विष्णु मंत्र | ॐ विष्णवे नमः | जाप और लाभ | अर्थ सहित
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विष्णु मंत्र | ॐ विष्णवे नमः | जाप और लाभ | अर्थ सहित

Vishnu Mantra: श्रद्धा और समर्पण से भगवान के नाम का स्मरण करना आत्मिक उन्नति का एक उत्कृष्ट साधन है, यह आध्यात्मिक उन्नति का विज्ञान है | भगवान कृष्ण गीता में कहते है त्रिगुणात्मिका माया को पार कर शांति प्राप्त करना कठिन है किंतु जो भक्त उनके स्मरण में लीन रहते है वे बहुत ही सरलता से इसे पार कर जीवन में शाश्वत आनंद को प्राप्त हो जाते है | भगवान कृष्ण विष्णु के अवतार है इसलिए कई कृष्ण के भक्त विष्णु में उनके इष्ट कृष्ण को देखकर उनका स्मरण करते है | 

यह मंत्र “ॐ विष्णवे नमः” भगवान विष्णु का शरणार्थी मंत्र है | भगवान विष्णु के भक्ति में लीन भक्त निरंतर इसके जाप से भगवान के समीप पहुंच जाते है | इस मंत्र का जाप कैसे कर सकते है जानते है |

Om vishnve namah

विष्णु मंत्र के बोल | Vishnu Mantra Lyrics

 

||ॐ विष्णवे नमः ||

|| Om Vishnave Namah ||

 

सूचना : संस्कृत व्याकरण के अनुसार इस मंत्र के जाप करते हुए ‘विष्णवे’ शब्द का ही उच्चार करें | ‘विष्णुवे’ (उ) उच्चार न करें, ‘विष्णवे’ यह भगवान विष्णु के लिए आदर, सम्मान और श्रद्धा दर्शाता है | 

विष्णु मंत्र का अर्थ | Meaning of Vishnu Mantra

ॐ (Om) : ‘ॐ’ (ओम् ) प्रणव अक्षर है | यह सभी मंत्रों का शिरोमणि मंत्र है | ॐ मंत्र परमात्मा के लिए जपा जाता है |

विष्णवे (Vishnave) : भगवान विष्णु, भगवान विष्णु परमात्मा का रूप है |

नमः (Namah) : नमन करना, शरण लेना, नमस्कार करना |

विष्णु मंत्र के कुछ अर्थ 

   Jivan ki Shuddhta    

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  1. भगवान विष्णु को मेरा नमन |
  2. परमात्मा भगवान विष्णु को नमन है!
  3. परमात्म स्वरूप भगवान विष्णु मुझे शरण दें!
  4. मैं परमात्मा भगवान विष्णु की शरण लेता हूं |

सूचना : मंत्र एक पवित्र ध्वनि है | इनमें अर्थ से भी परे शक्ति होती है, इसीलिए हमें केवल इसे अर्थ में सीमित नहीं करना चाहिए|

विष्णु मंत्र जाप कैसे करें | How to chant Vishnu Mantra

यहां हम आपको भगवान विष्णु को स्मरण करने के लिए विधि बता रहें है | श्रद्धालु और भक्तिमय भक्त इस विधि से सहज ही भगवान के स्मरण में लीन हो सकते है |

  • स्मरण के लिए शांत और बाधा रहित जगह को चुनें |
  • सुखासन या पद्मासन (ध्यानात्मक आसन) में बैठे |
  • विष्णु मंत्र का जाप करें |
  • मंत्र पर ध्यान लगाएं |
  • विचारों को और मन को मंत्र में विलीन होने दें |
  • सरलता से मंत्र जाप करें |
  • नियमित मंत्र जाप करें |

विष्णु मंत्र जाप के लाभ | Benefits of Chanting Vishnu Mantra

मंत्र जाप योग के कुछ लाभ जानते है |

आंतरिक शांति और आंतरिक पवित्रता:

नियमित जाप से आंतरिक शांति और मन की पवित्रता होती है, भक्त में शांति और कल्याण की भावना पैदा हो सकती है। इस कारण मन के विकार जो तनाव और चिंता से भी मुक्ति प्राप्त करते हैं।

आसुरी गुणों से मुक्ति : 

वासना, क्रोध, लोभ, आसक्ति, ईर्ष्या, द्वेष और अहंकार ये सब राक्षसी गुण हैं, जिसके कारण व्यक्ति की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। और वह अपनी शांति खो देता है। विष्णु का स्मरण करने से ये राक्षसी गुण नष्ट होने लगते हैं।

आध्यात्मिक विकास: 

विष्णु मंत्र भक्तों को आध्यात्मिक विकास में मदद करता है, मंत्र जाप करने से प्रेम, करुणा और भगवान के भक्ति जैसे दिव्य गुणों में वृद्धि होती है।

परम गति की सिद्धि :

मंत्र का जाप करने से भक्त भक्ति में लीन हो जाता है। भक्त पूरी तरह से आत्मसमर्पण कर देता है। पूर्ण समर्पण के साथ भक्त माया के बंधन से मुक्त होकर परम आत्मा में विलीन हो जाता है। और व्यक्ति परम गति अर्थात मोक्ष को प्राप्त होता है। लेकिन इसके लिए पूर्ण समर्पण की आवश्यकता है, निरंतर जप और समर्पण के साथ व्यक्ति मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ सकता है।

दिव्य आनंद की अनुभूति:

भगवान विष्णु परम आनंद का सागर है, भगवान के जप से मन आत्मा में विलीन हो जाता है और संतुष्ट हो जाता है। आत्मसमर्पण से परमात्मा में विलीन हो कर विलीन हो जाते हैं, व्यक्ति परमात्मा का आनन्द महसूस करता है।

सांसारिक कष्टों से मुक्ति : 

भगवान विष्णु अपने भक्तों को हमेशा कष्ट हरते हैं। वह अपने भक्तों से प्रघाड़ प्रेम करते हैं, भक्तों की भक्ति और ईश्वर की कृपा से उन्हें सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिली है।

मानसिक तनाव और भय से मुक्ति : 

मानसिक तनाव का कारण भौतिक जगत से आसक्ति और वासना और बढ़ती इच्छा है। इस मंत्र और श्रद्धा का जाप करने से आसक्ति नष्ट हो जाती है और सभी कार्यों के फल से आसक्ति से मुक्ति मिलती है, भक्त को तनाव और भय से मुक्ति मिलती है।

मन की पवित्रता: 

भगवान की कृपा से और भक्ति योग से मन शुद्ध होता है, पवित्रता से व्यक्ति को सांसारिक मानसिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

भगवान विष्णु के साथ अटूट प्रेम और भक्ति का संबंध (परमात्मा): 

भक्त परमात्मा में विलीन होकर दिव्य आनंद का अनुभव करता है, अपने हृदय में परमात्मा का ज्ञान प्राप्त करता है, और भगवान के साथ भक्ति के अटूट बंधन में बंध जाता है, और दुनिया से मुक्ति प्राप्त करता है।

श्री हरि!

 

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