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महा मृत्युंजय मंत्र – अर्थ, महत्व और जाप के अतुलनीय लाभ

Vaishnava
Lord Shiva

 

महा मृत्युंजय मंत्र

महा मृत्युंजय मंत्र इस प्रकार है:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

(AUM Tryambkan Yajamahe Sugandhin Pushtiverdham | Urvarukamive Bandhananmrityormukshiya Mamritat ||)

 

महा मृत्युंजय मंत्र का अर्थ

महा मृत्युंजय मंत्र का एक अर्थ –

हम त्रिनेत्र को पूजते/भजते है, जो सुगंधित है, पालनहार है, जिस तरह फल/ ककड़ी, शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है, वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।

 

ॐ (AUM) – प्रणव अक्षर, परमात्मा का स्वरूप जो अव्यक्त है सर्वत्र व्याप्त और सर्वज्ञ है |

त्र्यम्बकं (Tryambkan) – तीन नेत्रों वाले, त्रिनेत्र

यजामहे (Yajamahe) – पूजन करना, भजना, चिंतन करना

सुगन्धिं (Sugandhin) – जो सुगंधित है, दिव्य ज्योति जागृति, विशुद्ध चेतन स्वरूप

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पुष्टिवर्धनम् (Pushtiverdham) – सुपोषित स्थिति, फलने-फूलने वाली, समृद्ध जीवन के कारण है |

उर्वारुकमिव (Urvarukamive) – फल या ककड़ी जिस तरह से

बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय (Bandhananmrityormukshiya) – बंधन से मुक्त होना, मृत्यु से मुक्ति होकर शिवमय होना, चेतना का मोक्ष प्राप्त होना

माऽमृतात् (Mamritat) – मृत्यु के बंधन से मुक्त करें, अरमता, मोक्ष करें |

महा मृत्युंजय मंत्र के बारे में संक्षिप्त जानकारी

 

भगवान शिव का यह मंत्र यजुर्वेद में रूद्र अध्याय से आता है | जिस तरह से फल शाखा के बंधनों से मुक्त हो जाता है | वैसे ही ये मंत्र साधक को मृत्यु और नश्वरता से मुक्ति दिलाने के लिए है |

जिसकी गति अपने उद्धार की और है जो परमार्थ के साधक है उन्हें इस मंत्र का महत्व समझना चाहिए | भगवान शिव की तपस्या से जन्म-मृत्यु के लगातार चलने वाले बंधन से मुक्त होकर शिवमय होकर अमरता को प्राप्त हुआ जा सकता है |

भगवान शिव जो विशुद्ध चेतना है; जिनपर इस दुनिया प्रकृति का कोई बंधन नहीं | काल के चक्र से परे है; महाकाल है, महामृत्युंजय है, नित्य, अनंत और अद्वैत है | उन्हें न किसी इंद्रियों से जाना जा सकता है न उनका बुद्धि से कल्पना की जा सकती है | शिव परम और परे है | इसलिए उन्हें केवल प्राप्त हुआ जा सकता है |

शिव से अलग होकर शिव को कोई नहीं जान सकता परंतु शिव सबको जानने वालें है उन्ही के तेज से जड़ चेतन है | उन्हीं के तेज से प्रकृति है, जीवजंतु, मानव देवता, दानव और सब लोक है |

ऋषियों, मुनियों ने कठोर तपस्या से अमरता को प्राप्त कर लिया है | काल के अधीन होने वालें जन्म-मृत्यु से मुक्त होकर परम पद को प्राप्त हुए; शिवमय हो गए |

भगवान शिव को जाना नहीं जा सकता, परंतु स्वयं को जाना जाता है, शिव सबके मूल है | अनंत आकाश और धरती पर भी शिव नहीं है परंतु वे स्थान और काल के परे है इसलिए वह सर्वत्र व्याप्त भी है |

अपने अहंकार को नष्ट कर अनंत में विलीन होना या अपनी विशुद्ध चेतना को समर्पित होना ही शिवमय होना यानी शिव को प्राप्त करना है | तब जन्म-मृत्यु और नश्वरता से मुक्ति प्राप्त होती है |

महा मृत्युंजय मंत्र जाप विधि

यहां मंत्र जाप की विधि बताई गई है |

नियमित जाप कीजिए

एक दिन या दो दिनों तक जाप करने से इसके लाभ नहीं होते साधक को नियमित जाप करना चाहिए जब तक की मंत्र सिद्ध नहीं हो जाता यानी जन्म-मृत्यु से मुक्ति नहीं मिल जाती |

 

चेतना को जागृत करें

आपकी चेतना जिन लोगों, वस्तुओ और विषयों में आसक्त है | उसे मुक्त करने के लिए मंत्र जाप उपयुक्त साधन हो जाता है | मुक्ति तभी मिलेंगी जब मन अनासक्त हो जाएं | इसलिए मन को केवल मंत्र पर एकाग्र कीजिए, बाकी विषयों पर नहीं |

 

चित्त को वृत्तियों का निरोध कीजिए

चित्त आपके मन का गहरा हिस्सा है, इसलिए चित्त को निर्विकल्प करने का अभ्यास कीजिए, इसके लिए समर्पण के भाव से श्रद्धा के साथ मंत्र जाप कीजिए |

 

जाप करते हुए विचारों के नियंत्रण मत पड़े

मंत्र जाप करते हुएं विचार किसी नए नवेले साधक को आसानी से असलफल कर देते है जैसे वायु दीपक की ज्योत को जला देती है वैसे ही विचार मंत्र जाप साधना को बंद करने का जोर देता है | इस स्थिति में यह करना चाहिए की मन के किसी भी विचार में रस ना लेकर मंत्र जाप शुरू रखना |

 

मंत्र जाप करने के लिए एकांत स्थान चुनना चाहिए

एकांत स्थान पर शांति से बिना किसी बाधा के मंत्र जाप किया जा सकता है, इसलिए एकांत में मंत्र जाप करना बेहेतर होता है |

 

ध्यानत्मक आसन में बैठकर मंत्र जाप कीजिए

सुखासन या पद्मासन में बैठकर और पीठ को सीधा कर मंत्र जाप करना चाहिए ताकि इससे आलस और नींद को दुर रखा जा सके, अगर बहुत आराम लेकर और पीठ को आधार देकर मंत्र जाप करेंगे तो बहुत संभावना है की आलस या नींद लग जाए |

 

महा मृत्युंजय मंत्र जाप के लाभ

नियमित महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करने से क्या लाभ होते है यहां जानिए,

  • चेतना को जागृत करने के लिए मंत्र जाप उपयोगी विधि है,
  • आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होने लगता है और आध्यात्मिक उन्नति होती है,
  • महा मृत्युंजय मंत्र के जाप से संसार के दुखों से मुक्ति मिलती है,
  • यह प्रभावी मंत्र जीवन को प्रभावित करता है अच्छे बदलाव लाता है,
  • मिथ्या प्रकृति से मुक्त होकर परम पद यानी शिव को प्राप्त होने के लिए यह मंत्र जाप किया जाता है,
  • मोक्ष प्रदान करने के लिए जाप करना चाहिए,
  • काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्षा, चिंता और मानसिक तनाव दूर होता है,
  • आनंद, ज्ञान, संतोष, निर्भयता प्राप्त होती है,
  • बुद्धि को उच्चतम अवस्था में लाया जाता है,
  • आलस, ममता और अज्ञान दूर होने लगता है,

||ॐ तत् सत्||

||ॐ नमः शिवाय||

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