श्रीमद्भगवत गीता कैसे पढ़ें और पढ़ने के लाभ
इसमें तनिक भी संदेह नहीं किया जा सकता, श्रीमद्भगवत गीता भक्ति, योग के विषय में प्राप्त समस्त ग्रंथों में उत्कृष्ट हैं। यह साक्षात भगवान श्री कृष्ण के मुख से निकली वाणी हैं।
श्रीमद्भगवत गीता में कुल अठारा अध्याय हैं जिसमें अर्जुन द्वारा पूछें गए प्रश्नों का श्रीभगवान ने उत्तर दिया हैं। यह न केवल अर्जुन के बल्कि सम्पूर्ण मानव जाति के जीवन के समृद्धि का मार्ग हैं। श्रीमद्भगवत गीता गीता से मानव जीवन के हर एक समस्या और को नष्ट कर सकती हैं, और मानव जीवन को उद्धार के मार्ग पर प्रभावित करती हैं।
चुकी गीता भगवान की वाणी हैं यह दिव्य ग्रंथ हैं इसे पढ़ने से मनुष्य को एक दो नहीं बल्कि असंख्य लाभ और असंख्य तरह की समस्याओं का समाधान प्राप्त हो सकता हैं। कई पाठकों का मानना हैं उन्होंने जितनी बार भी श्रीमद्भगवत गीता को पढ़ा हैं उन्हें हर बार एक नया अर्थ और अनुभूति प्राप्त हुई हैं।
श्रीमद्भगवत गीता पढ़ने से क्या फायदें पाठक को होते हैं, इसे कैसे पढ़ना चाहिए और भगवद् गीता पर की गई कुछ प्रसिद्ध महापुरुषों की टिप्पणियां जानते हैं।
श्रीमद्भगवत गीता कैसे पढ़ें.
श्रीमद्भगवत गीता को दिन के किसी भी समय पढ़ा जा सकता हैं। परंतु गीता पढ़ने के कुछ विशेष नियम हैं और इनपर ध्यान देना चाहिए।
- पवित्र ग्रंथ गीता श्री कृष्ण की वाणी हैं इसीलिए इसे सम्मान करना चाहिए।
- गीता पढ़ने से पूर्व भगवान श्री कृष्ण और गीता को प्रणाम करना चाहिए।
- गीता को बैठकर ही पढ़ना चाहिए, परंतु केवल रुग्ण पाठक गीता को लेटते हुएं पढ़ सकते हैं।
- अन्न का सेवन करते हुएं गीता नहीं पढ़ना चाहिए।
- पन्नो को बदलने के लिएं मुख की लार गीता पर नहीं लगानी चाहिए।
- पाठक अगर संस्कृत भाषा नहीं समझते है, तो हिंदी भावार्थ, और तात्पर्य सहित गीता को समझना चाहिए।
- गीता को पहले अध्याय से लेकर अठारावे अध्याय तक पढ़ना चाहिए, गीता का प्रत्येक अध्याय महत्वपूर्ण हैं।
- शांत वातावरण में पढ़ने से पाठक गीता को बेहतर समझ सकते हैं।
- अगर पाठक संपूर्ण गीता को एक दिन में नहीं पढ़ सकते तो प्रतिदिन एक अध्याय पढ़िए अठारह दिनों में गीता के प्रत्येक अध्याय के लिएं समय देकर पाठक पूर्ण गीता पढ़ लेंगे।
श्रीमद्भगवत गीता पढ़ने के असंख्य में से कुछ लाभ.
गीता कोई साधारण ग्रंथ नहीं है यह भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश हैं, इसे पढ़ने से एक-दो नहीं बल्कि अनंत लाभ इसके शिष्यों को हुए हैं, गीता से प्राप्त होने वाले के कुछ विशेष लाभ जानते हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति
- यथार्थ ज्ञान की प्राप्ति
- भय और विपत्तियों से मुक्ति
- सत्व गुण में विकास
- भक्ति योग में उन्नति
- ध्यान योग में उन्नति
- कर्मबंधन से मुक्ति
- तनाव, राग इर्षा से मुक्ति
- परमधाम वैकुंठ की प्राप्ति
- कर्तव्य, अहिंसा, न्याय, सदाचरण, सद्-गुण (धर्म) की प्राप्ति
- जीव दया
- सांसारिक मोह माया के परे दृष्टि
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कुछ प्रसिद्ध महापुरुषों की गीता पर टिप्पणियां
जब भी संदेह मुझे घेर लेते है और चेहरे पर निराशा झलकने लगती है तो मैं गीता को आशा की किरण के रूप में देखता हूं। मुझे गीता में एक श्लोक मिलता है, जो मुझे सांत्वना देता है। मैं तकलीफों के बीच मुस्कुराने लगता हूं.– महात्मा गांधी
गीता धर्म ग्रंथ तो है साथ ही जीवन ग्रंथ भी हैं, हम जब भी वीर अर्जुन की तरह अनिर्णय के डोराएं पर खड़े होते हैं, श्रीमद भागवत गीता हमें सेवा और समर्पण के रास्ते इन समस्याओं के हल दिखाती हैं। – नरेंद्र मोदी
सुनीता विलियम्स ने कहा कि वह उनसे प्रेरणा लेने के लिए भगवत गीता को अंतरिक्ष में लेकर गईं। और भगवत गीता ने उन्हें जीवन का उद्देश्य भी दिखाया। – सुनीता विलियम्स
जब मैं भगवद-गीता [Bhagwat Geeta] पढ़ता हूँ और इस बारे में सोचता हूँ कि कैसे भगवान ने इस ब्रह्मांड को बनाया है तो बाकी सब कुछ बहुत ही अनावश्यक लगता है । मैंने भगवद्-गीता को वैज्ञानिक जांच और अपने सिद्धांतों के निर्माण के उद्देश्य से अपनी प्रेरणा और मार्गदर्शक का मुख्य स्रोत बनाया है । – अलबर्ट आइंस्टीन
“मैं भगवद्गीता का 90% अध्ययन कर चुका हूँ… मेरे भीतर का अर्जुन जागृत हो रहा है।” – विल स्मिथ
महर्षि व्यास जी, स्वामी विवेकानंद जी, अमेरिकी दार्शनिक थोरो और राल्फ वाल्डो इमर्सन, महामना मालवीय जी, डॉ. एनी बेसेंट और ऐसे अनेक बुद्धिजीवी और महापुरुष गीता को विश्व कल्याण का ग्रंथ और अपना प्रेरणा स्रोत मानते हैं।
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