्रणव अक्षर कहकर बताया गया है | ॐ की ध्वनि ही ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है | दत्तात्रेय प्रभु कहते है साधक स्वयं को ॐ रूपी तीर पर लगाकर परमात्मा की और साध देना चाइए; इससे परमात्मा का साक्षात्कार होता है |

ॐ के तीन भूत भविष्य और वर्तमान को सूचित करता है ‘अ’ यानी भूतकाल, ‘उ’ यानी वर्तमान और ‘म’ यानी भविष्य काल | और जो परमात्मा का कालातीत स्वरूप है इसे भी ‘ॐ’ दर्शाता है | ‘ॐ’ के जाप से तीनों कालों में वैराग्य प्राप्त होता है और कालातीत को प्राप्त हुआ जा सकता है | 

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