कुंडलिनी शक्ति जागरण के नुकसान

कुंडलिनी योग गैरमामुली हैं । यह जीवन शक्ति, ऊर्जा, तेज से भरपूर हैं। अगर किसी साधक की एक बार कुंडलिनी शक्ति जागृत हो जाती हैं, तो अगले ही दिन में यह अविश्वसनीय बदलाव ला सकती हैं । इसके अपने कुछ फायदें भी हैं और कुछ नुकसान भी हैं। जो योगी इस शक्ति पर नियंत्रण रख पाते हैं उन्हें इसके कोई नुकसान नहीं होते किंतु कोई नया साधक हो या कोई बिना गुरु के निर्देशन के कुंडलिनी शक्ति जागृत होती हैं तो इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं।

कुंडलिनी शक्ति जागरण के फायदें पर अन्य लेख प्रकाशित हैं। इस लेख में कुंडलिनी शक्ति जागरण के नुकसान जानते हैं।

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कुंडलिनी शक्ति जागरण के नुकसान

जब कुंडलिनी उपर के चक्रों के और गति करती हैं। साधक में इसके कुछ लक्षण हो सकते हैं। ये नुकसान कुछ घंटों के लिएं ही रहते हैं जब साधक समाधि को प्राप्त हो जाता हैं और समाधी से बाहर आता हैं। ये लक्षण भी समाप्त हो जाते हैं।

  • भ्रम होना ।
  • विश्व ब्रह्मांड अपने भीतर स्थित लगना ।
  • अपने ही घर या परिवार में अजनबी महसूस  करना ।
  • मन में अजीब विचार या कल्पनाएं आना ।
  • मन की कल्पनाओं को जगत की वास्तविक घटना समझना।
  • सतर्क होना ।
  • शरीर में कंपन होना।
  • शरीर में अत्यधिक ऊर्जा बढ़ना।
  • ऊर्जा पर नियंत्रण न रख पाना।
  • कुछ घंटों के लिए विक्षिप्त (पागल) होना ।
  • स्वयं की विक्षिप्त हरकतों से डर लगना ।
  • मृत्यु से डर लगना ।
  • सम्पूर्ण समाज से विश्वास उठ जाना ।
  • कुंडलिनी शक्ति जागरण के नुकसान सामाजिक  संबंधों को बिगाड़ सकते हैं।

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कुंडलिनी शक्ति जागरण के नुकसान से कैसे बचें.

वैराग्य और सहनशीलता से इनपर विजय प्राप्त की जा सकती हैं। और समाधी को प्राप्त हुआ जा सकता हैं।

वास्तविकता में यह नुकसान कुंडलिनी शक्ति के कारण नहीं होते बल्कि घबराएं हुए मन के कारण होते हैं।साधक को चाहिए कि वह घबराएं नहीं और इन्हें मन का भ्रम जानकर शांत रहें और किसी भी साकाम कर्म के जोरपूर्वक प्रवृत्त न हों और निष्काम भाव से कर्म करें ।  जो साधक अपने मन पर नियंत्रण प्राप्त करता हैं। उसके लिए कुंडलिनी एक वरदान हैं।

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