Advertisement

माया क्या हैं | भगवान श्रीविष्णु और देवर्षि नारद की कथा

एक बार वैकुंठ में देवर्षि नारद को गर्व हुआ की वह माया के अधीन नहीं हैं । जैसे मनुष्य, जीव और अन्य भी इस माया को पार नहीं कर पाते और माया जाल में फस जाते हैं।

गर्वित होते हुए नारद ने कहां भगवन! मैं माया के समस्त बंधनों के पार हुं , मुझ पर माया प्रबल नहीं हो सकती। मनुष्य, जीव और अन्य की तरह।

Advertisement

भगवान विष्णु ने कहां नारद ! अपनी शोभा से सावधान हो जाओ! माया को पार करना कठिन हैं। वह अनेक रूप लेती हैं । काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या और लोभ। यह त्रिगुणात्मक है।

नारद मुनि शब्दहीन, विनम्र और उत्सुक हुएं।

Advertisement

नारद मुनि ने विनम्रता पूर्वक भगवान विष्णु से कहां हे जगन्ननाथ! मुझपर कृपा कीजिए मैं इस माया को आपसे जानना चाहता हूं । भगवान विष्णु ने नारद से कहां नारद! माया भ्रामक हैं, जो सम्पूर्ण जगत में हैं, प्राणियों में भी हैं। परंतु यह असत्य होने के कारण नहीं हैं।

नारद मुनि और भगवान विष्णु पक्षीराज गरूड़ पर सवार होकर सृष्टि में भ्रमण करने लगें। वे कन्याकुंज में पहुंचे।

माया क्या हैं?

Advertisement

भगवान विष्णु ने कहां नारद ! लंबी रात्रा के कारण मैं प्यासा हुआ जा रहा हूं।

देवर्षि नारद ने कहां! प्रभु आप इस वृक्ष की छाया में विश्राम कीजिए। मैं आपके लिएं जल का प्रबंध करता हूं!

देवर्षि नारद जल ढूंढने चले गए।

बाद में उन्हें एक नदी दिखाई दी नारद नदीके जल में उतरे नदी में डुबकी लगाते हुए, उन्हें भगवान विष्णु का विस्मारण हो गया, जब वे नदी से बाहर आए उनका शरीर पूर्ण बदल गया था, एक सुंदर स्त्री का हो गया था।

Advertisement

वही नदी के किनारे बैठ गए और स्वयं को लेकर विचार करने लगें।

उस राज्य का राजा तलादवाज नदी के पास आया और उसकी दृष्टि स्त्री रूपी नारद पर पड़ी।

राजा ने कहां हे सुंदरी! मैं इस राज्य का राजा हूं तुम्हे इस जगह अकेला देकर विस्मित हुआ हुं। तुम इस जगह अकेली क्या कर रही हों, तुम्हारा घर कहां हैं, तुम्हारे माता पिता या पति कोन हैं?

Advertisement

उसने उत्तर दिया महाराज! मैं इस नदी में स्नान कर रही थी , बाहर आने के बाद मैं मेरा परिचय, मेरा नाम , परिवार विस्मारण हो गया हैं।

राजा ने उत्तर दिया सुंदरी! मैं तुम्हारी दशा के कारण चिंतित हो रहा हूं। तुम्हारा इस जगह जीवित रहना कठिन हैं , अतः तुम्हे विस्मरन हो गया हैं। तुम मेरे रथ पर सवार हो जाओ और राजमहल चलो! मैं तुम्हारे परिवार को खोजने का प्रयत्न करूंगा।

वह रथ पर सवार हुई और राजमहल चली गईं । राजा ने उसके परिवार को खोजने का बहुत प्रयत्न किया लेकिन वह असफल रहा।

Advertisement

कुछ सालों बाद राजा ने उस सुंदर स्त्री से विवाह कर लिया। और उनके बारह बच्चे हुएं । वह अपने वैवाहिक जीवन में आनंदी रहने लगी और पूरी तरह मग्न हो गईं।

कई साल बीत गए उसके बारह पुत्र शिशु से तरुण हो गए उनका विवाह हो गया और विवाह के बाद उन्हें भी पुत्र और कन्याएं प्राप्त हुई। स्त्री रूपी नारद उस जीवन में प्रसन्न रहने लगे, कभी–कभी वह दुखी भी होते थे।

। बाद में एक युद्ध हुआ जिसमे उसके बारह पुत्र मारें गाएं। उस स्त्री पर घोर दुख का पर्वत ही टूट पड़ा ।

Advertisement

वह ब्राह्मणों के पास गईं और उन्हें अपने पुत्रों के मृत्यु का कारण पूछा। उन्होंने कहां महारानी! तुम्हे इस शोक का त्याग करना चाहिए जिनका जन्म होता हैं उनकी मृत्यु भी निश्चित होती हैं। यही विधि का विधान हैं । यह नाते संबंध माया रूपी जगत के बंधन हैं। ब्राह्मणों ने उसे उस नदी में जाकर शुद्ध होकर दुखों का विस्मारण करने को कहां।

बहुत ही दुखी होकर वह उस नदी में गईं नदी में जाने के बाद उसे स्मरण हुआ भगवान विष्णु ने उसे पानी लाने भेजा था। उसने जल लेकर नारद मुनि भगवान विष्णु के पास पहुंचे।

भगवान विष्णु ने जल स्वीकार करते हुए और मुस्कुराते हुए कहां नारद! तुमने आने में इतना विलंब क्यों कर दिया?

Advertisement

नारद ने कहां मुझे जल मिलने के पश्चात आपका विस्मारण हुआ था। और माया जाल रूपी जगत का निर्माण हुआ जिसमें मैं फस गया था।

भगवान विष्णु ने कहां नारद! अब तुम मुक्त हो जहां जाना चाहो जाओ।

बाद में भगवान विष्णु से आज्ञा लेकर नारद मुनि उनके निवासस्थान ब्रह्मलोक लौट गए । और भगवान विष्णु वैकुंठलोक गए।

राजा तलादवाजा ने अपनी पत्नी को ढूंढने का बहुत प्रयत्न किया। वह दुखी होकर ब्राह्मणों पास गया उन्होंने राजा को कहां राजन! तुम पत्नी मोह से बाहर आओ वह तुम्हें इस नदी के किनारे प्राप्त हुई थीं। और वह यही से लुप्त हो गई।

जाओ और अपने आप को भगवान के भक्ति में लगाओ । तुम भी उसके तरह इस माया रूपी जगत से बाहर निकल जाओगे ।

राजा वन में जाकर ध्यान साधना में लग गया।

अन्य कथाएं पढ़िए >> 

गणेश की आशीर्वाद देने वाली कथा

पक्षीराज गरूड़ का अहंकार , भगवान विष्णु की कथा

Advertisement

 

Share This Article
   Purity of Life    

Purity of Life

Join Us on WhatsApp

नमस्ते दोस्तों! jivankishuddhta.in वेबसाइट के जरिये मैं निखिल जीवन के सभी मौलिक प्रश्नों का आध्यात्मिकता, दार्शनिकता, और विज्ञान के समन्वय के माध्यम से सरल भाषामें उत्तर देने का एक प्रयास किया है! उम्मीद है आपको मेरा यह प्रयास पसंद आएगा।

Leave a Comment

भगवान के दर्शन कैसे होते हैं? | GOD REALIZATION
आत्मा क्या है और अनात्मा क्या हैं? | SELF and NON-SELF in Hindi
जीवात्मा और आत्मा क्या हैं? || आध्यात्म
कर्म करते हुएं योग में सिद्धि कैसे हों? | What is karma Yoga in Hindi
मोक्ष किसे कहते है? | सुख-दुख से परे नित्य आनंदमय | What is Moksha in Hindi
सच्ची भक्ति के 9 संकेत | 9 Signs Of Devotion