Krishna Mantra: Krsnaya Vasudevaya Devaki Nandanaya
यह मंत्र कृष्णाय वासुदेवाय देवकीनन्दनाय भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है, यह मधुर मंत्र श्रीमद भागवतम् का है।
भक्तों! भगवान कृष्ण का सुमिरन करने के लिए अनन्य कृष्ण भक्त इस मंत्र का जाप करते है। मंत्र जाप योग के अद्वितीय लाभ और इस मंत्र का हिन्दी अर्थ भी अगर आप जानना चाहते है तो इस लेख को पढ़िए.
मंत्र के बोल | Mantra Lyrics
Mantra Lyrics
कृष्णाय वासुदेवाय देवकीनन्दनाय च|
नन्दगोपकुमाराय गोविन्दाय नमो नम:||
Krsnaya Vasudevaya
Devaki Nandanaya cha |
Nandagopa Kumaraya
Govindaya Namo Namah ||
मंत्र का हिंदी अर्थ | Mantra Meaning
आइए इस संस्कृत मंत्र का हिंदी अर्थ समझते है:
अर्थ – हे कृष्ण, वासुदेव और देवकी के पुत्र! नंद ग्वाल के कुमार आप भगवान गोविंद है, आपको मेरा बारंबार नमन है।
कृष्णाय (Krsnaya) – कृष्ण
वासुदेवाय (Vasudevaya) – (वासुदेव) भगवान कृष्ण के पिता का नाम
देवकीनन्दनाय च (Devaki Nandanaya cha) – देवकी के नंदन (पुत्र)
नन्दगोपकुमाराय (Nandagopa) – नंद ग्वाल के कुमार
(भगवान के जन्म के बाद कंस के संकट के कारण पिता वासुदेव ने उन्हें गोकुल में नंद जी और योशिदा को दे दिया। इसी लिए भगवान कृष्ण को नंदलाल यशोदानंदन और नंद और यशोदा के पुत्र भी कहा जाने लगा।)
गोविन्दाय (Govindaya) – यहां भगवान कृष्ण को ‘गोविंद’ नाम से पुकारा गया है , गोविंद भगवान कृष्ण का एक नाम है। गोविंद का एक अर्थ कहा जाता है ; जो गायों को पालते है।
नमो नम: (Namo Namah) – बारंबार नमन है।
मंत्र जाप के लाभ | Mantra Chanting Benefits
भगवान का नामजप और मंत्रजाप आदि करने से एक दो नहीं बल्कि अनंत लाभ होते हैं। असंख्य भक्तों ने भगवान के जाप कीर्तन से ही अनंत लाभ और उद्धार को प्राप्त हुएं इनमें से कुछ लाभ जानते हैं।
परमगति की प्राप्ति : मंत्र का जाप कर भक्त भक्ति में लीन हो जाता हैं। भक्त पूर्ण समर्पण करता हैं। पूर्ण समर्पण के साथ भक्त जीव के बंधनों से मुक्त होकर परमात्मा में विलीन हो जाता हैं। और परमगति यानी मोक्ष को प्राप्त हो जाता हैं। किंतु इसके के लिए पूर्ण समर्पण की आवश्कता हैं, निरंतर मंत्रजाप और समर्पण से मोक्ष के पथ पर आगे बढ़ा जा सकता हैं।
दिव्य आनंद की अनुभूति : भगवान श्रीकृष्ण आनंद के सागर हैं, भगवान के मंत्रजाप से मन को आत्मा में विलीन और तृप्त होता हैं। इंद्रियां, शरीर और भौतिक संसार, माया आदि विलीन हो जाते हैं और दिव्य आनंद की अनुभूति होती हैं।
सांसारिक कष्टों से मुक्ति : भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्तों का सदैव उद्धार करते हैं, असंख्य भक्तों के अपने भक्ति और भगवान के कृपा से सांसारिक कष्टों से मुक्ति प्राप्त कर ली हैं।
छह घातक शत्रुओ का नाश : इस मंत्र के जाप से परमात्मा भक्त के छह घातक शत्रु काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार और ईर्षा इनका का अंत कर देते है।
मानसिक तनाव और भय से मुक्ति : मानसिक तनाव होने का कारण भौतिक संसार से आसक्ति और वासना और इच्छा की पूर्ति न होना होता हैं। इस मंत्र जाप और श्रद्धा से आसक्ति का नाश होता है तथा सभी कर्मों के फलों की आसक्ति से मुक्ति प्राप्त होती हैं, भक्त तनाव और भय से मुक्ति प्राप्त करता हैं।
मन की निर्मलता: भगवान की कृपा से और भक्ति योग के द्वारा मन को निर्मल किया जाता है निर्मलता से सांसारिक मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
भगवान कृष्ण (परमात्मा) के साथ अटूट प्रेम भक्ति का संबंध : परमात्मा में विलीन होकर भक्त दिव्य आनंद की अनुभूति करता ही हैं, अपने हृदय में आसिन परमात्मा का ज्ञान प्राप्त करता है, और भगवान के साथ भक्ति के अटूट बंधन में बंध जाता है, और संसार से मुक्ति प्राप्त करता है।
हरे कृष्ण!
जय श्री कृष्ण!
जय श्री राधे कृष्ण !