“ॐ नमो नारायणाय” का महत्व, जाप विधि और लाभ

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ॐ नमो नारायणाय (ओम नमो नारायणाय) यह मंत्र भगवान श्रीविष्णु का शरणार्थी मंत्र हैं, इसे अष्टाक्षर मंत्र और नारायण मंत्र के स्वरूप में जाना जाता हैं । पुराणों उपनिषदों में इस मंत्र के महत्व दर्शाया गया हैं साथ ही ऐसी कई कथाएं है जो इस मंत्र से जुड़ी हुई हैं। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को जीवन में अद्भुत लाभ होते हैं, आध्यात्मिक उन्नति होती है साथ ही इसके जाप से आत्मज्ञान प्राप्त कर आत्म को मोक्ष के मार्ग पर लाने में कारगर हैं। आइए जानते है इस मंत्र का जाप कैसे करें, मंत्र का अर्थ, मंत्र का उगम और मंत्र जाप के लाभ क्या हैं.

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ओम नमो नारायणाय (ॐ नमो नारायणाय) मंत्र का अर्थ

यह मंत्र भगवान विष्णु को समर्पित हैं, मंत्र का संस्कृत भाषा में उच्चार किया जाता है। इसका हिंदी अर्थ हैं, (मैं परम वास्तविकता नारायण को नमन करता हूं) ।

इस मंत्र की शुरवात ओम (ॐ) से होती है। ॐ प्रणव अक्षर हैं इसे ब्रह्माडीय भी माना जाता है संपूर्ण भौतिक संसार की बुनियादी ध्वनि ॐ है। ॐ में तीन ध्वनियां है अ, ऊ और म ‘अ’ की ध्वनि आरंभ का प्रतिनिधित्व करता हैं, ‘ऊ’ उगम होने का और ‘म’ ध्वनि मौन (अंत) ब्रह्म में विलीन होने का प्रतिनिधित्व करता हैं, इसी तरह सम्पूर्ण भौतिक संसार ‘ॐ’ में समाया हुआ हैं । इसके साथ ही ॐ को निर्गुण, निराकार परमात्मा के लिए भी संबोधन किया जाता हैं।

नमो नारायणाय  : नमो नारायणाय का जप परम वास्तविकता भगवान श्रीविष्णु को नमन करने के लिए किया जाता हैं, ‘नारायण’ शब्द दो संस्कृत शब्द के मिलाकर बना हैं जिसमे ‘नीर’ और ‘आयन’ हैं। ‘नीर’ यानी जल और ‘आयन’ यानी निवास. भगवान श्रीमन नारायण दिव्य जल में शेषनाग पर देवी लक्ष्मी के साथ निवास करते हैं। यह उनके निवास का सर्वप्रथम स्थान हैं। जो अनंत, अविनाशी पुरुष, पुरषोत्तम, सर्वोपरि है उन्हे नारायण कहा गया हैं। भगवान विष्णु का नाम श्रीमन नारायण सर्वश्रेष्ठ माना जाता हैं।

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 “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र की कथा

अपौरुषेय प्राचीन ग्रंथ वेदों में से सामवेद में इस मंत्र का वर्णन है। जब कुछ साधक सत्य की खोज में वैदिक ऋषियों के पास गए उन्होंने मोक्ष धाम को प्राप्त होकर मनुष्य जीवन का उद्धार करने के लिए इस मंत्र का उपदेश लिया , और यह परंपरा आज तक चली आ यही हैं।

इस मंत्र का महत्व और अर्थ को वैदिक ऋषियों इसके जाप से समझा हैं, इसके साथ ही इस मंत्र का संबंध भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद से भी हैं, प्रह्लाद ने केवल पांच वर्ष की आयु में ही भगवतप्राप्ती कर ली थीं और नाम जप कीर्तन में मगन रहने लगा। पिता हिरण्यकश्यप के कारण उसकी अनेक संकट आए किंतु भगवान विष्णु से सभी का निवारण हो गया।

“ॐ नमो नारायणाय” मंत्र जाप कैसे करें

भगवान नामजप भगवान मंत्र जाप के बीज चाहे जैसे भी बोए जाते है इनका फल अवश्य ही प्राप्त होता हैं, वैष्णव सन्यासी अखंड मंत्रजाप करते है जिसके अतुलनीय लाभ हैं, दिन में दो बार इसके 108 जाप से जीवन में अद्भुत क्रांति होती हैं। परंतु शेष समय में भी मंत्रजाप और नामजाप कर सकते हैं।

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ब्रह्म मुहूर्त को मंत्र जाप सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस समय मंत्र जाप करना आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यधिक कारगर हैं।

मंत्र जप के लिए पद्मासन या सुखासन में बैठकर स्वयं के अंदर इसका जाप करना हैं, और मन को एकाग्र रखना हैं ।

ब्रह्म मुहूर्त के बाद दिन की शुरवात इस मंत्र के जाप और ध्यान योग से होने से दिनभर व्यक्ति ताजगी और उर्जा को अनुभव करता हैं।

तथा दूसरी बार संध्या में सूर्यास्त के समय इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।

“ॐ नमो नारायणाय”  जाप के फ़ायदे.

  • मंत्र जाप करने व्यक्ति ध्यान में उन्नति करता हैं।
  • काम, क्रोध, लोभ, मोह, घृणा और विषाद से मुक्ति होती हैं।
  • मानसिक तनाव दूर होता हैं।
  • चेतना को जागृत होती हैं।
  • जीवन की कठिनाइयां से लड़ाई करने के लिए एक अपने अगल बगल आध्यात्मिक किला तैयार करता हैं।
  • भगवान श्रीमन नारायण भक्त के भारी से भारी संकट को टाल देते हैं।
  • सांसारिक विषयों के आसक्ति और बंधन से मुक्ति होती हैं
  • नियमित जाप से आत्म-साक्षात्कार होता हैं।
  • भक्त भगवान के परमधाम वैकुंठ में निवास करता हैं।
  • अलौकिक सुख प्राप्त होता हैं।

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