देवी के नौ वाहनों का अर्थ क्या हैं?

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देवी मां के नौ वाहनों
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“ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।”

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देवी मां के नौ वाहनों का अर्थ क्या हैं?

1- सिंह:- देवी दुर्गा का वाहन सिंह बल और शक्ति का प्रतीक है, माता दुर्गा के उपासक शक्तिशाली और बलशाली होते है और शत्रुओ का सामना करने में समर्थ होते है।

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2 – हंस:- देवी सरस्वती का वाहन हंस है मोती युगना उसकी विशेषता है इन गुणों को अपनाकर ब्रह्म पद पाया जाता है।

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3- व्याघ्र:- यह स्फूर्ति व निरंतर कर्म करने का प्रतीक है अतः माता दुर्गा देवी कुछ विशिष्ट रूपों में बाघ की सवारी करती है।

4 – वर्षभ:- बैल ब्रह्म चर्य व संयम का प्रतीक है यह बल व सकारात्म ऊर्जा की प्राप्ति करता है इसलिए न केवल भगवती शैलपुत्री अपितु भगवान शिव नंदी की ही सवारी करते है।

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5 – गरुड़:- भगवती लक्ष्मी जब भगवान नारायण के साथ विचरण करती है, वे विष्णु वाहन गरुड़ पर विराजमान होती है गरुड़ त्याग व वैराग्य के प्रतीक है और गरूड़ को पक्षीयो का राजा माना जाता है।

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6 – मयूर:- भगवान कर्तिकेय की परम शक्ति कर्तिकेय मोर पर विराजित है मोर सौन्दर्य , लावण्य , स्नेह , व योग शक्ति का प्रतीक है।

7 – उल्लू:- माता लक्ष्मी का वाहन उल्लू आध्यात्मिक दृष्टि से अंघता का प्रतीक है सांसारिक जीवन में लक्ष्मी यानि धन दौलत के पीछे भागने वाला इंसान आत्मज्ञान रूपी सूर्य को नहीं देख पाता है।

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8 – गदर्भ:-  गर्दभ तमोगुण का प्रतीक है इसलिए भगवती कालरात्रि ने इसे अपने वाहन के रूप में स्वीकार क्या है माता शीतला का वाहन गर्दभ ही होता है।

9 – हाथी:- विभिन्न रूपों में देवियां हाथी पर विराजमान होती है, अनेक देवियां हाथी पर विराजमान होती है, तंत्रशास्त्र के अनुसार देवी का एक नाम गजलक्ष्मी है।

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