WhatsApp

Shri NIKHIL

जीवन को सार्थक बनाने वाली इस यात्रा में आपका स्वागत है!
योग, आध्यात्म, और ज्ञानवर्धक संदेश रोज़ पायें!

Purity of Life Icon Follow Us

सृष्टिकर्ता ब्रह्माजी की उत्पत्ति कैसे हुई थीं

Shri NIKHIL

ब्रह्मा जी त्रिदेवों में एक हैं। वह परमपिता के रूप में सृष्टि के रचनाकार हैं। इस ब्रह्मांड की रचना ब्रह्मा जी ने की हैं, पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई हैं जिसकर वह काल चक्र के अधीन हैं। ब्रह्मा जी की आयु सौ दिव्यवर्षो तक बताई जाती हैं।

श्रीमद भागवत महापुराण और शिवमहापुराण में भी ब्रह्मा जी की उत्पत्ति का वर्णन किया गया हैं। जानते हैं सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा की की उत्पत्ति कैसे हुई थीं।

brahma hindu god painting

सृष्टिकर्ता ब्रह्माजी की उत्पत्ति कैसे हुई थी

– श्रीमद् भागवत महापुराण के अनुसार

श्रीमद् भागवत महापुराण के अनुसार परमपिता ब्रह्माजी श्रीनारायण के नाभी से उगम हुएं कमल में प्रकट हुएं वह बिना पढ़ाए ही वेदों के ज्ञाता थे। जब उन्होंने अपने चारों और देखा और चार दिशाओं में उनके चार मुख हो गए।

ब्रह्मा जी की उत्पत्ति होने से पूर्ण सृष्टि का निर्माण नहीं हुआ था तब केवल श्रीनारायणदेव योगनिद्रा में शेषनाग पर पौढ़ें हुए थे। उनमें किसी भी क्रिया का उन्मेष नहीं था।

जिस तरह अग्नि चमकदार शक्ति की छिपाएं हुएं लकड़ी में व्याप्त रहती हैं उसी तरह भगवान श्रीनारायणदेव समस्त जीवों के सुक्ष्म शरीर और अनंत लोक के अस्तित्व को अपने अंदर लीन कर शयन लिएं हुएं थे। सृष्टिकाल आने पर सृष्टि रचना के लिएं उन्होंने केवल कालशक्ति को जागृत रखा ।

जब सृष्टिकाल आया कालशक्ति ने उन्हें सृष्टि रचना के लिएं प्रेरित किया, उन्होंने अपने शरीर में लीन अनंत लोक देखें, जब श्रीनारायण की दृष्टि अपने लिंगशरीरादी सुक्ष्म–तत्व पर पड़ी तब वह कालक्रमबद्ध रजोगुण से क्षुभित होकर श्रीनारायण के नाभी से बाहर निकाला।

कर्मशक्ति को जागृत करने वाले काल के द्वारा श्रीनारायण के नाभी से ऊपर उठा हुआ वह सूक्ष्मतत्व कमल के समान था । उसके सूर्य के समान तेज ने जलराशि को पुनः उज्वल कर दिया। संपूर्ण गुणों को प्रकाशित करने वाले इस कमल मे स्वयं श्री विष्णु अंतर्यामी रूप से प्रविष्ट हो गएं।

उस समय कमल पर बिना पढ़ाए ही सभी वेदों के जानने वाले वेदमूर्ति ब्रह्मा जी कमल पर प्रकट हुएं, इस कारण उन्हें स्वयंभू भी कहां जाता हैं, कमल–गद्दी मन बैठे हुएं ब्रह्मा जी ने आकाश में चारों और देखा तब उन्हें कोई लोक नहीं दिखाई दिया आकाश में चारों और देखते हुए आकाश में चारों ओर उनके चार मुख हो गए।

   Jivan ki Shuddhta    

Purity of Life

Join Us on WhatsApp

उस समय कमल पर विराजमान ब्रह्मा जी को स्वयं का तथा कमल का रहस्य न जान पड़ रहा था। वह विचार कर रहें थे “इस कमल पर विराजमान मैं कोन हूं यह कमल बिना आधार के कहां से उत्पन हुआ। इसका नीचे अवश्य कुछ रहस्य हैं जिसपर आधार पर कमल और मैं स्थित हैं”

इस तरह वह कमल के नाली के सुक्ष्म छिद्र से होते हुए कमल के आधार खोजने पहुंचे लेकिन वह कुछ नहीं जान सके। वह अपने उत्पति के रहस्य को खोजते हुए इधर उधर भटकने लगे लेकिन वह विफल हो गए अंत में प्राण को जीतकर समाधि में स्थित हो गए और चित की निसंकल्प कर दिया। जिस रहस्य को खोजते हुए वह खोज रहें थे वह उन्हें आत्म में ही प्रकाशित होता हुआ दिखा।

उन्हे शेष शैया पर श्रीनारायण के दर्शन हुएं। और वह भगवान की स्तुति करने लगें।

अन्य पढ़े: वेदों के अनुसार सृष्टि के आयाम 

शिवमहापुराण के अनुसार–

जब ब्रह्मा जी उनके मानसपुत्र देवर्षि नारद को उनकी उत्पत्ति बता रहें थे, भगवान शिव और शक्ति ने विष्णु को उत्पन किया, और अपने दाहिने अंग से ब्रह्मा जी को उत्पन कर तुरंत कमल में डाल दिया।

अन्य पढ़े: देवी के नौ वाहनों का अर्थ 

ब्रह्मा नाम उन्हें कैसे मिला?

वेदों और पुराणों में निर्गुण, निराकार परम तत्व को ब्रह्म कहां जाता हैं यह तीनों गुणों के साथ माया से परे हैं। वहीं समस्त गुणों के कारण ब्रह्मा कहा जाता हैं।

ब्रह्मा जी की आयु कितनी हैं?

ब्रह्मा जी की आयु सौ दिव्य वर्ष हैं, ।

ब्रह्मा जी का दिन और रात मिलकर और  2016 चतुर्युगों का होता है।1000 चतुर्युग पृथ्वी के अनुसार 4320000000 वर्ष का होता हैं।

अन्य पढ़े >>

Share This Article

– Advertisement –

   Purity of Life    

Purity of Life

Join Us on WhatsApp

I'm a devotional person, My aim is to make mankind aware of spirituality and spread the knowledge science philosophy and teachings of our Sanatan Dharma.

Leave a Comment

भगवान के दर्शन कैसे होते हैं? | GOD REALIZATION
आत्मा क्या है और अनात्मा क्या हैं? | SELF and NON-SELF in Hindi
जीवात्मा और आत्मा क्या हैं? || आध्यात्म
कर्म करते हुएं योग में सिद्धि कैसे हों? | What is karma Yoga in Hindi
मोक्ष किसे कहते है? | सुख-दुख से परे नित्य आनंदमय | What is Moksha in Hindi
सच्ची भक्ति के 9 संकेत | 9 Signs Of Devotion
Email Email WhatsApp WhatsApp Facebook Facebook Instagram Instagram YouTube YouTube