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ग्यारह रुद्र अवतारों के नाम और कथा


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भगवान शिव का एक नाम रुद्र है ऋग्वेद में भगवान रुद्र को परमात्मा कहा गया है | शिवपुराण, भगवतपुराण और शैवागम में भगवान शिव के एकादस रुद्र यानी ग्यारह रुद्र अवतार बताएं गए है | इनके नाम पुराणों के अनुसार अलग है | भगवान शिव ने क्यों लिए रुद्र और इन एकादस रुद्र अवतारों के क्या नाम थे जानिए

Akadas gyarah rudra Avtar

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भगवान शिव ने क्यों थे लिए एकादस रुद्र अवतार?

भगवान शिव के रुद्र अवतारों की एक कथा है इस कथा को संक्षिप्त में यहां पढ़िए

 

भगवान शिव के एकादस (ग्यारह) रुद्र अवतारों की कथा

जब असुरों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया था तब सभी देवता असुरों से पराजित हो गए इसलिए उन्हें अपना राज्य अमरावतीपूरी छोड़ना पड़ा, और असुरों ने देवताओं के राज्य पर छीन लिया |

बाद में युद्ध में पराजित हुए देवता महऋषि कश्यप के आश्रम गए और उन्हें अपनी व्यथा बताई, महऋषि कश्यप ने देवताओं को इस उनकी समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया, महऋषि कश्यप भगवान शिव के अनन्य भक्त थे, भगवान शिव की तपस्या करने के लिए वह काशीपुर चलें गए; काशीपुर में जाकर उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तप किया |

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महऋषि कश्यप की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए, बाद में महऋषि कश्यप ने देवाधिदेव महादेव की असुरों का कृत्य बताया | भगवान शिव ने कहा की तुम्हारी संतान के रूप में ग्यारह अवतार लूंगा और तुम्हारी मनोकामना की पूर्ति करूंगा |

उसके बाद महऋषि कश्यप की पत्नी सुरभि के गर्भ से ग्यारह पुत्रों का जन्म हुआ वे थे शिव के एकादस रुद्र अवतार |

एकादस रुद्रों ने असुरों पर आक्रमण कर दिया और सभी असुर बुरी तरह पराजित हो गए और वहां से भाग निकले, एकादस रुद्रों ने देवताओं को उनका राज्य पुनः लौटाया |

ये रुद्र अवतार देवताओं की रक्षा करने के लिए स्वर्ग ने इसानपूरी में निवास करते है |

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भगवान शिव के ग्यारह रुद्र अवतारों के नाम क्या थे?

भगवान शिव के एकादस रुद्र अवतारों के नाम शिवपुराण, शैवागम और भागवतपुराण में क्या है जाइए

शिवपुराण के अनुसार एकादस रुद्रों नाम है कपाली, पिंगल, भीम, विरूपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, अहिरबुध्य, शंभू, चंड, और भव

वही शैवागम में इनके नाम अलग बताए गए है; शैवागम में इनके नाम है शंभू, पिनाकी, गिरीश, स्थानु, भृग, सदाशिव, शिव, हर, सर्व, कपाली और भव

भागवतपुराण में इनके नाम है मन्यू, मनु, महिनस, महान, शिव, ऋतध्वज, उग्ररेता, भव, काल, वामदेव और धृतव्रत 

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