भगवान कहां रहते हैं? वेदों के अनुसार जानिए 64 आयाम | bhagwan kahan rahte hain

Bhagwan kahan rahte hain

हम अपने आस पास की प्रकृति जीवन को देखते हैं तो मन में यह प्रश्न आना साधारण हैं की इस की रचना किसने की होंगी। चंचल मन के कारण ये भी प्रश्न आते है की भगवान को किसने बनाया और भगवान कहां रहते हैं। 

 प्राचीन ग्रंथ वेदों में सृष्टि के बारे में ज्ञान मिलता हैं वेदों के तथ्यों को आधुनिक विज्ञान भी संशोधन से स्वीकार करता हैं। इस आलेख में प्राचीन ग्रंथ वेदों से सृष्टि का ज्ञान तथा भगवान कहां रहते है जानेंगे.

भगवान कहां रहते हैं – Bhagwan Kahan Rahte Hain

भगवान कहां रहते हैं.

वेदों के अनुसार सृष्टि में कुल चौसट आयाम हैं। सम्पूर्ण सृष्टि इन आयामों में हैं। इन आयामों से हम सृष्टि को समझ सकते हैं। मनुष्य जीव इंद्रियों और बुद्धि के द्वारा केवल तीन आयामी संसार तक ही जान सकता हैं और सीमित हैं। परंतु ध्यान के द्वारा आत्मा से इन विभिन्न आयामों का ज्ञान प्राप्त होता हैं। प्राचीन महान ऋषि मुनियों ने ध्यान साधना से इस सृष्टि को जाना हैं ।

64 dimensions in vedas in hindi

पहला आयाम : इस आयाम में रहकर केवल आगे और पीछे जाया जा सकता हैं। जैसे कोई रेखा को बनाने समय इसे केवल आगे या पीछे की ओर ही बनाया जा सकता हैं

दूसरा आयाम : दुसरे आयाम में आगे पीछे के साथ दाए बाए भी गतिशील हुआ जा सकता हैं। यह रेखा बनाने जैसा हैं, दूसरे आयाम में भी कई जीव निवास करते हैं।

तीसरा आयाम : इस आयाम में आगे पीछे का साथ ऊपर नीचे भी हुआ जा सकता हैं। मनुष्य भौतिक वस्तुएं और अन्य जीव इसी आयाम में वास करते है।

चौथा आयाम : चौथा आयाम समय हैं जिसमे समय रेखा को जाना जा सकता हैं। समस्त जीव और ब्रम्हांड के भौतिक चीजे समय रेखा के अंदर आरंभ होते है और अंत की ओर बढ़ते हैं।

ब्रह्म लोक  : इस आयाम को ब्रह्म लोक भी कहा जाता है इसमें रहकर समय के विभिन्न रेखाओं को जाना जा सकता हैं, भूतकाल में घटी और वर्तमान में घटरही घटनाओं के आधार पर विभिन्न समय रेखाएं होती हैं। इस आयाम को ब्रह्म आयाम भी कहां जाता हैं, इसी आयाम में परमपिता ब्रह्मा और विभिन्न ब्रह्माडो के ब्रह्मा सभी निवास करते हैं। ये सभी ब्रह्मा एक दूसरे से भिन्न होते है था विभिन्न ब्रह्माडो के नियम भी विभिन्न होते हैं।

क्षीरसागर  : इस आयाम में भगवान विष्णु के तीन स्वरूप वास करते है जिसमे महाविष्णु गर्बोधकसाय विष्णु और कसिरोधकसाय विष्णु , इसी आयाम से क्षीरोदक्षाय विष्णु की नाभी से उगम हुए कमल में ब्रह्मा जी उत्पन होते है और पिछले पांच आयामी जगत की रचना होती हैं। कसिरोधकसाय विष्णु सृष्टि के प्रत्येक कण में वास करते हैं और सृष्टि का संचालन करते हैं।

सत्य लोक : इस आयाम में समस्त सृष्टि का ज्ञान प्राप्त होता हैं, जो ध्यान से इस आयाम का ज्ञान प्राप्त कर लेता हैं वह एक में महाज्ञानी होता हैं। वह भूत भविष्य वर्तमान को जानने वाला तथा सृष्टि के तथ्यों का बोध होता हैं।

कैलाश : इस आयाम में भगवान शिव का साकार रूप में निवास करता हैं । कैलाश की कल्पना हम किसी पर्वत की तरह नहीं कर सकते यह सम्पूर्ण आयाम को ही कैलाश कहेंगे। यही से संपूर्ण ब्रह्मांड और पिछले आठ आयामि सृष्टि का अंत होता है ।

वैकुंठ लोक : इस आयाम में भगवान नारायण वास करते है। जब योगी मोक्ष प्राप्त करता है , वो इसी आयाम में विलीन हो जाता हैं। इसी आयाम में आत्मा शून्य हो जाती हैं। समाधि की अवस्था प्राप्त कर इस आयाम तक पहुंचा जाता हैं। यही भगवान का परमधाम है जो भगवान से अभिन्न हैं।

महाविष्णु : इसे आयाम न कहकर भगवान ही कह सकते है यही से संपूर्ण आयामों और सृष्टि की रचना हुई हैं , इस आयाम का कोई रूप रंग नहीं है यह आयाम बाकी सभी आयामों से परे हैं। इस आयाम को जानना किसी के लिए संभव नहीं है इस आयाम को ही महाविष्णु, सदाशिव, शक्ति आदि कहा जाता है।

इन दस आयामों के साथ कुल चौसट आयाम हैं ये सभी आयाम इन्ही आयामों में समाहित हैं।

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